खेतीबाड़ी से मुंह मोड़ रहे किसानों के लिए लेमन ग्रास फायदे का सौदा
जंगली जानवरों के आतंक, बदलते ऋतु चक्र और खेतों में हल न चलने से बंजर हो रही जमीन से निराश किसान लेमन ग्रास की पैदावार कर काफी मुनाफा कमा सकते हैं।
संवाद सहयोगी, ¨चतपूर्णी : जंगली जानवरों के आतंक, बदलते ऋतु चक्र और खेतों में हल न चलने से बंजर हो रही जमीन से निराश किसान लेमन ग्रास की पैदावार कर काफी मुनाफा कमा सकते हैं। कुछ किसानों द्वारा धार क्षेत्र में किया गया प्रयोग बेहद सफल रहा है। इससे उत्साहित होकर वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद व हिमालय जैव प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर ने भी अपनी टीम फील्ड में उतार दी है। आने वाले दिनों में संस्थान द्वारा किसानों का समूह बनाकर लेमन ग्रास वितरित किया जाएगा।
चिंतपूर्णी के धार क्षेत्र में कृषि बारिश पर निर्भर है। किसान दिन-रात पहरा देने के बावजूद फसल को जंगली जानवरों से बचाने में असफल रहते हैं। ऐसे में 60 फीसद से अधिक कृषि योग्य भूमि पर अब हल नहीं चलता है। धार क्षेत्र में पैदा होने वाली रबी व खरीफ की फसलों के मुकाबले किसान लेमन ग्रास से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। इस घास को न तो पशु खाते हैं और न ही इसके लिए अधिक पानी की जरूरत होती है। धार क्षेत्र में किसानों को इस घास को उगाने के लिए स्वां नदी एकीकृत जलागम परियोजना के प्रबंधकों ने प्रेरित किया था और प्रशिक्षण भी दिया था। लेमन ग्रास पर किसानों को 25 फीसद सब्सिडी भी दी थी। हालांकि अब यह परियोजना बंद हो चुकी है लेकिन वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद व हिमालय जैव प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर ने किसानों को लेमन ग्रास उपलब्ध करवाने की बात कही है। इसके लिए किसानों को डेमो दिया जा रहा है। मंदोली पंचायत के विरंगल गांव में विशेष मशीन मोबाइल डिस्टीलेशन यूनिट तेल निकालने के लिए लगाई गई है।
संस्थान के वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी डॉ. किरण सैनी ने बताया कि लेमन ग्रास के प्रति किसानों की दिलचस्पी बढ़ रही है और सीएसआइआर पालमपुर की टीम भी किसानों को जागरूक कर रही है। शीघ्र किसानों के समूह बनाकर लेमन ग्रास की नर्सरी तैयार करने और रोपाई का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इन किसानों ने उगाया है लेमन ग्रास
विरंगल गांव के विजय ¨सह, भगड़ाह के कश्मीर ¨सह व नैहरियां की मधु ने लेमन ग्रास उगाया है। उनका कहना है कि भविष्य में भी वे लेमन ग्रास की नर्सरी तैयार कर इसे खेतों में उगाएंगे।
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क्या है लेमन ग्रास
लेमन ग्रास की पत्तियां नुकीली होती हैं। इसका वैज्ञानिक नाम ¨सबेपोगोन है। यह घास वर्ष भर उगा रहता है और हरा रहता है। बड़ी बात यह है कि एक बार उगने के बाद पांच वर्ष तक लगातार इसकी फसल ली जा सकती है। इसकी खुशबू तेज होती है, जिस कारण इससे पशु दूर रहते हैं। जहां यह घास उगी होती है वहां बंदर भी नहीं जाते हैं। इस घास को सुखाने के बाद तेल निकाला जाता है। इसका प्रयोग सौंदर्य प्रसाधन, इत्र, क्रीम, साबुन व वॉ¨शग पाउडर के लिए भी किया जाता है।
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लेमन ग्रास उगाने की लागत
लेमन ग्रास उगाने में बहुत कम लागत आती है। करीब एक हेक्टेयर भूमि में लेमन ग्रास उगाने में सात से आठ हजार रुपये लागत आती है। औद्योगिक अनुसंधान परिषद व हिमालय जैव प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर की ओर से इच्छुक किसानों को शुरू में यह घास मुफ्त दी जाएगी ताकि वे अपने खेतों में इसे उगा सकें। विभाग तीन साल बाद जितनी घास दी है उसे वापस ले लेगा। केंद्र सरकार के एरोमा प्रोजेक्ट के तहत बाद में किसानों के समूह को सब्सिडी भी दी जाएगी। इस घास की रोपाई फरवरी व जुलाई में की जाती है। अढ़ाई महीने बाद इसकी फसल काट सकते हैं। एक बार लगाई गई लेमन ग्रास पांच साल तक चलती है। इस लेमन ग्रास पर मौसम चक्र का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसे सिंचाई आदि भी ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है।
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ऐसे होता है किसानों को फायदा
लेमन ग्रास 70 दिन में तैयार होता है। हरा होने पर इसकी कीमत न्यूनतम पांच रुपये और सूखने पर 12 रुपये किलो होती है। एक क्विंटल लेमन ग्रास से पांच सौ मिलीलीटर तेल निकलता है। इसका बाजार भाव दो हजार के करीब है। वर्ष भर में एक हेक्टेयर में ढाई टन तक लेमन ग्रास पैदा हो सकता है। जिन किसानों के पास बंजर जमीन है वे इस घास को उगाकर मुनाफा कमा सकते हैं।