कुर्ता पायजामा को पीछे छोड़, हर दिल अजीज बनी जींस
जींस सिर्फ युवाओं की ही नही बल्कि हर आयु वर्ग के लोगों की पहली पसंद बन चुकी है।
गगरेट, जेएनएन। परंपरागत वेशभूषा कुर्ता पायजामा कभी शान के साथ पहना जाता था लेकिन बदलते परिधान में जींस ने इसका स्थान ले लिया है। ब्रांडेड के साथ ही फटी जींस का क्रेज इन दिनों युवाओं पर छाया हुआ है। पंजाब की संस्कृति के साथ मेल खाती ऊना की संस्कृति में कुर्ता पायजामा बड़े शौक से पहना जाता था लेकिन अब युवाओं में इसका बहुत कम क्रेज देखा जा रहा है।
जींस जितनी फटी और कटी होगी, उसका उतनी ही कीमत अधिक होगी। लड़के ही नहीं लड़कियां भी जींस पहनने में कम नहीं हैं। बाजार में ब्रांडेड की बात की जाए तो दो से चार हजार रुपये तक की कीमत में यह उपलब्ध है। कीमत से अधिक डिमांड इस बात की है कि जींस के कट के डिजाइन कैसे और कितने होंगे।
क्यों है जींस का शौक
जीन्स आज एक बहुत ही लोकप्रिय अनौपचारिक परिधान है जो दुनिया भर में कई शैलियों और रंगों मे प्रचलित है। नीले रंग की जींस की पहचान विशेष रूप से अमेरिका की संस्कृति के साथ, विशेष रूप से पश्चिम अमेरिका के साथ जुड़ी है। 90 के दशक में जींस भारत में आई और एकदम से लोकप्रिय हो गई। अब तो जींस जितनी फटी हुई होगी और जितनी देखने में पुरानी लगेगी, उतनी ही पंसद की जा रही है।
जैसा देश वैसा भेष बना लेना चाहिए। जींस पहनने में कोई बुराई नहीं है। बल्कि जींस हर उम्र के लोगों में लोकप्रिय है लेकिन शहरीकरण की दौड़ में कुर्ता बहुत पीछे छूट गया है। जींस की फिटिंग गजब की है। पहनने में आकर्षक भी।
-प्रकाश सिंह, निवासी
लोग परंपरागत वेषभूषा के बजाय जींस खरीदना पसंद करते हैं। इसलिए दुकान में ज्यादातर जींस ही रखते हैं। हर ग्राहक जींस की मांग करता है। अलग - अलग दरों में यह उपलब्ध रहती है, जिससे खरीदार को भी इससे दिक्कत नहीं होती।
-निशांत शर्मा, स्थानीय दुकानदार