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आइटीबीपी से सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर की हत्या के तीन दोषियों को आजीवन कारावास

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ऊना ने गगरेट में हुए हत्याकांड मामले में तीन आरोपितों को दोषी ठहराया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 08:48 PM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 06:15 AM (IST)
आइटीबीपी से सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर की हत्या के तीन दोषियों को आजीवन कारावास
आइटीबीपी से सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर की हत्या के तीन दोषियों को आजीवन कारावास

संवाद सहयोगी, ऊना : अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ऊना ने गगरेट में हुए हत्याकांड मामले में तीन आरोपितों को दोषी ठहराया है। दोषियों में पंजाब के होशियारपुर निवासी अमरेंद्र नागरा, युवराज तथा गगरेट निवासी विशाल बंसल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दोषियों में

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धारा 302 के तहत कठोर आजीवन कारावास और 25-25 हजार रुपये जुर्माना, धारा 120बी के तहत कठोर आजीवन कारावास और 25-25 हजार रुपये जुर्माना, धारा 341 के तहत सात-सात साल कठोर कारावास 20-20 हजार रुपये जुर्माना और धारा 201 के तहत तीन-तीन साल साधारण कारावास और पांच-पांच हजार रुपये जुर्माना भुगतना पड़ेगा। जिला न्यायवादी भीष्म पाल ने बताया अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रीति ठाकुर ने तीन दोषियों को सजा सुनाई है।

मामले में आइटीबीपी से सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर कश्मीर सिंह रिटायरमेंट के बाद गगरेट क्षेत्र में एक करियाना की दुकान चलाते थे। 25 मार्च, 2016 की रात करीब साढ़े आठ बजे कश्मीर सिंह दुकान बंद कर मवा सिधियां स्थित अपने घर जा रहे थे। इस दौरान विशाल बंसल ने कार से उनका पीछा किया। अपने दोनों साथियों अमरेंद्र नागरा और युवराज को कश्मीर सिंह की कार में लिफ्ट दी। ये सभी कश्मीर सिंह की जान-पहचान के थे, इसलिए उन्होंने दोनों को गाड़ी में बिठा लिया। करीब 200 मीटर आगे बढ़ने के बाद युवराज और अमरेंद्र ने गाड़ी रुकवा क्लच वायर से कश्मीर सिंह का गला घोंट दिया। हथोड़े से उसके सिर पर वार किए जिससे उसकी मौत हो गई।

दोषियों ने शव को गगरेट-होशियारपुर रोड पर गहरी खाई में फेंक दिया। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एसआइटी की गठित की। अमरेंद्र नागरा व युवराज सिंह को गिरफ्तार किया। उनकी निशानदेही पर मृतक कश्मीर सिंह की कार होशियारपुर से ही बरामद की। पूछताछ में हत्या की साजिश गगरेट के विशाल बंसल द्वारा रचने की बात कबूली। पुलिस ने विशाल बंसल को भी गिरफ्तार कर लिया। न्यायालय में चालान पेश करने के बाद जिला न्यायवादी भीष्म ठाकुर व अतिरिक्त जिला न्यायवादी संजय पंडित ने इस मामले की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में पैरवी की। अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में अदालत में 56 गवाहों के बयान दर्ज हुए।


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