ऊना शराब प्रकरण में नया खुलासा, अब कसा जाएगा कड़ा कानूनी शिकंजा
ऊना में हुए पेखूबेला शराब प्रकरण जांच में नया खुलासा हुआ है जांच में उनके आरोप झूठे साबित हुए हैं।शराब के नमूनों की फॉरेंसिक रिपोर्ट का अभी इंतजार है।
रमेश सिंगटा, शिमला। ऊना जिले के पेखूबेला शराब प्रकरण की सीआइडी जांच में नया खुलासा हुआ है। मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक ऊना सदर के कांग्रेस विधायक सतपाल रायजादा के स्टाफ से मारपीट नहीं हुई थी। स्टाफ कर्मियों के शरीर पर चोटों के निशान नहीं पाए गए हैं, जबकि ऊना पुलिस के कर्मियों को चोटें आई हैं। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में इन चोटों को दर्शाया गया है। इससे विधायक के स्टाफ पर कड़ा कानूनी शिकंजा कसेगा। जांच में उनके आरोप झूठे साबित हुए हैं।
सीआइडी को अब शराब के नमूनों की फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के आदेश पर पूरे मामले की जांच एसपी क्राइम रमन मीणा कर रहे हैं। हर पहलू की बारीकी से तफ्तीश जारी है। यह जांच आइजी क्राइम की निगरानी में हो रही है। जांच में ऊना के विधायक सतपाल रायजादा के निजी सहायक (पीए) मुकेश, निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) मोहिंदर सिंह, चालक विजय कुमार समेत चारलोगों पर पुलिस टीम के साथ की गई मारपीट के आरोप सही पाए गए हैं। आरोपितों को हथकड़ी भी नियमों के अनुसार लगाई गई। इनमें ऊना पुलिस ने पुलिस एक्ट-2007 के प्रावधानों का इस्तेमाल किया।
माफिया पर कार्रवाई से रोका
जांच में विधायक के स्टाफ की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं। उन्होंने पुलिस को माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने से क्यों रोका? क्यों विधायक का स्टाफ होने की धौंस दिखाई? यह सब जांच के दायरे में हैं। हालांकि विधायक के स्टाफ ने ऊना पुलिस पर भी मारपीट करने के आरोप लगाए थे।
क्या है मामला
शराब माफिया के पक्ष में पुलिस के साथ मारपीट के आरोप में ऊना के विधायक सतपाल रायजादा के पीए मुकेश, पीएसओ मोहिंद्र सिंह, चालक विजय कुमार समेत चार आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी ऊना पुलिस ने की थी। आरोप है कि 12 अगस्त की रात को गोपनीय सूचना के आधार पर पेखुबेला में एक कार से 12 पेटी और एक बोरी में रखी गई अवैध शराब बरामद की गई थी। इस दौरान माफिया से संबंधित लोग पुलिस से उलझ गए।
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आरोपों के अनुसार मारपीट करने में विधायक के पीए, पीएसओ, ड्राइवर भी शामिल थे। कांग्रेस ने गिरफ्तारी पर सवाल उठाए थे। कांग्रेस विधायकों ने ऊना के एसपी को पद से बर्खास्त करने की मांग उठाई। यह मुद्दा राज्य विधानसभा में भी जोरदार तरीके से उठा था।
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