भाई के बाद भतीजा भी सेना के लिए तैयार, 20 वर्ष की उम्र में शहीद हो गए थे सिपाही धर्मेंद्र्र सिंह
सोलन के रहने वाले शहीद धर्मेंद्र्र सिंह मात्र 20 वर्ष की उम्र शहीद हो गए थे शहीद धर्मेंद्र के परिवार में अगली पीढ़ी भी सेना में जाने को बेकरार है।
By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 02:17 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 02:17 PM (IST)
v style="text-align: justify;">सोलन, मनमोहन वशिष्ठ। भारत-पाक कारगिल युद्ध में सोलन जिला के भी दो वीर सैनिकों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था। कसौली तहसील के बुघार कनैता गांव के सिपाही धर्मेंद्र्र सिंह व नालागढ़ तहसील के पंदल गांव निवासी राइफलमैन प्रदीप कुमार ने देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया था। दोनों ही जवान अविवाहित थे। दोनों के परिवार से सेना में जाने के लिए अगली पीढ़ी तैयार है, लेकिन परिवार वाले सरकार और प्रशासन की अनदेखी से दुखी हैं।
शहीद धर्मेंद्र्र सिंह के पिता नरपत राम ने बताया कि धर्मेंद्र मात्र 20 वर्ष की उम्र में ही देशसेवा करते हुए कारगिल युद्ध में 30 जून, 1999 को शहीद हो गए थे। उनका कहना है कि जब बेटा शहीद हुआ था तो वह उससे सात माह पहले मिले थे। उस समय फोन पर बात नहीं होती थी बल्कि पत्र लिखकर ही संदेश पहुंचाया जाता था।
नरपत ने कहा कि उनका बेटा थर्ड पंजाब बटालियन में सिपाही था और करगिल में ही तैनात था। वह अवकाश पर आने को कह रहा था लेकिन इस दौरान ही युद्ध की घोषणा हो गई। जब भी करगिल विजय
दिवस आता है तो बेटे को याद किया जाता है, ऐसा लगता है कि उनका बेटा आज भी उनके बीच ही है। नरपत राम ने बताया कि धर्मेंद्र के शहीद होने के दो साल बाद ही उनका छोटा बेटा जोगेंद्र कुमार भाई की शहादत से प्रेरणा लेकर सुबाथू में सेना में भर्ती हो गया। अब वह भी सेवानिवृत्त हो गया है।
शहीद धर्मेंद्र के परिवार में अगली पीढ़ी भी सेना में जाने को बेकरार है। उनके भतीजे 22 वर्षीय राहुल वर्मा पुलिस भर्ती की शारीरिक दक्षता परीक्षा पास कर चुके हैं और अब लिखित परीक्षा होगी। दूसरे भतीजे 18 वर्षीय कमलजीत ने भी सेना की भर्ती में मैदान टेस्ट व लिखित परीक्षा पास कर ली है। उन्होंने कहा कि गांव में आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी की मांग 18 साल से सरकार से की जा रही है। पर पूरी नहीं हुई है।
शहीद प्रदीप के गांव की सड़क अब भी कच्ची
नालागढ़ तहसील के बधोखरी पंचायत के पंदल गांव निवासी शहीद राइफल मैन प्रदीप कुमार नौ जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान देश सेवा करते हुए शहीद हो गए थे। शहीद के पिता जगरनाथ ने बताया कि प्रदीप कुमार 4 जेक राइफल्स में कुपवाड़ा में तैनात थे। इसी दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया और बेटे के विवाह की तैयारियां धरी की धरी रह गई। उन्होंने बताया कि वह भी सेना में रहे और उनका बड़ा बेटा भी सेना में रहा है। इसके बाद छोटा बेटा प्रदीप कुमार सेना में भर्ती हुआ था और 23 साल की उम्र में ही वीरगति को प्राप्त हो गया था।
जगरनाथ कहते हैं कि उनके बेटे ने देश की रक्षा के लिए प्राण त्याग दिए। इसके बाद सड़क घर तक पहुंचाने की मांग हुई जो पूरी नहीं हुई। उन्होंने व ग्रामीणों ने मिलकर साढ़े तीन किलोमीटर लंबी दिग्गल से पंदल शहीद प्रदीप कुमार सड़क अपने स्तर पर बनाई, लेकिन यह अब भी कच्ची है। बधोखरी पंचायत प्रधान शांति देवी ने कहा कि प्रदीप कुमार को शहीद हुए 20 वर्ष हो गए, लेकिन सरकार व प्रशासन तीन किलोमीटर लंबे दिग्गल से पंदल शहीद प्रदीप कुमार रोड को पक्का नहीं करवा पाए हैं।
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