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मतदान के बाद दोनों ही प्रमुख दलों में अब जीत के दावे

जिले में रिकार्ड मतदान के बाद भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने जीत के दावे किए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 May 2019 08:25 PM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 06:33 AM (IST)
मतदान के बाद दोनों ही प्रमुख दलों में अब जीत के दावे
मतदान के बाद दोनों ही प्रमुख दलों में अब जीत के दावे

राजेश शर्मा, ऊना

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जिले में रिकार्ड मतदान के बाद भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने जीत के दावे किए हैं। हालांकि इस जिले में आंकड़ों की बात करें तो अधिक मतदान कोई स्पष्ट रुझान भी नहीं दे पाया है। दोनों ही प्रमुख दलों के नेताओं की ओर से सुबह से ही प्रमुख मतदान केंद्रों पर पहुंचकर मतदाताओं के उत्साह से माहौल का आकलन भी किया जाने लगा था। शाम होते होते सभी नेता अपने-अपने चुनाव क्षेत्रों में डटे रहे। मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी दोनों ही दलों की ओर से अपने समर्थकों से बूथ स्तर की रिपोर्ट मांगी जा रही थी।

रिकार्ड मतदान करके जिले के मतदाताओं ने नेताओं की चिताओं को कम नहीं होने दिया है। भाजपा की ओर से इस मतदान को देश में मोदी और राष्ट्रवाद के प्रति लोगों का रुझान करार देकर कार्यकर्ताओं के उत्साह को 23 मई तक बनाए रखने का प्रयास किया है। उधर कांग्रेस ने रिकार्ड मतदान को सीधे सीधे केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ जनादेश करार देकर अपनी उम्मीदों को जीवित रखा है। हालांकि जिले के कई मतदान केंद्रों पर आम मतदाताओं के रुझानों की बात करें तो उनमें वर्ष 2014 की तुलना में वर्ष 2019 के आम चुनाव में मोदी लहर का प्रभाव कम होने की बात की है। हालांकि उन्होंने यह भी माना है कि कहीं न कहीं मोदी के नाम के दम पर ही भाजपा का प्रदर्शन निर्भर करेगा। भाजपा नेताओं की ओर से देर शाम तक भी अपने बूथ के नेताओं से फीडबैक ली जा रही थी।

उधर कांग्रेस की ओर विधानसभा क्षेत्रों में नेताओं की अधिक सक्रियता देखने को नहीं मिली। बूथों की रिपोर्ट को लेकर भी दो से तीन विधानसभा क्षेत्रों में नेताओं की सक्रियता रही, शेष दो विधानसभा क्षेत्रों में तो बूथ रिपोर्ट के बारे में स्थानीय नेताओं ने रिपोर्ट को लेकर चर्चा करने में भी कोई विशेष दिलचस्पी नहीं दिखाई। हालांकि दावों की बात करें तो सोशल मीडिया हो अथवा पार्टियों की साइट पर ऐसे नेता पूरी तरह से खुद को अपडेट रख रहे थे। कई नेताओं की प्रतिष्ठा उनके बूथों पर भी दांव में लगी हुई थी। जिन हलकों में कांग्रेस को हार मिली थी वहां अपना रिपोर्ट कार्ड सुधारने के लिए जो व्यवस्थाएं होनी चाहिए थी वहां ऐसी व्यवस्थाएं भी दोनों सियासी दलों की ओर से देखने को नहीं मिल रही थीं। हालांकि सदर विधानसभा हलके में सतपाल सत्ती के समर्थकों को प्रत्येक बूथ पर सक्रिय भूमिका में देखा गया।

जिले में इस दफा मतदान केंद्रों के बाहर सियासी दलों के बूथ बहुत कम लगे थे। चुनाव आयोग की ओर से मतदान के लिए मतदाता की पर्चियों को सीधे घर पर पहुंचाने की व्यवस्था की गई थी। इस वजह से भी मतदान केंद्रों पर मामूली झड़प के होने का भी समाचार नहीं है। मतदान केंद्रों के बाहर जहां बूथ लगे भी थे वहां संबंधित सियासी दलों के स्थानीय नेता अकेले बैठे देखे जा रहे थे। लोग सीधे घर से अपना वोट देने मतदान केंद्र में पहुंच रहे थे और चुनाव आयोग की इस व्यवस्था से संतुष्ट भी नजर आए। कुछ लोगों को ईवीएम में वोटिग करने में दिक्कत भी आ रही थी। बटन दबाने के बाद वीप की आवाज आने में वक्त लगने से मतदाता मशीन के बटन बार-बार भी दबाते रहे। इक्का दुक्का मशीनों में भी इस वजह से कुछ दिक्कत पेश आई। उधर मतदाताओं की मतदान के लिए पहचान पत्र को लेकर भी असमंजस की स्थिति कई बूथों पर देखी गई। निर्वाचन विभाग की ओर से वोटर स्लिप दिखाने के बावजूद भी अलग से पहचान पत्र मांगने पर कुछ मतदाताओं की बहस और नाराजगी भी देखने को मिली।


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