Move to Jagran APP

पेयजल संकट..अब सिर से ऊपर निकल गया पानी

देश के सभी लोगों ने जल ही जीवन का नारा तो सुना ही है लेकिन इस नारे के महत्व को समझा नहीं जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 08:30 AM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 08:30 AM (IST)
पेयजल संकट..अब सिर से ऊपर निकल गया पानी
पेयजल संकट..अब सिर से ऊपर निकल गया पानी

जागरण संवाददाता, सोलन : सभी लोगों ने जल ही जीवन का नारा तो सुना ही है, लेकिन इस नारे के महत्व को समझा नहीं जा रहा है। प्रदेश के विकसित क्षेत्र सोलन में पेयजल संकट हर वर्ष गर्मियों और बरसात में विकराल रूप धारण करता है। यही नहीं सोलन की पेयजल समस्या का मसला शिमला से भी जुड़ा हुआ है, लेकिन इन समस्या का अब तक कोई भी विधायक, मंत्री या सांसद कोई उपयुक्त समाधान नहीं निकाल सका है। शिमला और सोलन को अश्विनी खड्ड पेयजल सप्लाई से जोड़ा गया है। इस खड्ड पर शिमला के लिए भी पेयजल योजनाएं बनी हुई हैं और सोलन के लिए भी योजनाएं हैं। गर्मियों का सीजन शुरू होते ही इस नदी पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। नदी में पानी की कमी के कारण आइपीएच विभाग के पास पर्याप्त स्टोरेज नहीं हो पाती, इस कारण समस्या का सामना करना पड़ता है। गर्मियों के बाद आई बरसात में यह समस्या और विकराल हो जाती है और लोगों को कई दिन तक पेयजल के संकट से जूझना पड़ता है। बरसात के दौरान नदियों में आई गाद के कारण पेयजल सप्लाई ठप हो जाती है।

loksabha election banner

-----

अश्विनी पेयजल परियोजना

सोलन में अश्विनी खड्ड पेयजल परियोजना आइपीएच विभाग की काफी पुरानी स्कीम है। यह स्कीम लगभग 1961 में शुरू की गई थी। जब इस स्कीम को शुरू किया था उस वक्त इसे करीब दो से तीन हजार लोगों के लिए शुरू किया गया था। जैसे-जैसे आबादी बढ़ी, उसके हिसाब से इसी योजना को अपग्रेड किया जाता रहा। इस योजना को 2005 में काफी बड़ी आबादी के लिए शुरू किया था। जब यह योजना भी कम पड़ने लगी तो आइपीएच विभाग को गिरी पेयजल परियोजना पर काम करना पड़ा। जानकारी के मुताबिक अश्विनी पेयजल परियोजना से 50 लाख लीटर पानी प्रतिदिन उठाने की योजना है, लेकिन अभी 35 लाख लीटर पानी लिया जा रहा है।

-----

गिरी पेयजल परियोजना

आइपीएच विभाग को बड़ी आबादी के लिए पेयजल उपलब्ध करवाना चुनौती बन गया था। इस दौरान वर्ष 2008 में नई पेयजल परियोजना के रूप में गिरी पेयजल परियोजना को शुरू किया गया। इस पानी को शहर की नगर परिषद की आबादी के साथ साथ लगते 114 गांव तक भी पहुंचाया जाने लगा। इस योजना के साथ धीरे-धीरे एक बड़ी आबादी को जोड़ दिया गया। अब हालांकि दोनों पेयजल योजनाएं शहर व गांवों के लिए पर्याप्त हैं, लेकिन बरसात और गर्मियों में पेयजल लिफ्ट नहीं हो पाने से पानी की समस्या शहर में आ रही है। इस योजना से रोजाना 23 एमएलडी यानी मिलियन लीटर डे पानी रोजाना उठाने की योजना है, लेकिन अभी 14 एमएलडी पानी इस स्कीम से लिया जा रहा है।

-----

13 करोड़ का प्रोजेक्ट नहीं हो रहा पूरा

शहर में पेयजल संकट को दूर करने के लिए सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग ने एक स्कीम बनाकर सरकार को सौंपी थी, लेकिन यह मुद्दा राजनीति करने के लिए दोनों पार्टियों ने खूब इस्तेमाल किया, लेकिन जब इसके समाधान की बात आती है तो ऐसी फाइलों पर धूल जमने लगती है। आइपीएच विभाग की मानें तो बरसात के समय पेयजल संकट से निपटने के लिए 13 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया था। इस प्रोजेक्ट के तहत आइपीएच विभाग स्कीम व खड्ड के निकट कुएं बनाने जा रहा था। इन कुओं में से पानी बरसात के दौरान छन कर ऊपर आएगा, जिसे आपात स्थिति में सप्लाई किया जा सकेगा। विभाग की मानें तो इस प्रोजेक्ट को अभी तक हरी झंडी नहीं मिल सकी है।

-------

दोनों पार्टियां कर रही राजनीति : तिलक

नगर परिषद क्षेत्र के निवासी तिलक राज शर्मा ने कहा कि पेयजल संकट एक दो वर्ष से नहीं बल्कि कई साल की समस्या है। यह समस्या उस समय नेताओं के ध्यान में आती है जब पानी सिर के ऊपर से निकल चुका होता है। समय रहते अगर नेता इस मसले को गंभीरता से लें तो इसे दूर किया जा सकता है।

-------

नहीं कोई सुनवाई : अनिल

स्थानीय निवासी व्यक्ति अनिल चौहान ने कहा कि पानी हर व्यक्ति की जरूरत है। इस मसले पर किसी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए। जो भी नेता इस मसले पर राजनीति करता है उसे वोट मांगने का अधिकार नहीं है। शहर को पेयजल की समस्या बरसात में अधिक होती है। इसका समय रहते समाधान होना आवश्यक है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.