ल्यूमिनस उद्योग विवाद : भड़के कामगारों के परिजन, थाने का किया घेराव
शनिवार को सैकड़ों लोगों के साथ ल्यूमिनस कामगारों के परिजनों ने थाने का घेराव किया और प्रशासन के विरुद्ध नारेबाजी की।
जेएनएन, गगरेट: हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला के ल्यूमिनस उद्योग का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रशासन ने उद्योग के पांच सौ मीटर के दायरे में धारा 144 तो लगा दी लेकिन उसके बावजूद हालात बेकाबू होते नजर आ रहे है। शनिवार को सैकड़ों लोगों के साथ ल्यूमिनस कामगारों के परिजनों ने थाने का घेराव किया और प्रशासन के विरुद्ध नारेबाजी की। लोगों के बढ़ते दबाब को देखते हुए पुलिस प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। मामले की संजीदगी को देखते हुए डीएसपी अम्ब मौके पर पहुंचे और लोगो को शांत करने का प्रयास किया। लेकिन मौके पर परिजन ट्रक यूनियन प्रधान की गिरफ्तारी पर अड़े रहे।
लड़कियों के साथ भी हुई थी मारपीट
वीरवार को हुई इस झड़प में लड़कियों के साथ भी मारपीट का मामला सामने आया है। घेराव करने आई भीड़ ने जब पुलिस की मंशा पर सवाल उठाए तो लड़कियों के बयान भी लिए गए। ल्यूमिनस में लगभग एक सो के करीब लड़कियां भी कार्य करती हैं।
पुलिस के डंडे हुए थे प्रयोग इस झड़प में
कामगारों ने आरोप लगाया कि ट्रक यूनियन को पुलिस विभाग ने डंडे दिए थे जो कि इस झड़प में प्रयोग किये गए। पुलिस इस मामले में ट्रक यूनियन और फेक्टरी प्रवंधन के इशारे पर काम कर रही है। एसएचओ चैन सिंह ने माना कि झड़प में पुलिस के डंडो का प्रयोग जरूर हुआ था। लेकिन पुलिस ने डंडे नहीं दिए यूनियन वालों ने पुलिस की गाड़ी से जबरदस्ती निकाल लिए थे।
ग्राम पंचायत कलोह के प्रधान संजू कुमार, पूर्व प्रधान वीना, उपप्रधान मधुसूदन जसवाल, लोक मंच के अध्यक्ष दीपक डढवाल, मेजर सिंह सूरज कुमार, समाजसेवी दविंदर सिंह जसवाल, रोहित कुमार, राजन कुमार आदि सहित सैकड़ों लोगों ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। इनका आरोप है कि पुलिस प्रशासन ट्रक यूनियन के पदाधिकारियों के खिलाफ कारवाई नहीं कर रही है। पुलिस कर्मचारियों ने जानबूझ कर कमजोर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, जबकि कामगार इतने गम्भीर रूप से घायल हुए है तो ऐसे में कमजोर धारा क्यों लगाई गई। कामगारों के परिजनों की पुलिस प्रशासन से मांग है कि इन पर धारा 307 के तहत मामला दर्ज किया जाए क्योंकि बहुत गम्भीर चोटें आई हैं।
दो इन्वेस्टिगेटिव ऑफिसर होंगे तैनात - एसपी
एसपी ऊना दिवाकर शर्मा ने कहा है कि पुलिस प्रशासन मामले की संजीदगी को समझते हुए इस मामले में दो इंवेस्टिगेटिव ऑफिसर तैनात कर दिए है ताकि मामले में पारदर्शिता रहे। एक इन्वेस्टिगेटिव ऑफिसर ट्रक यूनियन की तरफ से की गई एफआईआर की जांच करेगा तो दूसरा इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर कामगारों की तरफ से करवाई गई एफआईआर की जांच करेगा।