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अर्की अस्पताल चल रहा रामभरोसे

अर्की का एकमात्र मुख्य अस्पताल का नवनिर्मित भवन बीमार पड़ा है। पूर्व में यह अस्पत

By JagranEdited By: Published: Wed, 31 Oct 2018 04:27 PM (IST)Updated: Wed, 31 Oct 2018 04:39 PM (IST)
अर्की अस्पताल चल रहा रामभरोसे
अर्की अस्पताल चल रहा रामभरोसे

संवाद सूत्र, अर्की : अर्की का एकमात्र मुख्य अस्पताल का नवनिर्मित भवन बीमार पड़ा है। पूर्व में यह अस्पताल मात्र 25 बिस्तरों का था लेकिन स्थानीय लोगों की माग पर पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान विधायक वीरभद्र सिंह द्वारा चार मंजिला 100 बिस्तरों के अस्पताल का निर्माण करवाया गया।

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इतना बड़ा अस्पताल होने के बावजूद लोगों को संपूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। लोगों को निजी व झोलाछाप चिकित्सकों के मकड़जाल में फस कर पैसे लुटाने पड़ रहे हैं। शिमला, सोलन अथवा प्राइवेट अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ रहे है। ज्ञात रहे कि 100 बिस्तर के अस्पताल में कम से कम 15 चिकित्सकों का होना आवश्यक है मगर यहां छह ही सेवाएं रहे हैं। ये डॉक्टर रात दिन ओपीडी, ऑपरेशन, वार्ड में मरीजो के स्वास्थ्य निरीक्षण के साथ पोस्टमार्टम व वीआईपी ड्यूटी भी दे रहे हैं। इस अस्पताल ऑर्थो, चाइल्ड, मेडिसन डॉक्टर के अलावा बीएमओ भी नहीं है। 100 बिस्तर वाले इस अस्पताल में मात्र पांच नर्स व दो स्टाफ नर्स है जबकि जरूरत 20 की है। आलम यह है कि इन नर्स को पर काम का बोझ बढ़ रहा है। अस्पताल में एक्स-रे व अल्ट्रासाउंड मशीन चलाने के लिए कोई टेक्नीशियन नहीं है। लोगों को इसके लिए प्राइवेट क्लीनिकों में जाकर जेबें ढीली करनी पड़ रही हैं। अस्पताल में बिजली जाने की सूरत में कोई अन्य प्रावधान नहीं है। स्टाफ को सभी कार्य मोबाइल फोन की रोशनी में निपटाने पड़ते है।

रात को अस्पताल में पानी की व्यवस्था बुरी तरह चरमरा जाती है। तीमारदारों को बाहर से पानी लाना पड़ता है। मरीजों को गर्म पानी उपलब्ध करवाने के लिए लगाए गए गीजर बंद पड़ हैं। इस चार मंजिला अस्पताल की सफाई, लेबर रूम, ऑपरेशन थियेटर, पोस्टमार्टम कार्यो के लिए मात्र पांच सफाई कर्मचारी है। ऑपरेशन थियेटर होने वाले आपरेशनों के लिए ब्लड बैंक नहीं है। यदि किसी को मरीज ऑपरेशन के दौरान ब्लड की आवश्यकता पड़ती है तो उसे सोलन या शिमला अस्पतालों से ब्लड लाना पड़ता है। तीमारदारों के लिए सस्ती कैंटीन की व्यवस्था नहीं है। मेस के लिए सही तरीके का कमरा नहीं है।


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