Move to Jagran APP

चिंतपूर्णी मां के चरणों में पहुंचा प्रसाद, श्रद्धालुओं ने लगाया भोग

कोरोना संकट कुछ हद तक छंटने के बाद मंदिर न्

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 07:50 PM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 07:50 PM (IST)
चिंतपूर्णी मां के चरणों में पहुंचा प्रसाद, श्रद्धालुओं ने लगाया भोग
चिंतपूर्णी मां के चरणों में पहुंचा प्रसाद, श्रद्धालुओं ने लगाया भोग

नीरज पराशर/बृजमोहन कालिया,चितपूर्णी

loksabha election banner

कोरोना संकट कुछ हद तक छंटने के बाद मंदिर न्यास ने मंगलवार से चितपूर्णी में कुछ पाबंदियां हटा दीं। इससे मां के गर्भ गृह में प्रसाद चढ़ाने पर लगी रोक भी हट गई। मंगलवार को मंदिर आयुक्त एवं जिला उपायुक्त राघव शर्मा की ओर से जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के तहत मंदिर के गर्भ गृह में प्रसाद चढ़ाया गया। वहीं प्रसाद चढ़ने की सूचना सोमवार देर शाम पूरे इलाके में फैल गई थी, जिससे लोगों में काफी उत्साह था। मंगलवार को चिंतपूर्णी के आसपास के सैकड़ों लोग मां के दर्शन के लिए आए, उनमें से कुछ अपने घर से तो कुछ दुकानों से प्रसाद लेकर पहुंचे। गर्भ गृह में प्रसाद का भोग लगवाने से श्रद्धालुओं सहित स्थानीय लोगों में काफी उत्साह दिखा। पुजारियों ने भी मां के चरणों में भक्तों का प्रसाद कबूल करवाया।

करीब 11 माह बाद श्रद्धालुओं ने गर्भ गृह में मंगलवार को प्रसाद चढ़ाया। पंजाब से पहुंचे श्रद्धालु अमरजीत सिंह, दलजीत सिंह व हरमिदर सिंह ने बताया की वह माता के दर पर प्रसाद चढ़ने की खबर से बहुत खुश हैं। पहले भी वे मां के दर पर शीश नवाने आए थे, लेकिन प्रसाद न तो चढ़ा पाए और न मंदिर न्यास ने प्रसाद उपलब्ध करवाया। उन्होंने अब माता के दर शीश झुका कर प्रसाद चढ़ाया। अन्य श्रद्धालुओं में स्थानीय दुकानों में प्रसाद खरीदा। गौर रहे कि कोरोना की वजह से मंदिर में प्रसाद चढ़ाने पर रोक लग गई थी। इससे दुकानों पर बिक्री काफी कम हो गई थी। मंदिर अधिकारी अभिषेक भास्कर ने बताया की मां के चरणों में प्रसाद चढ़ाने पर अब कोई रोक नहीं है। मंदिर पहुंचकर प्रसाद का स्वाद हो जाता है एक जैसा

अब इसे मां चितपूर्णी की महिमा ही कहेंगे कि मंदिर में हलवा का प्रसाद चढ़ने के बाद स्वाद एक जैसा हो जाता है। चमत्कारिक रूप से प्रसाद का स्वाद हर दिन एक जैसा ही होता है। यह अलग बात है कि चिंतपूर्णी में डेढ़ सौ से ज्यादा दुकानों में हलवे का प्रसाद तैयार किया जाता है और हजारों श्रद्धालु भी अलग-अलग दुकानों से प्रसाद खरीदते हैं। कई श्रद्धालु घर से बनाकर भी प्रसाद लाते हैं, लेकिन जब मंदिर में प्रसाद चढ़ गया तो स्वाद में कोई फर्क नहीं रहता। हां, मंदिर में चढ़ने वाला प्रसाद देसी घी से बनकर तैयार होता है। दुकानदार भी इस नियम का सख्ती से पालन करते हैं। बताया जाता है कि पूर्व में कुछ लोगों ने देसी घी के बजाय वनस्पति घी का प्रयोग किया तो उन्हें उस दिन भारी नुकसान उठाना पड़ा।

प्रसाद से जुड़ी दिलचस्प बात यह भी है कि मां ज्वालामुखी के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं को चितपूर्णी का प्रसाद ले जाने की मनाही है। परंपरा है कि जब भी किसी श्रद्धालु ने मां चितपूर्णी के दरबार के बाद ज्वालामुखी दरबार में माथा टेकना होता है तो मां चितपूर्णी का प्रसाद यहीं रखना पड़ता है।

--------------- प्रसाद का स्वाद तो एक जैसा होता है, लेकिन मां के दरबार में चढ़ने के बाद स्वाद में भी बढ़ोतरी हो जाती है। ऐसा क्यों है, इसके पीछे मां का ही कोई चमत्कार हो सकता है। लेकिन सच यह भी है कि चितपूर्णी के दुकानदार भी नित के नियम से ही मां का प्रसाद तैयार करते हैं।

संजय कालिया, पुजारी।

------------------

मां का प्रसाद ज्वालामुखी मंदिर में नहीं ले जाया सकता। यह परंपरा कब से है, इस बारे में सटीक जानकारी तो नहीं है। लेकिन ऐसा लंबे समय से चला आ रहा है। मान्यता है कि मां चितपूर्णी सभी देवियों में छोटी हैं। इसलिए मां का भोग अन्यत्र नहीं ले जाया जा सकता।

विजय कालिया, पुजारी

-------------------

यह आज तक रहस्य ही है कि मां चितपूर्णी के दरबार में प्रसाद चढ़ने के बाद स्वाद एक जैसा हो जाता है। सही बात है कि प्रसाद देसी घी से बनता है, लेकिन जब दुकानों में प्रसाद का स्वाद अलग तो मंदिर में भोग लगने के बाद एक जैसा हो जाता है। यह मां की कृपा ही है कि मंदिर में हर श्रद्धालु को एक जैसा प्रसाद ही मिलता है।

-संदीप कालिया, पुजारी

.............

मां चितपूर्णी चिंताएं हरण करने वाली हैं। यहां के प्रसाद का भी महत्व इसलिए है कि प्रसाद का स्वाद हर रोज एक जैसा रहता है। इसके साथ ही ज्वालामुखी मंदिर में भी प्रसाद नहीं ले जाया सकता। मां चितपूर्णी के दरबार में नियमित रूप से आने वाले श्रद्धालुओं को इस बारे में पता है। जो श्रद्धालु यहां पर पहली बार पहुंचते हैं, उन्हें दुकानदार व पुजारी वर्ग बता देता है कि ऐसा नियम है और पालन करना चाहिए।

-जयप्रकाश कालिया, पुजारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.