चुनाव का दौर; समस्याओं पर शोर, फिर मुद्दे गौण
भौगोलिक ²ष्टि से दो हिस्सों में बंटे चितपूर्णी विस क्षेत्र में कई ऐसे मुद्दे हैं जो हर दिन जनता की जुबान पर रहते हैं या यूं कहें कि जनता रोजमरर की जिदगी में एसी समस्याओं से दो-चार होती है।
नीरज पराशर, अजय टबयाल/चितपूर्णी, अंब
भौगोलिक दृष्टि से दो हिस्सों में बंटे चिंतपूर्णी विस क्षेत्र में कई ऐसे मुद्दे हैं, जो हर दिन जनता की जुबान पर रहते हैं या यूं कहें कि जनता रोजमर्रा की जिदगी में ऐसी समस्याओं से दो-चार होती है। नेता भी चुनाव के दिनों में इन मुद्दों को खूब भुनाते हैं। आजादी के सात दशक बाद भी इस क्षेत्र में सुविधाओं की दरकार है।
60 पंचायतों को समेटे इस क्षेत्र में बेसहारा पशुओं की समस्या जहां सबसे बड़ा मुद्दा हर चुनाव में उठता रहा है तो स्वास्थ्य, शिक्षा और पेयजल जैसी समस्याओं को लेकर भी खूब सियासत होती रही है। 1998-99 में यहां पर सड़कों की बेहतरी के कार्य शुरू हुए और कुछ विद्यालयों का दर्जा भी बढ़ा, लेकिन नेता शायद यह भूल गए हैं कि क्षेत्र की जनसमस्याएं समय के साथ बढ़ी हैं। तलमेड़ा से घंगरेट और धुसाड़ा से लेकर भिडला तक फैले लंबे-चौड़े इस क्षेत्र में सुविधाओं के नाम पर बहुत कुछ होना बाकी है।
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बंदरों के आतंक से खेतों का रास्ता भूले किसान
चितपूर्णी में बंदरों का आतंक पिछले डेढ़ वर्ष से सियासी गलियारों में चर्चा का विषय रहा है। लाखों की फसल बंदरों द्वारा उजाड़ दी जाती है। घंगरेट से लेकर सोहारी-टकोली तक के किसान प्रभावित हैं। इस क्षेत्र में लगभग 3500 हेक्टेयर मक्की की खेती और 6000 हजार हेक्टेयर में गेहू की खेती की जाती है, लेकिन विडंबना यही है कि बंदरों पर कोई भी राजनीतिक दल नकेल कसने में सफल नहीं रहा है। बंदरों, बेसहारा पशुओं, नील गायों और सूअरों के आतंक से धार क्षेत्र में 60 फीसदी से ज्यादा किसान खेती से तौबा कर गए हैं। यहां फसल बारिश पर निर्भर है। नारी गांव से पुष्पेंद्र सिंह, जम्वाल गांव से हरनाम सिंह और धर्मसाल महंता गांव से राजेश शर्मा बताते हैं कि इस समस्या का समाधान करने के लिए नेता हर चुनाव में आश्वासन देते हैं, लेकिन हल आज तक नहीं निकला।
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स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की जरूरत
चितपूर्णी विस क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की काफी जरूरत है। क्षेत्र में कुल 41 स्वास्थ्य उपकेंद्रों में से आठ में स्टाफ नहीं है। अधिकतम केंद्रों में सिर्फ एक-एक स्वास्थ्य विभाग कर्मी सेवाएं दे रहा है, जबकि सरकार की तरफ से प्रति केंद्र दो पदों का प्रावधान है। दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक तक नहीं हैं तो दो सिविल अस्पतालों में चिकित्सकों सहित पैरामेडिकल स्टाफ के पद भी रिक्त चले हुए हैं।
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शिक्षा को लेकर भी दावे हवा-हवाई
शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाले नेताओं के समक्ष यह एक छोटा सा उदाहरण है कि चितपूर्णी क्षेत्र के चार प्राइमरी स्कूल एक अध्यापक के सहारे हैं। क्षेत्र के बंडबख्शी, गुरेट, दलोह और अरड़ोह में एक अध्यापक है। पिछली सरकार के कार्यकाल में खोले गए दो डिग्री कॉलेज चौकीमन्यार और चितपूर्णी के नए भवनों का निर्माण अब तक नहीं हो पाया है। सरकारी विद्यालयों में कला अध्यापकों के भी कई पद रिक्त चल रहे हैं। बेहड़ जसवां, चकसराय, सूरी, रिपोह मिसरां, चितपूर्णी, नारी, बधमाणा, गिडपुर मलौण, कुठियाड़ी आदि विद्यालयों में यह पद रिक्त होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
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ये भी हैं विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे
अम्ब को नगर पंचायत का दर्जा, सब्जी मंडी की मांग, मुबारिकपुर में बाईपास, धार क्षेत्र में पेयजल की किल्लत और चितपूर्णी में रिग रोड की मांग को लेकर भी आम जनता को अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। अम्ब को नगर पंचायत का दर्जा देने के लिए गत विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बड़ा मुद्दा बनाया था और जनता की यह मांग लंबित रही है। चिंतपूर्णी क्षेत्र में वैकल्पिक मार्गो का निर्माण कार्य अभी तक अधर में लटका हुआ है। गर्मी के मौसम में धार क्षेत्र में पेयजल के लिए त्राहि-त्राहि मच जाती है और दूरदराज की बस्तियों में पानी की सप्लाई तीसरे से चौथे दिन होती है। आज तक उठाऊ पेयजल परियोजनाएं पुराने ही ढर्रे पर चल रही हैं और पुरानी पाइपों तक को नहीं बदला गया है।
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चितपूर्णी विस क्षेत्र में मतदाता
कुल मतदाता,79723
पुरुष मतदाता,41382
महिला मतदाता,38341
नए वोटर,657
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चिंतपूर्णी क्षेत्र की समस्याओं को किया जा रहा हल
चितपूर्णी विस क्षेत्र में 15 वर्ष तक कांग्रेस के विधायक होने के कारण विकास को वह गति नहीं मिल पाई, जो मिलनी चाहिए थी। स्थानीय विधायक बलवीर चौधरी के प्रयासों से पिछले एक वर्ष में चितपूर्णी में अथाह विकास कार्य हो रहे हैं। चितपूर्णी क्षेत्र की पेयजल समस्या को दूर करने के लिए मास्टर प्लान तैयार हो चुका है, जिससे कि अगले 50 वर्ष तक धार क्षेत्र में पेयजल की किल्लत नहीं रहेगी। दुर्गम क्षेत्रों गुरेट, आरनवाल, सारढ़ा और मथेहड़ आदि के लिए सड़कों व पुलों का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है, जिसमें करीब 18 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि खर्च होगी।
-शाम मन्हास, मंडल अध्यक्ष, चितपूर्णी भाजपा।
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विकास का सूखा पड़ गया है चितपूर्णी में
चितपूर्णी विस क्षेत्र में भाजपा ने जिन मुद्दों पर चुनाव लड़ा था, उनमें एक भी वादा पूरा करने में विधायक असफल रहे हैं। सच तो यह है कि चितपूर्णी क्षेत्र में विकास का सूखा पड़ गया है। नए कार्य तो दूर पुराने कार्य भी लटक गए हैं। पेयजल, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं भी ढंग से आम जनता को नहीं मिल पा रही हैं।
-कुलदीप कुमार, पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता।