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छात्रवृत्ति घोटाला: सीबीआइ ने ऊना में फ‍िर दी दब‍िश, निजी संस्‍थान के विद्यार्थियों से भी पूछताछ

CBI Team Raid सीबीआइ ने छात्रवृति घोटाले में फिर ऊना में दबिश दी है। ऊना के एक विश्राम गृह में सीबीआइ की टीम ने कई छात्रों से पूछताछ की है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 05 Feb 2020 12:20 PM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 12:27 PM (IST)
छात्रवृत्ति घोटाला: सीबीआइ ने ऊना में फ‍िर दी दब‍िश, निजी संस्‍थान के विद्यार्थियों से भी पूछताछ
छात्रवृत्ति घोटाला: सीबीआइ ने ऊना में फ‍िर दी दब‍िश, निजी संस्‍थान के विद्यार्थियों से भी पूछताछ

ऊना, जेएनएन। सीबीआइ ने छात्रवृति घोटाले में फिर ऊना में दबिश दी है। ऊना के एक विश्राम गृह में सीबीआइ की टीम ने कई छात्रों से पूछताछ की है। इस दौरान छात्रों ने बताया कि उनको संस्थान प्रबंधकों ने गुमराह किया है। सीबीआइ के डीएसपी बलबीर शर्मा की अगुवाई में टीम ने जांच शुरू की।

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जिले में एक तीन कमरों में चल रहे शिक्षण संस्थान में इंजीनियरिंग की डिग्री भी करवाई जा रही थी। कुछ ऐसे भी छात्र हैं, जिन्हें मालूम ही नहीं कि वे इंजीनियर तक बन चुके हैं। यह सब खेल सरकार की आेर से विशेष जाति वर्ग को मिलने वाली केंद्र की छात्रवृत्ति को हड़पने के लिए हो रहा था। यहां तक की इंजीनियर बन चुके छात्रों को उनके सिलेबस तक की जानकारी नहीं है। हैरानी की बात तो यह है कि यह नेटवर्क हिमाचल के अलावा पंजाब तक भी चल रहा था। अब इस मामले में सीबीआइ ने ऐसे विद्यार्थियों के खिलाफ जांच शुरू की है।

छात्रों ने पूछताछ में किए अहम खुलासे

छात्रवृति घोटाले में सीबीआइ ने जिन छात्रों से पूछताछ कर गई है उन्होंने ऐसे चौंकाने वाले खुलासे किए हैं कि जिला मुख्यालय समेत कई जिलों में इस शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। कैसे तीन कमरों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ-साथ कई कोर्स चल रहे थे। बीए के अलावा बीकॉम और कंप्यूटर एजुकेशन से जुड़े कई कोर्स भी साथ करवाए गए हैं। वर्ष 2013 के बाद ही यह पूरा गोलमाल हुआ है। छात्रों को यह तक जानकारी नहीं है कि वे संस्थान के रिकाॅर्ड में इंजीनियर तक बन चुके हैं। कई छात्रों की बीए और बीकॉम की डिग्री हो चुकी है।

छात्रों से हुआ है लेन-देन

इस बीच यह भी खुलासा हुआ है कि कई छात्रों के साथ इस डिग्री और डिप्लोमा कोर्स के लिए लेन-देन भी किया गया है। जिन छात्रों को केंद्र से छात्रवृत्ति नहीं मिलती थी, उनके साथ बिना संस्थान में आए डिप्लोमा और डिग्री कोर्स का सर्टिफिकेट देने के लिए सौदा तय होता था। इसका पूरा ताना बाना एजेंट बुनते थे। संस्थान के एजेंट सभी जगह सक्रिय होते थे। यहां तक कि वे निजी संस्थानों में नौकरी करने वाले लोगों का चुनाव करते थे और उनसे पूरा सांठगांठ करने का प्रयास किया जाता था।

संस्थान के एजेंट को एक छात्र के बदले मिलते थे हजार रुपये

जिला मुख्यालय के इस शिक्षण संस्थान में छात्रों ने यह भी खुलासा किया है कि उन्हें कुछ एजेंटों के माध्यम से इस संस्थान में दाखिला दिलवाया गया था। ऐसे एजेंटों को संस्थान प्रबंधन की ओर से एक एडमिशन पर एक हजार रुपये नकद दिए जाते थे। खासकर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों को दाखिला कराने पर एजेंट को इससे भी अधिक पैसे दिए जाते थे।


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