बस सुविधा न मिलने से गुरेट वासी परेशान
चितपूर्णी विधानसभा क्षेत्र के दुर्गम गांवों में शुमार गुरेट गांव के लिए परिवहन सुविधा की कमी से ग्रामीण बेहद परेशान हैं।
संवाद सहयोगी, चितपूर्णी : चितपूर्णी विधानसभा क्षेत्र के दुर्गम गांवों में शुमार गुरेट गांव के लिए परिवहन सुविधा की कमी से ग्रामीण बेहद परेशान हैं। मार्च के अंतिम सप्ताह में कोरोनाकाल शुरू होने के बाद निजी बस मालिकों ने तो गांव में अपनी बसें नहीं भेजीं, लेकिन सुबह-शाम परिवहन निगम की बस भी गांव में नहीं आती।
ऐसे में गांववासियों को टैक्सी करके या फिर चार किलोमीटर से ज्यादा का जंगल के रास्ते से सफर पैदल तय करके अपने घरों में पहुंचना पड़ रहा है। वहीं, परिवहन निगम ने दावा किया है कि गांव के लिए बस सेवा शुरू की थी लेकिन कोई भी सवारी न मिलने से रूट बंद कर दिया गया।
गुरेट, पनियाड़ा व महुंआ दा पंगा के साथ आसपास के क्षेत्र की आबादी दो सौ से ज्यादा है। इसी को ध्यान में रखते हुए दिन में पांच रूट निजी व निगम की बसों के तय किए गए थे। गांववासियों का आरोप है कि अब इस गांव में कोई बस सेवा नहीं है। पहले सवेरे एक निजी बस व परिवहन निगम की बस, दोपहर और शाम के समय निजी बस आपरेटर अपनी सेवाएं नहीं दे रहे थे। शाम के वक्त भी चितपूर्णी से अंब वाया गुरेट आने वाली परिवहन निगम की बस का रूट भी बंद है। ऐसे में शाम के वक्त कर्मचारियों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अगर कोई किसी काम से अम्ब या चितपूर्णी गया हो तो मजबूरी में टैक्सी करनी पड़ती है।
स्थानीय निवासी अशोक कुमार, जरनैल सिंह, चमन लाल, वार्ड पंच राकेश कुमारी, राम पाल, केसर सिंह ओर ममता रानी ने बताया कि बस सेवा के रूट पिछले कई महीने से प्रभावित हैं। टकोली से लेकर गुरेट गांव तक की सड़क के दोनों ओर घना जंगल है। शाम के वक्त इस क्षेत्र में जंगली जानवर भी घूमते हैं । ऐसे में बस सेवा न मिलने से राहगीर भयभीत होकर पैदल सफर करने को मजबूर होते हैं या फिर उन्हें जेब ढीली करनी पड़ती है।
लोहारा से गुरेट का दो सौ से तीन सौ रुपये तक किराया देना पड़ता है। इस मुद्दे पर परिहवन के क्षेत्रीय प्रबंधक जगन्नाथ ने कहा गांव के लिए निगम ने बस सेवा शुरू की थी लेकिन सवारी न मिलने से रूट बंद करना पड़ा। हालात सामान्य होते ही गांव के लिए दोबारा बस सेवा शुरू कर दी जाएगी।