चिंतपूर्णी में गिरता जलस्तर बढ़ा रहा आइपीएच विभाग की दिक्कत
चितपूर्णी क्षेत्र में जल स्त्रोतों में पानी की कमी साफ नजर आने लगी है। ऐसे में लगातार घटते जल स्तर से आम जनता की मुशिकलें बढ़ गई हैं वहीं सिचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग को भी इस कारण अन्य विकल्प खोजने को मजबूर होना पड़ रहा हैं। क्षेत्र के प्राकृतिक स्त्रोत साल दर साल सूखते जा रहे हैं। बारह माह जिन खड्डों में पानी बहता था उनमें अब कमी देखी जा रही हैं। परिणामस्वरूप क्षेत्र में पानी की समस्या अब तेजी से गंभीर समस्या बनने लगी है।
संवाद सहयोगी, चितपूर्णी : चितपूर्णी क्षेत्र में जल स्त्रोतों में पानी की कमी साफ नजर आने लगी है। ऐसे में लगातार घटते जल स्तर से आम जनता की दिक्कतें बढ़ गई हैं, वहीं सिचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग को भी इस कारण अन्य विकल्प खोजने को मजबूर होना पड़ रहा हैं। क्षेत्र के प्राकृतिक स्त्रोत साल दर साल सूखते जा रहे हैं। बारह माह जिन खड्डों में पानी बहता था, उनमें अब कमी देखी जा रही हैं। परिणामस्वरूप क्षेत्र में पानी की समस्या अब गंभीर समस्या बनने लगी है। क्षेत्र की लगभग सभी पेयजल परियोजनाओं पर इसका सीधा असर पड़ा है। इसके पीछे कारण यह है कि इस वर्ष सर्दी के मौसम में भी बारिश न के बराबर हुई, जिस कारण पेयजल की दिक्कत आने लगी है। वैसे भी चितपूर्णी के धार क्षेत्र में उठाऊ पेयजल परियोजनाओं से ही पेयजल की सप्लाई की जाती है, लेकिन अगर मौसम का रूख ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में गांवों की दूरदराज की बस्तियों के नलों तक पेयजल की सप्लाई कर पाना विभाग के लिए बेहद मुश्किल कार्य होगा। वहीं, घटते जल स्तर की वजह से विभाग को भी नए सिरे से कवायद करनी पड़ रही है। जवाल और बधमाणा के लिए नई पेयजल परियोजना का निर्माण विभाग को करवाना पड़ा है, ऐसी ही स्थिति गिडपुर मलौण, भटेहड़, खरोह और धर्मसाल मंहता आदि गांवों के लिए पैदा होने लगी है। सर्दी का मौसम निकलते ही ही सभी पेयजल परियोजनाएं हांफ जाती हैं। वनों का कटान और अवैध खनन इसके पीछे प्रमुख कारण बताया जा रहा है। इसके अलावा पेयजल का दुरूपयोग भी इसके पीछे मुख्य वजह है। उधर, विभाग के कनिष्ठ अभियंता नीरज कुमार ने माना कि धार क्षेत्र में इस मौसम में जलस्त्रोतों का स्तर घट रहा है। पेयजल की कमी से पुरानी स्कीमों के विस्तार के अलावा विभाग नई परियोजनाओं के प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है। उनका कहना था कि पेयजल बहुमूल्य है, इसके लिए आम जनमानस को आवश्यकता के अनुसार ही पानी का प्रयोग करना चाहिए। अगर ऐसा हो तो फिर यह समस्या पेश नहीं आएगी।