संस्कृति विभाग की बेहतरीन पहल: यहां बच्चे गाएंगे घोड़ियां और सुहाग, सुनाएंगे गुग्गा गान
पुरातनकला व संस्कृति को बचाने के लिए ईसपुर में छोटे बच्चों को बाकायदा सुहाग गीतों घोड़ियां सहित अन्य खुशी के मौके पर गाए जाने वाले गीतों को सिखाया जा रहा है।
ऊना, जेएनएन। कभी पहाड़ के जनमानस को जोड़कर रखने वाली यहां की समृद्ध नाट्य परंपराएं अब तेजी से विलुप्त हो रही हैं। युवा आधुनिकता की दौड़ में अपनी परंपराओं से किनारा करने लगे हैं। यही वजह है कि लोक नाट्य कला अपना स्वरूप खोता जा रहा है। युवा पीढ़ी की अपनी कला, भाषा एवं संस्कृति को लेकर उदासीनता के चलते अब देसी कलाकारों को अपनी कला से पीछे हटने में बाध्य होना पड़ रहा है।
ऐसे में जिला भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से बेहतरीन पहल हुई है। इसमें जिले की पुरातनकला व संस्कृति को बचाने के लिए ईसपुर में छोटे बच्चों को बाकायदा इन विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाने लगा है। यह प्रयास महज कुछ दिनों की कार्यशाला में ही नहीं बल्कि सही मायने में भविष्य में भी जारी रहने चाहिए। इन कलाकारों को छह रोज की कार्यशाला तक ही सीमित न रखकर अगर उन्हें बेहतर मंच प्रदान करके मंडी के भौरा नृत्य की तरह मनोरंजक बनाया जाए तो स्वयं यह कला देश में ही नहीं बल्कि विदेशों तक अपनी धूम मचा सकती है। लोग सलमान खान व शारुख खान को देखना ज्यादा पसंद करते हैं पर अपने लोक कलाकारों की कला को अनदेखा करते हैं। लेकिन यह कला उस समय ऐसे मनोरंजक कार्यक्रमों में भारी दिखेगी जब इसमें मंडी जिले के कई नाट्य दलों की तरह महारत हो जाएगी।
संतोष की बात है कि युवाओं में भाषा, संस्कृति की पहचान को रिचार्ज करने का जिम्मा अब भाषा संस्कृति विभाग ने उठा लिया है। संस्कृति को लेकर युवाओं में क्रेज भरने को लेकर संबंधित विभाग ने जिला के ईसपुर में छह दिवसीय कार्यशाला की मंगलवार को शुरुआत की है। कार्यशाला के दौरान सुहाग गीतों, घोड़ियां सहित अन्य खुशी के मौके पर गाए जाने वाले गीतों को मौजूद लोगों को सिखाया जाने लगा है। खासकर छोटे बच्चों को इसके प्रति प्रेरित किया गया है। भाषा एवं संस्कृति विभाग का मकसद साफ है कि युवा अपनी संस्कृति से जुड़ा रहें। आने वाले समय मे हम अपनी पीढ़ी को बता सकें कि की हमारी संस्कृति की पहचान क्या है। इतना ही नही गूगा गायन, के साथ प्राचीन वाद्य यंत्रों का का ज्ञान भी नई पीढ़ी को इस कार्यशाला के माध्यम से होगा। इस काम मे भाषा संस्कृति विभाग ने गूगा मंडली व ईसपुर के बुजुर्ग कलाकार, व नाट्य दलों को अपने साथ शामिल किया है। इतना ही नही प्रसिद्ध नाट्य दल अग्नि भोरा के कलाकार भी कार्यशाला में इस काम में सहभागिता देंगे। कार्यशाला के समापन पर कलाकारों को प्रोत्साहन राशि देकर सम्मानित भी किया जाएगा।
जिला भाषा अधिकारी ने कहा कि मंगलवार से छह दिवसीय कार्यशाला में विभाग का मकसद युवाओं में अपनी संस्कृति को रिचार्ज करना है। जब तक लोग अपनी मानसिकता और सोच को नहीं बदलेंगे, तब तक सब कदम व्यर्थ हैं। लोगों को अपनी परंपराओं को जानने की कोशिश करनी पड़ेगी तथा युवा पीढ़ी को इस ओर प्रेरित करना पड़ेगा। स्कूल और कालेजों के पाठ्यक्रम में अपनी परंपराओं व लोक विधा पर एक विषय अनिवार्य होना चाहिए।
लोग अंग्रेजी व हिंदी भाषा में ही बात करना पसंद करते हैं। अपनी बोली में बात करने में आज भी शर्म महसूस की जाती है। वह दिन दूर नहीं जब आने वाली पीढ़ियां अपनी संस्कृति, बोली व परंपराओं से बिलकुल अनजान हो जाएंगे। विलुप्त की कगार पर संस्कृति को बचाना विभाग के साथ समाज की भी नैतिक जिम्मेवारी है।
-प्रोमिला गुलेरिया (जिला भाषा अधिकारी)