छवि धूमिल करने वालों पर मानहानि का केस करूंगी : हरप्रिया
जिला में आबकारी एवं कराधान विभाग से संबंधित शराब कारोबारी की फर्म से जुडी हरप्रिया मिहास ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में विभाग की तरफ से मेरे व मेरी फर्म के बारे में कई तरह की बातें उजागर की गई।
जागरण संवाददाता, ऊना : जिला ऊना में आबकारी एवं कराधान विभाग से संबंधित शराब कारोबारी की फर्म से जुड़ी हरप्रिया मिन्हास ने कहा कि कुछ दिन से उनके और फर्म के बारे में कई तरह की बातें कही जा रही हैं। संबंधित विभाग व मीडिया के कुछ लोग उनके ससुर की छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं। वह ऐसे लोगों के खिलाफ मानहानि का दावा करेंगी।
हरप्रिया ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि उन्हें जांच एजेंसी व न्यायिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। मामले की जांच में पूरा सहयोग दिया जाएगा। विभाग ने उनकी फर्म से संबंधित कोई मामला विजिलेंस में दर्ज करवाया था। वह पांच दिन से बीमार थी। ऐसे में मंगलवार को विजिलेंस विभाग के कार्यालय में जांच में शामिल होने के लिए शाम करीब चार बजे पहुंची। अधिकारियों ने उन्हें बुधवार सुबह 10 बजे बुलाया है। उनके पास इस फर्म से संबंधित छुपाने के लिए कुछ नहीं है। उनकी फर्म 17 माह से कार्य कर रही है। 26 जुलाई को आबकारी एवं कराधान विभाग ने किसी विषय को लेकर उन्हें कार्यालय में बुलाया। वह विभाग के कार्यालय में पहली बार गई थी। इस मामले में विभाग हर दिन अलग-अलग स्टेटमेंट जरूर देता रहा। कुछ बातें उन्हें भी विभाग के बारे में पता चली हैं, जिनका खुलासा समय आने पर किया जाएगा।
-------------
युवा समर्थकों ने पक्ष में की नारेबाजी
हरप्रिया मिन्हास की फर्म के खिलाफ आबकारी एवं कराधान की कार्रवाई के बीच बुधवार को उनके ससुर पूरे परिवार के साथ चताड़ा में अपने बेटे के आवास पर पहुंचे। जैसे ही वह पहुंचे तो काफी संख्या में एकत्रित हुए युवाओं ने उनके पक्ष में नारेबाजी करनी शुरू कर दी। हालांकि युवाओं को ऐसा करने से रोका गया, लेकिन वह काफी देर तक डटे रहे। युवाओं ने जांच एजेंसी से मांग की है कि वह विभाग के अधिकारियों को भी इस जांच में शामिल करें, ताकि पूरी सच्चाई सामने आ सके।
---------------
यह है मामला
ऊना में लाखों रुपये की टैक्स गड़बड़ी और फर्जी दस्तावेज दिखाकर आबकारी एवं कराधान विभाग से एनओसी हासिल करने के मामले में दो शराब कारोबारियों के खिलाफ विजिलेंस ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। रिपोर्ट में बताया कि इन कारोबारियों की कुल लेनदारी दो करोड़ 60 लाख रुपये बनती थी, लेकिन उन्होंने विभाग के पास करीब 31 लाख रुपये की राशि ही जमा करवाई। ऑडिट में जो आपत्ति लगी थी उसमें कहा था कि इन दो फर्म ने जाली चालान रसीद दिखाकर गुमराह करने का प्रयास किया है।