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ट्रक हड़ताल : पांचवें दिन भी नहीं निकला हल, उद्यमियों की उड़ी नींद

ट्रकों की हड़ताल के मामले पर अब उद्यमियों ने भी प्रदेश व केंद्र सरकार को पलायन तक की धमकी दे दी है।

By BabitaEdited By: Published: Wed, 25 Jul 2018 11:47 AM (IST)Updated: Wed, 25 Jul 2018 12:07 PM (IST)
ट्रक हड़ताल : पांचवें दिन भी नहीं निकला हल, उद्यमियों की उड़ी नींद
ट्रक हड़ताल : पांचवें दिन भी नहीं निकला हल, उद्यमियों की उड़ी नींद

परवाणू, जेएनएन। प्रदेश में ट्रक ऑपरेटर यूनियन की हड़ताल के पांचवें दिन औद्योगिक कारोबार 1500 करोड़ के नुकसान पर पहुंच गया है। अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चल रहे ट्रक ऑपरेटरों के सख्त रूख से अब उद्योग जगत की नींद उड़ गई है। उद्योगों पर संकट के बादल छा गए हैं। उद्योगों का कारोबार अब लगभग 80 फीसद ठप हो गया है। उद्योगों के पास मौजूद रॉ मैटीरियल अब समाप्त हो चुका है वहीं तैयार माल से भी सभी स्टोर रूम फुल हो चुके हैं। ऐसे में उद्योगों के कर्मियों के पास कोई काम नहीं है। ट्रकों की हड़ताल के मामले पर अब उद्यमियों ने भी प्रदेश व केंद्र सरकार को पलायन तक की धमकी दे दी है।

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उद्यमियों का कहना है कि पहले जीएसटी से परेशानियां हुई, उसके बाद ट्रक आपरेटरों की गुटबाजी और फिर अब देश व्यापी हड़ताल ने उद्यमियों की मुसीबतें बढ़ा दी है। उद्यमियों ने सरकार से इस मामले को जल्द से जल्द समाप्त करवाने की मांग की है। प्रदेश के बड़े औद्योगिक क्षेत्र बद्दी नालागढ़ में ही करीबन 800 करोड़ रुपये का नुकसान कारोबारियों का हो चुका है। इसी तरह परवाणू में प्रति दिन 50 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। 

जिला में करीबन 20 हजार ट्रकों ने पांच दिन से कोई माल नहीं उठाया है। ट्रक आपरेटरों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाती है तब तक हड़ताल जारी रहेगी। बीबीएन के दो हजार उद्योग ट्रकों की हड़ताल के चलते काफी प्रभावित हो रहे हैं। सबसे अधिक मुश्किल गत्ता उद्योग की बनी हुई है। गत्ता उद्योग संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मुकेश जैन ने कहा कि कच्चा माल नहीं मिलने से कारोबार प्रभावित हो गया है। 

बीबीएनआईए के अध्यक्ष शैलेष अग्रवाल ने बताया कि अभी तक ट्रक संचालकों की हड़ताल से औद्योगिक क्षेत्र को साढे सात सौ करोड़ रुपये का नुकसान अभी हो चुका है। उन्होंने कहा कि ट्रक संचालक कंपनियों के वाहन को रोक रहे है। दूसरी ओर से नालागढ़ ट्रक आपरेटर यूनियन के प्रधान विद्या रतन चौधरी ने बताया कि हड़ताल से ट्रक आपरेटरों को भी दस करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। उधर, दाड़लाघाट व बागा की दोनों सीमेंट फैक्टरियों को प्रतिदिन करोड़ों रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है। दाड़लाघाट ट्रांसपोर्ट के एसडीटीओ के प्रधान रत्न मिश्रा, एडीकेएम के प्रधान बालक राम शर्मा ने कहा कि हड़ताल जिले में जारी रही।ट्रक ऑपरेटर यूनियन परवाणू के प्रधान हरदीप बावा ने कहा कि हड़ताल से केवल उद्योगों का ही नहीं ऑपरेटरों का भी खासा नुकसान होने लगा है।

परवाणू इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष सुबोध गुप्ता ने कहा कि सरकार को हस्तक्षेप कर यूनियन को अवैध घोषित कर खत्म करना चाहिए। जीएसटी के चलते अधिकतर उद्योग परवाणू से पलायन कर चुके हैं, ऐसे में इस प्रकार की हड़ताल व यूनियनबाजी के चलते अन्य उद्योगों को भी मजबूरन पलायन करना पड़ सकता है।


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