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समाज के अंतिम व्यक्ति को न्याय दिलाना न्यायालय का दायित्व : सूर्यकांत

न्यायालय का मतलब समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति को उसके घरद्वार पर न्याय पहुंचाना है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 05:17 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 05:17 PM (IST)
समाज के अंतिम व्यक्ति को न्याय दिलाना न्यायालय का दायित्व : सूर्यकांत
समाज के अंतिम व्यक्ति को न्याय दिलाना न्यायालय का दायित्व : सूर्यकांत

संवाद सहयोगी, अम्ब : न्यायालय का मतलब समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति को उसके घरद्वार पर न्याय पहुंचाना है। इसीलिए प्रदेश में सबडिवीजन लेवल तक न्यायालय स्थापित किए जा रहे हैं। उनके भवन बनाए जा रहे हैं। यह बात प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने अम्ब बाजार के पास दस करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले नए कोर्ट कांप्लेक्स का शिलान्यास करते हुए कही।

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कहा इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रदेश सरकार हाईकोर्ट का हर तरह से सहयोग करने को तैयार है। कहा हमारे संविधान का मूल आधार न्याय को घरद्वार तक पहुंचाना है। यही न्यायिक प्रणाली का मुख्य उद्देश्य भी है कि समाज का कोई भी वर्ग सुविधाओं की कमी के कारण न्याय से वंचित न रह जाए। समाज के सबसे कमजोर वर्ग को न्याय समय पर और कम से कम खर्च पर मिले। न्यायालय के भवनों का निर्माण भी न्याय के लिए आने वाले फरियादियों की हर सुविधा को नजर में रखते हुए किया जाए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कोर्ट पत्थर और लोहे से बना हुआ महज एक भवन नहीं है, बल्कि इसे न्याय का मंदिर कहा जाता है। हर फरियादी न्याय की उम्मीद लेकर यहां आता है।

इससे पहले बार काउंसिल अम्ब के अध्यक्ष ने अम्ब कोर्ट में एडवोकेट चैंबर बनाने और ऊना से एक सप्ताह के लिए आने वाली एडीजे कोर्ट का समय बढ़ाने की मांग रखी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा सरकार की योजना है कि जहां भी न्यायालय बनेंगे, वहां के वकीलों के लिए चैंबर्स का प्रबंध किया जाएगा। अम्ब में भी चैंबर्स बनाया जाएगा। एडीजे कोर्ट के बारे में कहा इसके लिए जरूरी नॉ‌र्म्स को रिव्यू किया जाएगा। उसके बाद उपमंडल स्तर पर केस की संख्या को देखा जाएगा। उसी के अनुसार निर्णय लिया जाएगा। स्थायी करने की जरूरत होगी तो स्थायी किया जाएगा अगर समय बढ़ाने की जरूरत होगी तो समय बढ़ाया जाएगा।

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न्याय दिलाने में मिलकर करें काम

मुख्य न्यायाधीश ने कहा न्यायालय की मूल भावना सीमेंट पत्थर और लोहे से मल्टीस्टोरी भवन बनाने से पूरी नहीं होगी। न्यायालय को न्याय का मंदिर कहा जाता है। जिस तरह मंदिर की मूल भावना को पूरा करने के लिए पुजारी से लेकर मैनेजमेंट तक अपना सहयोग करते हैं उसी तरह न्यायालय में गरीब आदमी तक न्याय पहुंचाने के लिए बार बेंच एडमिनिस्ट्रेशन समाज और प्रेस का पूरा सहयोग रहता है, इसलिए हमसब लोगों का दायित्व बनता है कि एकजुट होकर समाज के सबसे कमजोर तबके तक समय पर न्याय दिलाने में अपनी भूमिका निभाएं।

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नए कोर्ट कांप्लेक्स में ये होंगी सुविधाएं

दस करोड़ रुपये बनने वाले अम्ब कोर्ट कांप्लेक्स में छह कोर्ट रूम, महिला व पुरुष वकीलों के लिए अलग-अलग बारू रूम, फरियादियों व वकीलों के लिए अलग-अलग कैंटीन की सुविधा मिलेगी। इसके साथ ही अलग-अलग वॉशरूम की व्यवस्था की जाएगी। कोर्ट कांप्लेक्स में लिफ्ट का प्रबंध भी किया जाएगा।


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