आलू उत्पादकों को बड़ा घाटा, सौ रुपये में बिक रहा कट्टा
किसान पहले मौसम की बेरुखी से परेशान हुए, अब आलू की सही कीमत न मिलने से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
संवाद सहयोगी, हरोली : किसान पहले मौसम की बेरुखी से परेशान हुए, अब आलू की सही कीमत न मिलने से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस समय आलू प्रति कट्टा यानी पचास किलो 100 रुपये बिक रहा है। जबकि रही सही कसर वारदाना की बोरी के बढ़े रेट ने पूरी कर दी। अब खाली कट्टा 20 रुपये में मिल रहा है। आलू की पटाई 5,000 रुपये प्रति किला चल रही है जिससे किसानों को घाटा हो रहा है।
जिला में करीब 12 हजार हेक्टेयर भूमि पर आलू की फसल उगाई जाती है। इस कारण जिला को आलू का हब भी कहा जाता है। जबकि जिला में सबसे ज्यादा हरोली हलके में आलू की खेती की जाती है। क्योंकि जिला की भूमि व वातावरण आलू की फसल के लिए ज्यादा मुफीद है। इस बार मौसम के कड़े तेवरों से आलू की बिजाई लेट हो गई थी। जबकि बारिश के कारण किसानों का आलू खेत में ही सड़ गया। फिर किसानों को दोबारा महंगे दामों पर बीज खरीदकर बीजना पड़ा था, जिससे उनके खर्चे में भी इजाफा हुआ। जिन किसानों ने आलू पहले निकाला वे तो ठीक रहे, उनका आलू 1470 रुपये प्रति कट्टा तक बिक गया लेकिन जिन किसानों ने दोबारा आलू लगाया, उन्हें दोहरी मार पड़ी है। एक तो दोबारा महंगा बीज डालना पड़ा, ऊपर से 60 प्रतिशत फसल को झुलसा रोग ने अपनी चपेट में ले लिया जिस कारण उन्हें महंगी दवा का छिड़काव करना पड़ रहा है। झुलसा रोग के कारण आलू उत्पादन तो कम हुआ ही, साथ ही आलू का रेट न्यूनतम स्तर आ गया। किसानों को उनकी लागत भी नसीब नहीं हो पा रही है। कई किसानों ने तो कर्ज उठाकर फसल लगाई थी।
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नुकसान की भरपाई करे सरकार
किसान बालकिशन, अजय, लक्की, अनिल जसवाल, रामअवतार, सतीश ठाकुर, विजय अध्याल, शशि सैनी, प्यारा लाल, सुरेश कुमार, दीपक जसवाल ने सरकार से आलू का न्यूनतम रेट तय करने और हुए नुकसान की भरपाई करने की मांग की है।