गुड्स और पैसेंजर टैक्स के फर्जी चालान बनाने वाला साइबर कैफे संचालक काबू
आबकारी एवं कराधान विभाग के गुड्स एंड पैसेंजर टैक्स की चोरी के मामले में मैहतपुर के एक साइबर कैफे पर शुक्रवार शाम को विजिलेंस टीम ने दबिश देकर वहां से 15 फर्जी चालान बरामद किए हैं।
जागरण संवाददाता, ऊना : आबकारी एवं कराधान विभाग के गुड्स एंड पैसेंजर टैक्स की चोरी के मामले में मैहतपुर के एक साइबर कैफे पर शुक्रवार शाम को विजिलेंस टीम ने दबिश देकर वहां से 15 फर्जी चालान बरामद किए हैं। ये चालान कंप्यूटर पर तैयार किए गए थे। कैफे से दो कंप्यूटरों को भी कब्जे में लिया गया है। कैफे चलाने वाले युवक को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।
विजिलेंस ने जिले के आबकारी एवं कराधान विभाग मे दबिश देकर जो दस्तावेज हासिल किए हैं उनमें टेंपरिग पाई गई है। व्यवसायिक वाहनों के टैक्स के चालानों में भारी हेराफेरी की गई है। अभी तक आंकड़ा पूरा सामने नहीं आया है, लेकिन प्रदेश में टैक्स चोरी का यह सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है।
विजिलेंस ने गुप्त सूचना के आधार पर एएसपी सागर चंद्र की अगुआई में आयुक्त आबकारी एवं कराधान विभाग के कार्यालय में दबिश दी थी। इस दौरान पैसेंजर और गुड्स टैक्स के हजारों चालान कब्जे में लिए गए हैं। इन चालानों और टैक्स से संबंधित रिकार्ड को भी कब्जे में लिया गया है।
विजिलेंस की प्रारंभिक जांच में टैक्स चोरी और हेराफेरी करके सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाए जाने की संभावना है। जिस तरह से चालानों पर टेंपरिग पाई गई है उससे संभावना है कि यह धंधा वर्षो से चलता आ रहा है। इसमें विभागीय लोगों की भी मिलीभगत की संभावना बताई जा रही है। विजिलेंस यह भी छानबीन कर रही है कि अरसे से जाली चालान विभाग के रिकार्ड में जमा होते रहे, लेकिन उसकी पड़ताल क्यों नहीं की गई। इसमें कौन-कौन लोग शामिल हैं, यह भी पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। सरकारी खाते में हजार तो चालान पर अंकित दस हजार
टैक्स के चालानों की राशि में आ रहे भारी अंतर से विभागीय कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में आ गई है। जांच में यह भी सामने आ रहा है कि जिन चालानों के तहत सरकारी खजाने में एक हजार रुपये जमा हुए हैं, उनकी आबकारी एवं कराधान महकमे के रिकार्ड में रसीद दस हजार रुपये की लगी हुई है। इनमें वास्तव में जो चालान राशि है उसे विभाग के रिकार्ड में जमा दिखाया गया है।
कई एजेंट और आपरेटर भी निशाने पर
इस बीच विजिलेंस की प्रारंभिक जांच में लगभग साफ हो गया है कि हेराफेरी के इस मामले में अकेले विभागीय कर्मचारियों का ही हाथ नहीं है। मामले में एजेंट और वाहन आपरेटर्स भी शामिल हैं। आपसी मिलीभगत से इस करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े को अंजाम दिया जाता रहा है। इन लोगों की कहां क्या-क्या भूमिका रही होगी, इसका भी पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। आबकारी एवं कराधान महकमे के स्थानीय कार्यालय से जो रिकार्ड कब्जे में लिया गया है इसकी छानबीन की जा रही है। प्रारंभिक जांच में काफी गड़बड़ी प्रतीत हो रही है।
-सागर चंद्र, एएसपी विजिलेंस।