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जाम में दम तोड़ रहे आमजन

स्थानीय अस्पताल तक पहुंचने के लिए रविवार संक्राति मेले और भीड़ भरे दिनों में मरीजों को नाकों चने चबाने पड़ते हैं। भीड़ बढ़ते ही इस मार्ग पर ट्रैफिक जाम लग जाता है तो चितपूर्णी मंदिर जाने के लिए मुख्य मार्ग होने के चलते श्रद्धालुओं की लाइनें लगने के बाद यहां से

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 03:30 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 03:30 PM (IST)
जाम में दम तोड़ रहे आमजन
जाम में दम तोड़ रहे आमजन

नीरज पराशर, चितपूर्णी

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सिविल अस्पताल चिंतपूर्णी तक पहुंचने के लिए रविवार, संक्रांति, मेले और भीड़ वाले दिन मरीजों को नाकों चने चबाने पड़ते हैं। भीड़ बढ़ते ही अस्पताल मार्ग पर जाम लग जाता है तो चितपूर्णी मंदिर जाने के लिए मुख्य मार्ग होने के चलते श्रद्धालुओं की लाइनें लगने के बाद यहां से 108 एंबुलेंस तक नहीं निकल पाती है। अस्पताल मार्ग पर भीड़ बढ़ने के बाद मरीजों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है। चितपूर्णी से या तो अस्पताल को शिफ्ट करने व बाइपास बनाने की लोग काफी समय से मांग उठा रहे हैं।

हालांकि अस्पताल भवन को शिफ्ट करने का पहले भी मुद्दा उठता रहा है क्योंकि ट्रैफिक जाम में फंसने से स्वाणा गांव के एक बच्चे, जवाल गांव के दो लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसा भी कई बार हुआ है कि किसी गंभीर रोगी को ट्रैफिक जाम या भीड़ की वजह से स्थानीय लोगों को दौलतपुर चौक या डाडासीबा अस्पताल में ले जाना पड़ा है। चिंतपूर्णी अस्पताल पर क्षेत्र की दस हजार से ज्यादा आबादी निर्भर करती है, बावजूद स्थानीय वासी जानते हैं कि अगर भीड़ हो और कोई व्यक्ति गंभीर बीमार हो तो उसे अस्पताल तक पहुंचाना असंभव सा होगा। स्थानीय लोगों की मांग की है कि अस्पताल भवन को मंदिर न्यास के यात्री भवन या नए बस अड्डे के समीप बने स्वागत कक्ष में शिफ्ट किया जाए। अस्पताल परिसर के निर्माण में मंदिर न्यास ने भी 50 लाख रुपये का योगदान दिया है, वहीं स्वागत कक्ष का निर्माण भी मंदिर न्यास के सौजन्य से हुआ है। अगर स्वास्थ्य विभाग न्यास को यह भवन सौंप कर शिफ्ट किया जाता है तो शायद ही किसी को आपत्ति हो। वहीं चितपूर्णी या भरवाई में अस्पताल खुलने से राष्ट्रीय राजमार्ग पर होने वाली दुर्घटनाओं के घायलों को त्वरित उपचार की सुविधा होगी, वहीं आसपास की बीस पंचायतों को भी सीधा फायदा मिलेगा।

गंगोट पंचायत के प्रधान राकेश समनोल, बीडीसी सदस्य जीवन राणा, नारी-चितपूर्णी पंचायत के पूर्व प्रधान शिव कुमार कौल, जवाल पंचायत प्रधान सुमन देवी, उपप्रधान राजेंद्र सिंह, बीडीसी सदस्य राजेंद्र सिंह ने कहा जनहित में सरकार को निर्णय जल्द लेना चाहिए। उनका कहना था कि वे इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री से पत्राचार भी करेंगे।

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आलीशान भवन, सुविधाएं नदारद

1999 में करीब दो करोड़ रुपये से बने सिविल अस्पताल चिंतपूर्णी में मरीज आने से कतराते हैं तो समझा जा सकता है कि स्वास्थ्य विभाग का यह प्रतिष्ठित केंद्र खुद ही उपचार के लिए तरस रहा है। अस्पताल की दुर्दशा पर लोगों व पंचायत प्रतिनिधियों ने सरकार व विभाग से गुहार लगाई लेकिन परिणाम शून्य से ज्यादा नहीं रहा।

अस्पताल का आलीशान भवन, जिसके लिए मंदिर न्यास और दिल्ली के एक संत ने दान दिया था, को बाहर से देखकर तो ऐसा अभास होता है कि स्वास्थ्य केंद्र में हर बीमारी का इलाज होता होगा। बावजूद जब मरीज अस्पताल में प्रवेश करते हैं तो डॉक्टरों व दवाओं की कमी से उन्हें निराशा ही हाथ लगती है। अस्पताल में डॉक्टरों की कमी काफी अरसे से चल रही है और कुल दो पद रिक्त हैं। वहीं स्टाफ नर्स व कुक का पद भी रिक्त है। अस्पताल में कोई भी चपड़ासी नहीं है और चार पद रिक्त हैं।

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जनहित में स्वास्थ्य विभाग को संज्ञान लेकर अस्पताल में सुविधाएं मुहैया करवानी चाहिए। अस्पताल का भवन मंदिर के अति व्यस्त मार्ग पर स्थित है, जिसमें भीड़-भाड़ वाले दिनों में मरीज को पहुंचाना बेहद मुश्किल होता है।

-राकेश कुमार, स्थानीय वासी

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चितपूर्णी में ट्रैफिक सिस्टम में सुधार नहीं होता है तो विभाग शीतला मंदिर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अस्पताल को शिफ्ट किया सकता है। फिलहाल इस स्वास्थ्य केंद्र का जनता को खास लाभ मिलता दिखाई नहीं दे रहा है।

-पुष्पिंद्र सिंह नंबरदार, गांव नारी।

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अस्पताल जिस जगह स्थित है, वहां आम दिनों में भी आसानी से नहीं पहुंचा जा सकता है। विभाग भवन को अन्य जगह शिफ्ट करे या फिर बाइपास बनाया जाए। इस पर सिर्फ बातें ही हुई हैं।

-कृष्ण सिंह, गांव डूहल भटवालां

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स्टाफ की बेहद कमी है। कभी चिकित्सकों के पूरे पद नहीं भरे गए। इस कारण अस्पताल की ओपीडी न के बराबर है। चितपूर्णी उत्तर भारत का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है और श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति रहती है। ऐसे में पूरा स्टाफ होना चाहिए।

-विनोद कुमार, गांव जवाल

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चितपूर्णी अस्पताल को शिफ्ट करने की आम जनता की मांग जायज है। विधायक बलवीर चौधरी इस दिशा में सकारात्मक प्रयास कर रहे हैं। मंदिर न्यास की ओर से निर्मित नए बस अड्डे के पास बने परिसर के एक हिस्से में अस्पताल को स्थानांतरित करने की योजना है।

-शाम मन्हास, भाजपा मंडल अध्यक्ष।

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सिविल अस्पताल अस्पताल को शिफ्ट करने के लिए सिर्फ चर्चा ही हुई है। इस दिशा में अब तक कोई कागजी कार्रवाई या औपचारिकताएं नहीं हुई हैं, अगर सरकार आदेश देती है तो शिफ्ट करना है तो कोई आपत्ति नहीं है।

-राजीव गर्ग, खंड चिकित्सा अधिकारी, अम्ब।


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