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चंद पैसों के लालच में दुकानदार कर रहे हैं ये काम, ग्राहक है अंजान

चंद पैसे बचाने के लिए दुकानदार खाद्य सामग्री पेपर में लपेटकर दे रहे हैं जिससे लोगों में कैंसर का खतरा बढ़ रहा है।

By BabitaEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 09:33 AM (IST)Updated: Fri, 26 Oct 2018 09:33 AM (IST)
चंद पैसों के लालच में दुकानदार कर रहे हैं ये काम, ग्राहक है अंजान
चंद पैसों के लालच में दुकानदार कर रहे हैं ये काम, ग्राहक है अंजान

सोलन, सुनील शर्मा। प्रदेश के सभी बाजारों में अकसर जलेबी, पकौड़े, मोमोज आदि पेपर में लपेटकर खाना आपको मौत की तरफ धकेल सकता है। चंद पैसों की बचत कर दुकानदार लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। जानकारी के अभाव में लोग भी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। 

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प्रदेश में फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड एक्ट लागू होने के बाद से इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। लेकिन स्टाफ की कमी और जागरूकता के अभाव में अब भी इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। प्रदेश में भी केमिकल के इस्तेमाल से कैंसर के मरीज बढ़ने लगे हैं। सब्जियों व फलों में भी इसका इस्तेमाल होता है। इस कारण कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके अलावा पेपर में लपेट कर तेल से तैयार पदार्थों को खाने से भी कैंसर के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है।

अकसर घरों में भी जब फॉयल पेपर खत्म हो जाता है तो गर्म चपाती को भी पेपर में लपेट दिया जाता है। बाजारों में भी मोमोज, जलेबी व पकौड़े आदि अखबार में डालकर ग्राहकों को सौंप दिए जाते हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग के पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है। इस कारण दुकानदार चंद पैसों की बचत के लिए पेपर में तैलीय पदार्थ लपेटकर ग्राहकों को थमा रहे हैं। 

क्या है कारण

न्यूज़पेपर पर छपाई के लिए जिस स्याही का इस्तेमाल किया जाता है, उसमें डाई आइसोब्यूटाइल फटालेट, डाइएन आईसोब्यूटाइलेट, ग्रेफाइट आदि तत्व होते हैं। ये इतने खतरनाक तत्व हैं कि इनकी बहुत छोटी मात्रा भी आपके शरीर में कैंसर जैसे घातक रोग पैदा कर सकती है। भोजन के साथ जब ये तत्व आपके शरीर में पहुंचते हैं, तो आपके नर्वस सिस्टम में पहुंचकर पूरे शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

खुले में मसाले व खुला तेल बेचना प्रतिबंधित है। इसके अलावा पेपर में भी तेलीय व गर्म खाद्य पदार्थ डालकर बेचने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया गया है। यदि कोई दुकानदार ऐसा करता पकड़ा गया तो उसे फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड एक्ट 2006 के तहत दो लाख रुपये तक जुर्माना किया जा सकता है। उनके पास फूड सेफ्टी अफसर नहीं है। इस कारण मैदानी स्तर पर कार्य कम हो रहा है। हालांकि वह समय-समय पर दौरा करते रहते हैं।

-लीला धर ठाकुर, स्वास्थ्य सुरक्षा विनियमन के डेजीग्नेटिड अधिकारी

सोलन में कैंसर यूनिट जनवरी 2017 में शुरू किया गया था। अब तक 128 कैंसर के मामले उनके पास आ चुके हैं। इनमें से कुछ मरीजों की मौत हो चुकी है। कैंसर का मुख्य कारण केमिकल युक्त भोजन, फल व सब्जियां खाना भी है। इस बीमारी का इलाज तभी संभव है अगर इसका समय पर पता चल सके।

-डॉ. संजीव गुप्ता, प्रभारी, कैंसर यूनिट सोलन


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