राजेश ठाकुर ने रोका था कालिया का चौका
भाजपा की तरफ से हर बार नया प्रतिद्वंदी और कांग्रेस की तरफ से सिर्फ राकेश कालिया।
सतीश चंदन, ऊना
भाजपा की तरफ से हर बार नया प्रतिद्वंदी और कांग्रेस की तरफ से सिर्फ राकेश कालिया। चिंतपूर्णी और गगरेट विधानसभा क्षेत्रों में तीन बार विधानसभा में पहुंचे पूर्व विधायक राकेश कालिया गत विधानसभा चुनाव में जीत का चौका नहीं लगा पाए थे। 2003 में चितपूर्णी क्षेत्र से राकेश कालिया ने पहली बार चुनाव लड़ा था और तब भाजपा सरकार में मंत्री रहे प्रवीण शर्मा को 10 हजार मतों से पराजित किया। यह राकेश कालिया की लोकप्रियता का जादू ही था कि 2007 के चुनाव में उनके सामने बीजेपी का नया चेहरा नरेंद्र शर्मा थे, तो त्रिकोणीय मुकाबले में उनकी जीत की लीड 16 हजार मतों से ज्यादा की रही। 2012 में जब चितपूर्णी क्षेत्र पुन:सीमन के बाद आरक्षित हो गया, तो कालिया को क्षेत्र बदलकर गगरेट से चुनाव लड़ना पड़ा। यहां राकेश कालिया का मुकाबला भाजपा के सुशील कालिया से हुआ। हालांकि कांग्रेस के एक बागी रमन जसवाल भी मुकाबले में थे, लेकिन राकेश कालिया ने एक बार फिर से खुद को साबित करते हुए सुशील को 5000 मतों से पटकनी दे दी। 2017 के विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा ने राजेश ठाकुर पर दांव खेला और पार्टी को नतीजा भी मिला। राजेश ठाकुर, जो कि पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे, ने सीधे मुकाबले में राकेश कालिया को 9000 से ज्यादा मतों से हराया। ऐसे में लगातार जीत दर्ज कर रहे राकेश कालिया का विजय रथ राजेश ठाकुर ने रोक दिया। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा प्रत्याशी अनुराग ठाकुर इसी क्षेत्र से 5697 की लीड लेने में सफल रहे थे। ऐसे में कहा जा सकता है कि भाजपा ने उसी चुनाव से बढ़त बनानी शुरू कर दी थी। अब देखना यह है कि इस लोकसभा चुनाव में दोनों दलों की स्थिति क्या रहती है।