घुटनों के दर्द से आराम दिलवाएगा चीड़, वैज्ञानिकों ने तैयार की ये खास टेबलेट
पहाड़ी इलाकों में पाया जाने वाला चीड़ अब घुटनों की दर्द दूर करेगा इसके लिए वैज्ञानिकों ने ओरल मेडिसन तैयार की है।
सोलन, सुनील शर्मा। पहाड़ी क्षेत्र में पाए जाने वाला चीड़ अब घुटनों की दर्द भी मिटाएगा। हिमाचल प्रदेश के सोलन स्थित शूलिनी विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने इसमें औषधीय गुण खोजा है। वैज्ञानिकों ने इसे ओरल मेडिसन (टेबलेट) के रूप में तैयार किया है।
इसका सफल परीक्षण जानवरों पर किया जा चुका है और जल्द ही इसे मानव शरीर पर इस्तेमाल किया जाएगा। इसका पेटेंट करवा लिया गया है। औपचारिकताएं पूरी करने के बाद इसे भारतीय बाजारों में उतारा जाएगा। इसकी कीमत सात से दस रुपये प्रति गोली होगी। यह गोली 530 एमजी की होगी। इसका साइड इफेक्ट नहीं होगा।
महिलाओं में हड्डी रोग का खतरा 50 फीसद
एक अध्ययन के अनुसार महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस यानी हड्डी रोग का खतरा 30 से 50 फीसद व पुरुषों में 15 से 30 फीसद तक होता है। ऑस्टियोपोरोसिस मेटाबोलिक और हार्मोनल बीमारी है, जोकि एस्ट्रोजन नामक हार्मोन तथा सूक्ष्म पोषक जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम व फास्फोरस में असंतुलन के कारण होती है। विटामिन डी की कमी से मीनोपॉज (रजोनिवृत्ति) से पहले हड्डियां कमजोर हो जाती हैं जिससे ऑस्टियोपोरोसिस हो जाता है। यह समस्या विशेषकर भारतीय महिलाओं में बड़ी मात्रा में सामने आ रही है। इस दवा से महिलाओं को खास कर बहुत मदद मिलेगी।
इस प्रोजेक्ट के लिए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय से 21 लाख रुपये की मदद मिली। इससे फार्मोकोलॉजी रिसर्च लैब बनाकर रिसर्च शुरू की। प्रोजेक्ट को हर्बल ओरल फार्मूलेशन फ्राम पाइनस ट्री फॉर बोन डिसआर्डर का नाम दिया था।
-प्रो. रोहित गोयल, फार्मोकोलोजी विभाग, शूलिनी विश्वविद्यालय, सोलन।
चीड़ की तीन प्रजातियों में औषधीय गुण
पहाड़ी चीड़ की तीन प्रजातियों में इसके औषधीय गुण प्राप्त हुए हैं। 15 हजार फुट पर पाए जाने वाले ब्लू पाइन, गीरारिडकना और वालिखी में ये गुण मिले। इस पेड़ का उपयोग फर्नीचर बनाने और बिरोजा के लिए भी होता है।
मिलेगी राहत
- अनुसंधानकर्ताओं ने जानवरों पर किया सफल परीक्षण, पेटेंट भी दर्ज करवाया
- मानव शरीर पर परीक्षण करने बाजार में उतरेगी बाजार दवा, सात से दस रुपये कीमत
2013 में प्रोजेक्ट शुरू, किन्नौर से मिली राह
शूलिनी विश्वविद्यालय के तीन अनुसंधानकर्ताओं डॉ. रोहित गोयल, डॉ. अदिति शर्मा व डॉ. दीपक कपूर ने ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज के लिए नई हर्बल संरचना विकसित करने की योजना 2013 में बनाई थी। डॉ. रोहित ने बताया कि उन्हें पता चला था कि हिमाचल के जिला किन्नौर में स्थानीय लोग इस पेड़ की छाल का इस्तेमाल घुटनों की दर्द दूर करने में करते हैं। छाल से 25 फीसद औषधि को निकालकर उसे पेस्ट का रूप देते हुए गोली का आकार दिया गया।
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