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किसानों ने सीखीं पशुपालन की बारीकियां

कैप्टन संजय पराशर के सौजन्य से जसवां-परागपुर क्षेत्र से गए किसानों ने करनाल में पशुपालन से संबंधित जानकारी हासिल की।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 05:18 PM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 05:18 PM (IST)
किसानों ने सीखीं पशुपालन की बारीकियां
किसानों ने सीखीं पशुपालन की बारीकियां

संवाद सहयोगी, चिंतपूर्णी : कैप्टन संजय पराशर के सौजन्य से जसवां-परागपुर क्षेत्र से राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल में गए किसानों ने पशुपालन की बारीकियां सीखीं। उन्हें मिल्क प्रोसेसिग यूनिट से लेकर गाय व भैंसों की उत्तम नस्लों को नजदीक से देखने का मौका मिला।

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अपनी तरह के पहले भ्रमण पर गए किसानों ने इस दौरे को सफल बताया। किसानों ने पशुपालन की नई तकनीक से काम करने की योजना बनाई है। संजय पराशर ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए वह अपनी तरफ से हर संभव मदद करेंगे। जसवां-परागपुर क्षेत्र के किसानों के 14 सदस्यीय दल को संजय ने एनडीआरआइ करनाल में दुग्ध उत्पादों की जानकारी के लिए भेजा था। पशुपालक सतपाल कंवर, आशीष और त्रिलोक चंद शर्मा ने बताया कि यह दौरा उनके लिए अभूतपूर्व रहा है। इस भ्रमण में संस्थान के प्रधान विज्ञानियों से उन्हें पशुपालन से जुड़े व्यवसाय को लेकर सीधे सवाल करने का अवसर मिला। उनकी हर जिज्ञासा का विज्ञानियों ने सटीक जवाब देकर उन्हें संतुष्ट किया।

संजीव कुमार राणा, अशोक और विनोद ने बताया कि उन्होंने दुग्ध उत्पादन से जुड़े नए तरीके भी सीखे। पनीर के बेकार पानी से कैसे जूस और आइसक्रीम बनाई जा सकती है। इससे कैसे व्यावसायिक लाभ लिया जा सकता है, इस संबंध में भी एनडीआरआइ की टीम ने जानकारी दी और ऐसे उत्पादों को उनके सामने तैयार किया। मुकेश और केहर सिंह ने बताया कि इस दौरे के बाद वे बकरी पालन को लेकर उत्साहित हुए हैं। इस व्यवसाय को करने वाले हरियाणा के किसानों से भी वह मिले और अब इरादा कर लिया है कि गांव लौटने के बाद बकरी पालन का ही काम शुरू किया जाएगा।

विशाल राणा, विनोद और सुखदेव ने बताया कि उन्होंने पहली बार 20 से 25 लीटर दूध देने वाले पशु देखे। मुर्रा नस्ल की भैंस और गाय की साहिवाल व हरियाणा व गुजरात की देसी नस्लें देखीं। इन पशुओं के चारे व खुराक को लेकर भी वहां के प्रगतिशील किसानों ने अनुभव साझा किए। इन पशुपालकों ने कहा कि वे दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए उत्तम किस्म के पशुओं की नस्लें खरीदने पर विचार कर रहे हैं। वहीं, संजय पराशर ने इस भ्रमण पर गए सभी किसानों को बधाई देते हुए उम्मीद जताई कि वे पशुपालन से अपनी आय दोगुनी करने के लिए जुट जाएंगे। उनसे जो सहायता हो सकेगी, उसे किसानों को पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। आय बढ़ा चुके पशुपालकों से किया सीधा संवाद

नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रधान विज्ञानी डा. एके सिंह ने बताया कि पशुपालन से जुड़ी हर जानकारी देने का प्रयास इस दौरे के दौरान देने का प्रयास किया गया। मिल्क प्रोसेसिग यूनिट, हरियाणा की दूध समितियों और स्वयं सहायता समूहों के अलावा अपनी आय बढ़ा चुके पशुपालकों से भी जसवां-परागपुर क्षेत्र के किसानों का सीधा संवाद करवाया गया। विशेष सत्र के माध्यम से संस्थान के विज्ञानियों ने पशुओं की बीमारियों और उनके उपचार के संबंध में जानकारी दी। जीवन में आया क्रांतिकारी बदलाव

दौरे पर करनाल गए विजय कुमार, केहर सिंह और विनोद सहित सभी पशुपालकों ने कैप्टन संजय का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके जीवन में यह कार्यक्रम क्रांतिकारी बदलाव लेकर आया है। जो कुछ वे करनाल में सीखकर आए हैं, उसे व्यर्थ नहीं जाने देंगे। वे पशुपालन में नए तरीकों व तकनीक से नई ऊर्जा के साथ काम करेंगे।


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