इटली की पौध से लहलहाएंगे हिमाचल के सेब बगीचे
यहां वर्ष 2016 में इटली से सेब की प्रजाति मंगवाई थी। विभिन्न किस्मों के 618 सेब के पौधों को नौणी विश्वविद्यालय के परिसर में लगाया गया था।
नौणी (सोलन), जेएनएन। सेब से बागवानों की आय चार गुना बढ़ाने के लिए डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय का पहला बड़ा अनुसंधान सफल हो गया है। सेब की नई प्रजाति को हिमाचल में सफल बना दिया है। शुक्रवार को नौणी विवि के वीसी डॉ. एचसी शर्मा ने खुलासा किया कि दो वर्षों में उन्होंने सेब की इटली से लाई किस्म का सफल प्रयोग किया है। हालांकि अभी कुछ अनुसंधान बाकि है, लेकिन
प्रथम दो वर्षों का ट्रायल शत प्रतिशत सफल है। यहां वर्ष 2016 में इटली से सेब की प्रजाति मंगवाई थी। विभिन्न किस्मों के 618 सेब के पौधों को नौणी विश्वविद्यालय के परिसर में लगाया गया था जो अब लगभग सभी रिकार्ड तोड़ उत्पादन दे रहे हैं।
शुक्रवार को नौणी विवि के कुलपति एचसी शर्मा, डायरेक्टर रिसर्च डॉ. जेएन शर्मा, एचओडी फ्रूट साइंस डॉ. कृष्ण कुमार, प्रधान वैज्ञानिक डॉ. डीपी शर्मा, डॉ. विशाल राणा, डॉ. नवीन ने उच्च घनत्व वाले बगीचे को दिखाया। विवि के फल विज्ञान विभाग ने विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना के तहत उच्च घनत्व सेब बागानों पर पैकेज ऑफ प्रैक्टिस के विकास के लिए यह मिशन शुरू किया है। विवि का परिसर 1260 मीटर उंचाई पर है।
यहां ये पौधे पूरी तरह से सफल पाए गए हैं। मई 2016 में यह सेब के पौधे लगाए गए थे, जिन्होंने पहले ही वर्ष एक डाली पर 15 से 20 सेब की पैदावार दी थी, अब यह पैदावार दूसरे ही वर्ष 40 तक पहुंच गई है। इन पेड़ों का जीवन 40 वर्षों तक है और सामान्य रूप में यह पूरी तरह से पांच वर्षों तक पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं।
जेरोमाइन किस्म का प्रदर्शन सबसे बेहतर
नौणी विवि में 2016 के दौरान शुरू किए गए प्रयोगात्मक परीक्षणों से पता चलता है कि एम.एम. रूटस्टॉक पर ‘जेरोमाइन’ लगाया गया है जो कि 2.5 मीटर गुणा 1.0 मीटर की दूरी पर लगाया गया है और टॉल स्पिंडल प्रशिक्षण प्रणाली से प्रशिक्षित किया गया है।
इन किस्मों पर शोध
नौणी विवि में इटली से लाई विभिन्न किस्मों में जेरोमाइन, रेड वेलोक्स, रेड कैप वल्टोड, स्कारलेट सुपर-2, सुपर चीफ गैल गाला, रेडलम गाला, ऐविल अर्ली फुजी एम 9 और एमएम 106 रूटस्टॉक्स पर ग्रांट करके विकसित की गई हैं। पौधे की दूरी 2.5 गुणा 0.75 मीटर (5333 पौधे प्रति हेक्टेयर), 2.5 गुणा 1.0 मीटर (4000 पौधे प्रति हेक्टेयर) और 2.5 गुणा 1.5 मीटर (2666 पौधे प्रति हेक्टेयर) और प्रशिक्षण प्रणाली जैसे वर्टिकल एक्सिस, स्लेंडर स्पिंडल और टॉल स्पिंडल का परीक्षण किया जा रहा है।
क्या है उच्च घनत्व पौधरोपण
उच्च घनत्व वृक्षारोपण में पारंपरिक प्रणाली की तुलना में प्रति इकाई क्षेत्र में पौधों की काफी अधिक संख्या में रोपण किया जाता है। परंपरागत रूप से सीडलिंग रूट स्टॉक्स पर तैयार किए सेब के पौधों को 7.5 गुणा 7.5 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है, जिसमें 178 पेड़ प्रति हेक्टेयर रोपण किया जाता है और स्पर किस्म के सीडलिंग रूट स्टॉक्स को 5 गुणा 5 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है, जिसमें 400 पेड़ प्रति हेक्टेयर का रोपण किया जा सकता है। इन बागों की औसत उत्पादकता लगभग 6 से 8 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर होती है।