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अस्‍पताल से छुट्टी मिलने के बाद दिल्‍ली लौटी बलजीत कौर, कहा- माइनस 45 डिग्री में भी नहीं छोड़ी थी उम्मीद

हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के ममलीग गांव की निवासी पर्वतारोही बलजीत कौर नेपाल के काठमांडु स्थित अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद दिल्ली लौट आई हैं। दैनिक जागरण के साथ दिल्ली से मोबाइल फोन पर बातचीत में पूरे घटनाक्रम के बारे में बातचीत की।

By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaPublished: Fri, 28 Apr 2023 10:36 AM (IST)Updated: Fri, 28 Apr 2023 10:36 AM (IST)
अस्‍पताल से छुट्टी मिलने के बाद दिल्‍ली लौटी बलजीत कौर, कहा- माइनस 45 डिग्री में भी नहीं छोड़ी थी उम्मीद
अस्‍पताल से छुट्टी मिलने के बाद दिल्‍ली लौटी बलजीत कौर

जागरण संवाददाता, सोलन : माउंट अन्नपूर्णा चोटी फतह कर वापसी के दौरान लापता होने के बाद दृढ़ हौसले से जीवन की लड़ाई लड़ने वाली हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के ममलीग गांव की निवासी पर्वतारोही बलजीत कौर नेपाल के काठमांडु स्थित अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद दिल्ली लौट आई हैं। बलजीत कुछ दिन स्वास्थ्य लाभ लेने के बाद फिर से पर्वतारोहण मिशन पर लौटने के लिए उत्सुक हैं।

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बलजीत ने पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया

दैनिक जागरण के साथ दिल्ली से मोबाइल फोन पर बातचीत में पूरे घटनाक्रम के बारे में बातचीत की। बलजीत ने बताया, ‘मैं 16 अप्रैल को बेस कैंप से माउंट अन्नपूर्णा के लिए रवाना हुई थी। मेरे साथ शेरपा भी था। शेरपा के साथ 17 अप्रैल को सायं करीब पांच बजे माउंट अन्नपूर्णा पहुंच गई थी। वापस आने लगे तो अचानक शेरपा मुझे छोड़कर वहां से गायब हो गया। रात करीब 11 बजे मुझे आभास हुआ कि रास्ता भटक गई हूं और सेटेलाइट संपर्क भी टूट चुका था।

यह मेरे लिए सबसे मुश्किल समय था, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। -45 डिग्री तापमान में मैं धीरे-धीरे नीचे उतर रही थी। जैसे-जैसे रात बढ़ती गई तेज हवा और बर्फीला तूफान चलना शुरू हो गया। ऐसा लग रहा था कि मेरे आसपास काफी लोग हैं और वे आपस में बात कर रहे हैं। मैंने 16 अप्रैल को यात्रा पर रवाना होने से पहले चाकलेट खाई थी। लगातार तीसरा दिन कुछ नहीं खाया था।

साहस के साथ आगे बढ़ती रही थी बलजीत कौर

पानी की बोतल भी खाली हो चुकी थी। मेरे पास खाने-पीने के लिए कुछ नहीं था और न ही आक्सीजन थी। मैं धीरे-धीरे चल रही थी। 10 मीटर सफर तय करने के बाद मैं थोड़ा रुक जाती और फिर साहस के साथ आगे बढ़ती। 18 अप्रैल को सुबह करीब आठ बजे मैंने सेटेलाइट मैसेज सहायता के लिए भेजा। इसके बाद भी धीरे-धीरे नीचे की ओर चलती रही। करीब एक बजे रेस्क्यू टीम मेरे पास पहुंच गई थी। उम्मीद ने मुझे इस मुसीबत से बाहर निकाला है।’


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