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फूड प्रोसेसिग यूनिट नहीं, वादों में पीसा टमाटर

शिमला संसदीय क्षेत्र के सिरमौर शिमला और सोलन में टमाटर की उत्पादन क्षमता प्रदेश में पैदा होने वाले टमाटर के आधे से भी अधिक है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 08:47 AM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 08:47 AM (IST)
फूड प्रोसेसिग यूनिट नहीं, वादों में पीसा टमाटर
फूड प्रोसेसिग यूनिट नहीं, वादों में पीसा टमाटर

सुनील शर्मा, सोलन

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सिरमौर, शिमला और सोलन में टमाटर की उत्पादन क्षमता प्रदेश में पैदा होने वाले टमाटर के आधे से भी अधिक है। यही वजह है कि कई वर्ष से टमाटर प्रोसेसिग यूनिट की मांग इस संसदीय क्षेत्र में की जा रही है। हैरानी की बात है कि दो दशक बीत गए, लेकिन यह मुद्दा वहीं का वहीं अटका है। जिला सोलन व सिरमौर के किसानों की आर्थिक रीढ़ माना जाने वाला लाल सोना यानी टमाटर आज भी मंडियों में बिकने तक ही सीमित है। कम उत्पादन पर तो किसानों को टमाटर का उचित मूल्य मिल जाता है, लेकिन जब एक साथ टमाटर की पैदावार होती है तो किसानों को लागत मूल्य से भी कम दाम में टमाटर बेचने पर विवश होना पड़ता है। करीब दो दशक से जिला में टमाटर पर आधारित फूड प्रोसेसिग यूनिट स्थापित करने की घोषणाओं को किसान सुनता आ रहा है, लेकिन आज तक इस यूनिट को लगाने के लिए किसी ने पहल नहीं की।

लाल सोने का उत्पादन करने में अग्रणी सिटी ऑफ रेड गोल्ड सोलन को अब भी टमाटर आधारित फल विधायन संयंत्र का इंतजार है। जिला को न तो संयंत्र मिला और न ही टमाटर का समर्थन मूल्य तय हुआ। हालांकि लंबे समय से विभिन्न किसान संगठन इसकी मांग करते आ रहे हैं, लेकिन बात कभी आश्वासन से आगे नहीं बढ़ी। वर्तमान मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक इस दिशा में पहल करने की बात कह चुके हैं, पर हकीकत ये है कि चुनाव के बाद इस विषय पर कभी सार्थक चर्चा तक नहीं होती। न सांसद और न ही स्थानीय मंत्रियों व विधायकों ने कभी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाने की जहमत समझी। प्रदेश के कुल टमाटर उत्पादन का 40 फीसद से अधिक टमाटर अकेले सोलन जिला में पैदा होता है। वहीं शिमला संसदीय क्षेत्र के जिला सिरमौर का योगदान कुल उत्पादन का करीब 30 फीसद है। यहां के हजारों परिवार जीवन यापन के लिए टमाटर की खेती पर आश्रित हैं। हालांकि अब टमाटर का उत्पादन निचले हिमाचल में भी आरंभ हो चुका है, लेकिन सोलन जिला के टमाटर की अपनी अलग पहचान है।

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सोलन की हैप्पी वैली यानी कायलर, घट्टी, कोठी, बैरटी, जगातखाना और देवठी के अलावा जौणाजी, नौणी, सलोगड़ा, मनसार, कंडाघाट, चायल, वाकनाघाट, छावशा, प्राथा, बनासर के अलावा गंभरपुल, हरिपुर, कुठाड़, कंडा हुड़ंग, कैंथड़ी, डगशाई व अन्य क्षेत्रों में टमाटर का उत्पादन होता है। इसके अलावा अब तो गर्म इलाकों में लोग टमाटर का उत्पादन करने लगे हैं। वैसे सोलन से टमाटर पाकिस्तान भी निर्यात किया जाता है, लेकिन सीमा पर तनाव की स्थिति में व्यापारी निर्यात से परहेज करते हैं, जिसका खामियाजा किसानों को भी भुगतना पड़ता है। ऐसे में स्थानीय फूड प्रोसेसिग यूनिट होने से किसानों का आर्थिक नुकसान कम किया जा सकता है।

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प्रधानमंत्री व गृहमंत्री कर चुके हैं वकालत

सोलन में टमाटर आधारित फूड प्रोसेसिग यूनिट करीब दो दशक से चुनावी मुद्दा है। अमूमन हर चुनाव में किसान का वोट हथियाने के लिए फूड प्रोसेसिग यूनिट का ख्वाब दिखाया जाता है, लेकिन बाद में उन घोषणाओं पर कोई अमल नहीं होता। वर्तमान गृहमंत्री राजनाथ सिंह वर्ष 2007 में जब विधानसभा चुनाव में भाजपा के समर्थन में प्रचार पर आए थे तो उन्होंने पुराने बस अड्डे पर अपनी चुनावी जनसभा में कहा था कि भाजपा को जिला की पांच सीटें मिली तो सोलन में फूड प्रोसेसिग यूनिट की स्थापना की जाएगी। लोगों ने पांचों सीटों पर भाजपा को भारी मतों से जीत दिलाई। प्रदेश में भाजपा की सरकार भी बनी, लेकिन नहीं बना तो बस फूड प्रोसेसिग यूनिट। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने ठोडो ग्राउंड की जनसभा में इसी मुद्दों को फिर से हरा किया था, लेकिन आज तक जिला का किसान अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है।


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