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कूड़े के निष्पादन पर नगर परिषद व मलाहत पंचायत में रार

नगर परिषद ऊना के गलनशील कूड़े के निष्पादन को लेकर मलाहत पंचायत का मुद्दा इन दिनों गरमाया हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 11:00 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 05:04 AM (IST)
कूड़े के निष्पादन पर नगर परिषद व मलाहत पंचायत में रार
कूड़े के निष्पादन पर नगर परिषद व मलाहत पंचायत में रार

सुरेश बसन, ऊना

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नगर परिषद ऊना के गलनशील कूड़े के निष्पादन को लेकर मलाहत पंचायत का मुद्दा इन दिनों गरमाया हुआ है। पंचायत की जिस जमीन पर कूड़ा निष्पादित किया जा रहा है, उस स्थान पर कूड़ा लेने और न लेने के विषय पर दोनों निकायों में रार लगातार बढ़ रही है। एक ओर नगर परिषद द्वारा मलाहत पंचायत में खरीदी गई 10-12 कनाल भूमि पर ऊना नप कूड़ा फेंकने के लिए हर हाल में नियमों का हवाला दे रही है तो उसी जमीन की एनओसी मलाहत पंचायत से न लेने सहित कूड़ा निष्पादन संयंत्र के कारण मक्खियों तथा गंदगी से बीमारियों के फैलने का खतरा यहां के जनप्रतिनिधि बता रहे हैं। पंचायत वासी इससे आबादी को नुकसान बता रहे हैं तो नगर परिषद मात्र दो घर यहां बता रहे हैं वे भी संयंत्र से दूरी पर हैं। बाकी आबादी इस कूड़ा संयंत्र प्लांट से काफी दूर है। फिलहाल इन तर्को के बीच न तो कोर्ट, ग्रीन ट्रिब्यूनल तथा प्रशासन के बड़े अधिकारियों के निर्देशों का पालन समय रहते अमल में नहीं ला रही है। दूसरा नगर परिषद के तहत प्रतिदिन जमा होने वाला टनों के हिसाब से कूड़ा भी सही रूप से निष्पादित नहीं हो रहा है।

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2004 में बना था प्लांट

नगर परिषद ने मलाहत पंचायत में लगभग 12 कनाल भूमि करीब दशक पूर्व खरीदी थी। उसी समय से नगर परिषद यहां कूड़े का निष्पादन ठेकेदार के माध्यम से कर रही थी। इसके बाद कुछ समय गुजरा तो ग्राम पंचायत ने कूड़ा न फेंकने के संबंध में न्यायलय में याचिका दायर कर दी। 2012 से यहां कूड़ा निष्पादन बंद रहा। आखिरकार न्यायालय ने इस कूड़ा संयंत्र में गलनशील कूड़े को निष्पादन करने के लिए कुछ नियमों के तहत नगर परिषद के हक में फैसला दिया। बाकायदा उन नियमों को नगर परिषद ने पूरा कर दिया, लेकिन अब मलाहत पंचायत के प्रतिनिधित किसी भी कीमत पर यहां ऊना का कूड़ा लेने के लिए तैयार नहीं।

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कहां फेंकती है पंचायत कूड़ा

नगर परिषद के जेई राजिद्र सैनी ने बताया कि शहर का कूड़ा न लेने की दुहाई देकर मलाहत पंचायत स्वयं ही सवालों के घेरे में है। बड़ा सवाल है कि आखिर मलाहत पंचायत का कूड़ा कहां फेंका जाता है और उसका निष्पादन किया जाता है। पंचायत को यहां तक ऑफर है कि वह अपना कूड़ा इसी प्लांट में निष्पादित करे।

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शहर से लगभग चार टन होता है गलनशील कूड़ा

नगर परिषद से प्रतिदिन पांच टन कूड़ा निकलता है जिसमें से केले एवं सब्जी आदि गलनशील कूड़े की बात करें तो यह लगभग चार टन के करीब होता है। इसे नगर परिषद न्यायालय के निर्देशानुसार ढकी हुई ट्रालियों एवं गाड़ियों में लाकर यहां बनाए गए प्लांट के लगभग 150 बॉक्स में निष्पदित करने के लिए तैयार है। अधिकारियों की मानें तो मलाहत पंचायत में कुछ लोगों की मनाही नगर परिषद की इस प्रक्रिया में बाधा बनी हुई है।

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हर हाल में करेंगे कूड़े का निष्पादन, पुलिस सुरक्षा की जरूरत पड़ी तो करेंगे इस्तेमाल : जेई

नगर परिषद ऊन के जेई राजिंद्र सैनी ने कहा कि नगर ऊना ने मलाहत पंचायत में जब जमीन खरीद थी तो वहां कोई घर नहीं था। हां दो घर हैं जोकि कूड़ा संयंत्र से काफी दूर हैं। पूरे नियमों के तहत यहां गलनशील कूड़े को खाद के रूप में बदला जएगा। इससे किसी को कोई नुकसान नहीं होगा। अभी तक स्थानीय पंचायत के लोग रोक रहे हैं। इस बारे में निदेशक को पत्र भेजकर अवगत कराया है। एनजीटी के अंतर्गत भी आता है तो उस दिशा में भी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। हाल ही में एसडीएम डा. सुरेश जसवाल ने भी पंचायत प्रतिनिधियों से बातचीत की लेकिन बात समझने बी बजाय उल्टा बहस शुरू की जाती है जोकि सही नहीं। आगामी दिनों में नगर परिषद को चाहे पुलिस सुरक्षा के बीच यहां संयंत्र को सुचारू करना पड़े, इसे किया जाएगा।

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चाहे धरने पर बैठना पड़े, कूड़ा नहीं फेंकने देंगे

मलाहत पंचायत के बीडीसी सदस्य रवि जैलदार ने कहा कि पंचायत में जिस जमीन पर नगर परिषद ने कूड़ा सयंत्र लगाया है उस जमीन की एनओसी संबंधित पंचायत से नहीं ली गई है। गंदी फैलने से आबादी को बीमारियों का खतरा है। मक्खियां दूर-दूर तक गंदगी फैला रही हैं। कूड़ा यहां हरगिज नहीं लिया जाएगा, चाहे प्रदर्शन क्यों न करना पड़े।

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जब जमीन नगर परिषद ने यहां पंचायत में ली थी तो किसी ने विरोध नहीं किया। ठेके पर जमीन लेकर यहां कूड़ा फेंका जाता रहा। कूड़ा प्लांट बनने के बाद यहां मक्खियां, मच्छर पैदा हो गए। कोर्ट में मामला गया, वहां निर्णय हुआ कि जो भी कूड़ा आएगा उस पर स्प्रे, गंदे पानी का उचित निष्पादन किया जाए। फिलहाल यहां ग्रामीण पूरी तरह से इसका विरोध कर रहे हैं।

-गुरचरण सिंह, प्रधान, मलाहत ग्राम पंचायत।


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