जो दुख को समझे वही सच्चा मित्र : सुमित भारद्वाज
काली माता मंदिर चायल में महामंडलेश्वर स्वामी शंभू भारती महाराज की अध्यक्षता में चल रही श्रीमछ्वागवत महापुराण में आचार्य सुमित भारद्वाज ने कथा के अंतिम दिन की कथा में भक्तों को भगवान की लीला श्रवण करवाते हुए कहा कि भगवान ने समुद्र के बीच द्वारिका का निर्माण किया। द्वारिका में भगवान के 1610
संवाद सहयोगी, सोलन : काली माता मंदिर चायल में महामंडलेश्वर स्वामी शंभू भारती महाराज की अध्यक्षता में चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा में आचार्य सुमित भारद्वाज ने सोमवार को मित्र की परिभाषा समझाई। कथा के अंतिम दिन सुमित भारद्वाज ने भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की लीला का श्रवण करवाते हुए कहा कि भगवान ने समुद्र के बीच द्वारिका का निर्माण किया। द्वारिका में भगवान के 16108 विवाह हुए। बड़े आनंद से भगवान द्वारिका में रहे। नृग नाम के राजा का उद्धार किया। आचार्य सुमित ने कहा कि सुदामा द्वारिका में आए तो भगवान श्रीकृष्ण ने मित्र का स्वरूप बताया कि मित्र कैसा होता है। अपने दुख को न देखते हुए जो मित्र के दुख को बड़ा समझे वही सच्चा मित्र होता है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा को सुनने से सात दिन में मृत्यु का शाप लगे परीक्षित महाराज को मोक्ष प्राप्त हुआ।