लगातार सातवें वर्ष चिंतपूर्णी मां को भेंट किया रत्नजड़ित मुकुट
चिंतपूर्णी मंदिर में एक व्यक्ति ने मुकुट भेंट किया है।
नीरज पराशर, चिंतपूर्णी
कोरोना ने भले ही दुनियाभर में लोगों को चिंता में डाल दिया हो मगर आस्था को यह वायरस भी डिगा नहीं पाया है। चिंतपूर्णी मां के दरबार में एक श्रद्धालु ने लगातार सातवें वर्ष रत्नजड़ित मुकुट भेंट किया है। गुजरात के बड़ोदरा शहर का निवासी यह श्रद्धालु सावन महीने में मां चितपूर्णी के दरबार में पिछले छह वर्षो में रत्नजड़ित मुकुट चढ़ा चुका है।
मंदिर के पुजारियों के अनुसार मुकुट पर माणिक जड़ा है। मुकुट की कीमत 40 से 50 हजार रुपये बताई जा रही है। मुकुट भेंट करने वाले श्रद्धालु के नाम व पते के संबंध में किसी को जानकारी नहीं है। हालांकि चितपूर्णी मंदिर के कई पुजारी जानते हैं कि यह श्रद्धालु सावन महीने के किसी भी दिन मंदिर में पहुंचकर मुकुट चढ़ाता है। इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण मां का दरबार गत 17 मार्च से बंद है। सावन अष्टमी नवरात्र मेला भी स्थगित हो गया है। ऐसे में किसी को उम्मीद नहीं थी कि यह श्रद्धालु इस साल मां के दर मुकुट भेंट करेगा। इसी बीच पंजाब के एक व्यक्ति ने स्थानीय पुजारी रोहण कालिया को फोन पर बताया कि गुजरात से मां के भक्त ने मुकुट भेजा है। वह पंजाब व हिमाचल की सीमा के पास आशा देवी मंदिर के निकट मुकुट ले लें। कालिया वहां मुकुट लेने पहुंचे। वहां उन्होने मुकुट देने वाले से पूछा कि उसे किसने भेजा है। उस व्यक्ति ने बताया कि मुकुट गुजरात से उसी श्रद्धालु ने भेजा है जो हर बार सावन में इसे मंदिर में चढ़ाता है। श्रद्धालु ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर ही मुकुट भेजने की व्यवस्था की थी। कालिया को यह समझते देर नहीं लगी कि श्रद्धालु गुजरात के बड़ोदरा का ही है। उन्होंने बताया कि विशेष पूजा के बाद मंदिर के गर्भगृह में स्थित पावन पिडी का श्रृंगार इस मुकुट से ही किया गया।