विजिलेंस ने शराब कारोबारी के पति से पूछे नौ सवाल
जिले में शराब के दो कारोबारियों पर लाखों की देनदारी को लेकर चल रहे मामले में मंगलवार को विजिलेंस ने आरोपित महिला शराब कारोबारी के पति से नौ सवालों के जवाब मांगे थे।
जागरण संवाददाता, ऊना : जिले में शराब के दो कारोबारियों पर लाखों की देनदारी को लेकर चल रहे मामले में मंगलवार को विजिलेंस ने आरोपित महिला शराब कारोबारी के पति से नौ सवालों के जवाब मांगे थे। महिला शराब कारोबारी के पति ने सभी सवालों के लिखित जवाब विजिलेंस अधिकारी को सौंप दिए हैं। उधर इस मामले में ही लेनदेन को लेकर महिला शराब कारोबारी के पति की ओर से पुलिस को दी गई शिकायत पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
शराब के कारोबार में करोड़ों रुपये के टैक्स को लेकर जालसाजी का आरोप झेल रही महिला कारोबारी के पति से विजिलेंस ने करीब नौ सवालों के जवाब मांगे थे। इसमें अधिकांश सवाल उनके कारोबार से संबंधित थे। उनका क्या-क्या कारोबार है और कौन कारोबार देख रहे हैं? इसके अलावा कारोबार कब से चल रहे हैं और उनमें कितने लोग रोजगार में लगे हैं? ऐसे कई सवाल पूछे गए थे जिनमें वित्तीय प्रबंधन से जुड़े सवाल भी शामिल थे। आरोपित महिला के पति ने इन तमाम सवालों के लिखित जवाब विजिलेंस को सौंप दिए हैं।
मंगलवार को ही विजिलेंस ने आरोपित महिला के पति के पीएसओ से भी कई सवाल पूछे हैं। विजिलेंस के सवालों को लेकर पीएसओ ने स्पष्ट कहा है कि उनकी ड्यूटी व्यक्ति विशेष की सुरक्षा करना है। इसके अलावा उनका अपने बॉस के व्यवसाय व उनके वित्तीय प्रबंधन व निजी जिदगी के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
विजिलेंस ने इस मामले में कई लोगों से पूछताछ की है। उधर महिला आरोपित के पति द्वारा पुलिस को दी गई एक अन्य शिकायत पर जांच शुरू न होने पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। इस मामले में कुछ दिन से ऊना के सदर पुलिस स्टेशन में शिकायत पहुंची है। इसमें आबकारी एवं कराधान महकमे के कई अधिकारियों को लेकर कई खुलासे किए हैं।
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ऑडिट रिपोर्ट में यह खुलासा
जिले में लाखों रुपये के टैक्स को लेकर गड़बड़ी करने और फर्जी दस्तावेज दिखाकर विभाग से एनओसी हासिल करने के मामले में दो शराब कारोबारियों पर आबकारी एवं कराधान विभाग की शिकायत पर ही विजिलेंस ने यह कार्रवाई की है। इसे लेकर जो रिपोर्ट आबकारी एवं कराधान ने तैयार की थी उसमें बताया गया है कि इन कारोबारियों की कुल देनदारी करीब 2 करोड़ 60 लाख रुपये बनती थी, लेकिन उन्होंने विभाग के पास करीब 31 लाख रुपये की राशि ही जमा कराई थी। ऑडिट में जो ऑब्जेक्शन लगा था उसमें कहा गया था कि इन दो फर्म ने जारी चालान रसीद दिखाकर महकमे को गुमराह करने का प्रयास किया है। इसमें विभाग की चालान रसीदें और खजाने के रिकार्ड का मिलान किया गया तो पाया गया कि इन रसीदों का कोई पैसा खजाने में जमा ही नहीं था। अब जब पड़ताल की गई है तो पाया गया है कि इन फर्मो पर करीब 2 करोड़ 30 लाख रुपये की बकायेदारी है। उधर शराब कारोबारियों ने इस मामले में उनके बैंक खातों को फ्रीज करने की कार्रवाई को गलत करार दिया था। इसके साथ ही उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका न दिए जाने पर भी आपत्ति दर्ज की है।