बजट में पहाड़ी राज्यों के उद्योगों को मिलनी चाहिए थी रियायत
हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक संघों ने भारत में पेश आम बजट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
By BabitaEdited By: Published: Fri, 02 Feb 2018 11:49 AM (IST)Updated: Fri, 02 Feb 2018 02:20 PM (IST)
v style="text-align: justify;">सोलन, जागरण संवाददाता। भारत सरकार के आम बजट में पहाड़ी राज्यों में स्थापित उद्योगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। बंदरगाह व मैदानी इलाकों में स्थापित कंपनियों के साथ पहाड़ी राज्यों में मौजूद कंपनियों को इस प्रतिस्पर्धात्मक दौर में गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक संघों ने भारत में पेश आम बजट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। औद्योगिक संघों ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि सरकार उन्हें कुछ रियायत देती, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। भारत के सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम के लिए आयकर में पांच फीसद छूट देते हुए सरकार ने इसे 30 फीसद से 25 फीसद किया है लेकिन इसका भी लाभ सभी एमएसएमई उद्योगों को नहीं मिला है। औद्योगिक संघों का कहना है कि अगर भारत सरकार ऐसी छूट दे रही थी तो उन्हें यह छूट एमएसएमई के तहत पंजीकृत प्रोपराइटर व पार्टनरशिप कंपनियों को भी देनी चाहिए।
इंडस्ट्री स्पेस्फिक कुछ नहीं: संजय बत्रा
लघु उद्योग भारती के बद्दी अध्यक्ष संजय बत्रा ने कहा कि यह बजट आम मायने में तो बेहतर है लेकिन इंडस्ट्री स्पेस्फिक नहीं है। उद्योगों के लिए इस बजट में कुछ खास नहीं है। हिमाचल प्रदेश का उद्योग जगत बुरे दौर से गुजर रहा है। उन्हें उम्मीद थी कि बिजली या फिर ट्रांस्पोर्ट में उन्हें सब्सिडी मिलेगी, लेकिन कुछ नहीं मिला। हर तरह के माइक्रो उद्योगों को रियायतें मिलती तो भारत का विकास तो होता ही साथ बेरोजगार युवाओं को भी नौकरी मिलती। छोटे उद्योगों को लोन सस्ती दर पर मिलना चाहिए था ताकि बेरोजगार अपना रोजगार शुरू कर देश निर्माण का हिस्सा बन सकते।
देश के कोने पर बैठे उद्यमी निराश: राजेश गुप्ता
हिमाचल प्रदेश ड्रग मेन्यूफेक्चर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने कहा कि भारत के कोने में बैठे उद्यमी इस बजट से निराश हैं। प्रतिस्पर्धा के दौर में पहाड़ों व महानगरों से दूर बैठे उद्यमियों को इस बजट से अनेक उम्मीदें थी लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी है। राजेश गुप्ता ने कहा कि मोदी सरकार का यह बजट दूरगामी जरूर है जिसकेपरिणाम देरी से आएंगे लेकिन हिमाचल समेत अन्य पहाड़ी राज्यों में बसे उद्योगों को रियायतों की आस थी। इसमें बिजली में छूट, मशीनरी पर सब्सिडी या फिर ट्रांस्पोर्ट जैसी सब्सिडी शामिल थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।
लघु और मझोले उद्योग देश की रीढ़ की हड्डी हैं। इस क्षेत्र में देश के 60 प्रतिशत लोग काम करते हैं। सरकार को भी सबसे ज्यादा कर इन्हीं उद्योगों से मिलता है। छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बजट में जीएसटी, आयकर और सस्ते ब्याज पर ऋण में राहत मिलने की पूरी उम्मीद थी लेकिन लघु उद्योग जगत को निराशा हाथ लगी है। जीएसटी से सबसे ज्यादा लघु उद्योगों का ही कारोबार प्रभावित हुआ है। बजट में लघु उद्योग को रियासत न देकर लाखों कारोबारियों को निराश किया गया है।
सतीश शर्मा, सदस्य, अम्ब उद्योग संघ
वित्त मंत्री ने लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए आम बजट में कोई विशेष प्रबंध नहीं किया है। हालांकि 50 करोड़ तक का वार्षिक कारोबार करने वाली छोटी कंपनियों का आयकर घटाकर 25 फीसद करने का प्रस्ताव भी रखा है। कारपोरेट टैक्स में सरकार ने लघु और सीमांत उद्योंगों के लिए टैक्स 30 प्रतिशत से कम कर 25 प्रतिशत किया है। वहीं 250 करोड़ से कम टर्नओवर वाली कंपनियों को अब 25 प्रतिशत कारपोरेट टैक्स देना होगा।
राकेश कौशल, अध्यक्ष, हरोली औद्योगिक संघ
यह भी पढ़ें: बजट 2018: रेल व हवाई सेवा को उम्मीद के पंख
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें