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जीवों की सभी प्रजातियों का पता लगाना है जेडएसआइ का उद्देश्य

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जूलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया/जेडएसआई) सोलन पिछले पचास सालों से जीव विविधताओं के संरक्षण व सर्वेक्षण का कार्य कर रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 09:41 AM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 09:41 AM (IST)
जीवों की सभी प्रजातियों का पता लगाना है जेडएसआइ का उद्देश्य
जीवों की सभी प्रजातियों का पता लगाना है जेडएसआइ का उद्देश्य

-जम्मू और कश्मीर व हिमाचल में कई जीवों की खोज कर चुका है जेडएसआइ सोलन

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साप्ताहिक साक्षात्कार

डॉ. अवतार कौर सिद्धू, प्रभारी अधिकारी, जेडएसआइ सोलन मनमोहन वशिष्ठ, सोलन

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जूलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) सोलन पचास साल से जीव विविधताओं के संरक्षण व सर्वेक्षण का कार्य कर रहा है। अब तक कई जीवों की कई प्रजातियों की पहचान करवा चुका है। इसका मुख्य कार्य हिमालय की प्राणी संपदा का संरक्षण व संव‌र्द्धन करना है, ताकि लोगों को जीवों की विभिन्न प्रजातियों के बारे में जानकारी मिल सके। इसका मुख्यालय कोलकाता में है, जिसके 16 क्षेत्रीय स्टेशन देश के विभिन्न भौगोलिक स्थानों पर स्थित है। इन्हीं में से एक सोलन केंद्र है, जिसको हाई अल्टीटयूड रिजनल सेंटर जेडएसआइ के नाम पर जाना जाता है। केंद्र में और किन विषयों पर सर्वे हो रहा है इसकी जानकारी दी जेडएसआइ सोलन की प्रभारी अधिकारी डॉ. अवतार कौर सिद्धू ने। पेश है बातचीत के मुख्य अंश। -सोलन में जेडएसआइ का सेंटर कब शुरू हुआ?

सोलन में सेंटर की शुरुआत सितंबर 1968 को हुई थी। इसका मुख्यालय कोलकाता में है। इस केंद्र से हिमाचल प्रदेश व जम्मू एंड कश्मीर की जीव विविधता पर कार्य होता है। सेंटर छह सौ मीटर से लेकर 6500 मीटर तक सर्वे कर जीव विविधताओं का पता लगाता है। वैज्ञानिक दोनों राज्यों के जीवों का अध्ययन व संरक्षण का कार्य करते हैं। -सेंटर में कितने वैज्ञानिक हैं और किन विषयों पर कार्य करते हैं?

सेंटर में मेरे समेत पांच वैज्ञानिक हैं जो अलग-अलग विषयों पर कार्य करते हैं। मैं तितलियों की प्रजातियों पर रिसर्च व सर्वेक्षण करती हूं। डॉ. गौरव शर्मा ड्रैगन फ्लाई, डॉ. इंदू शर्मा मछलियों व मेमलस, डॉ. कुबेंद्रम पानी में पाए जाने वाले कीड़ों पर, जबकि डॉ. कमल सैनी कीटों पर कार्य करते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध पर एकत्रित प्रजातियों का सेंटर में एक संग्रहालय भी है, जिसमें हिमाचल सहित पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ के विद्यार्थी विजिट के लिए आते हैं। -अभी तक सेंटर के वैज्ञानिकों द्वारा क्या बड़ी खोज की गई है?

वैज्ञानिकों ने टर्मेटोड, केंचुओं व कीटों की पचास से अधिक प्रजातियों की खोज की है। केंचुओं व कीटों की 11 प्रजातियों की खोज कर देश में एक रिकॉर्ड कायम किया है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों के जीवों का सर्वेक्षण कर कई जीवों की खोज की है। इसमें लद्दाख में हिमालयन मार्मोट व तिब्बती कियांग की खोज की है। जीवों की खोज कर उन पर शोध पेपर प्रकाशित किए हैं। वैज्ञानिक के अभी तक 17 दस्तावेज व पांच सौ से अधिक रिसर्च पेपर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय जरनल में प्रकाशित हो चुके हैं। -इस वर्ष कहां व किन विषयों पर सर्वे हो रहे हैं?

इस वर्ष जम्मू और कश्मीर में जीव विविधता पर सर्वेक्षण चल रहा है। सेंटर के वैज्ञानिक अभी तक जम्मू, कठुआ, उधमपुर, सांबा व रियासी आदि जिलों में सर्वे कर चुके हैं। हिमाचल की घासनियों में जीव विविधताओं की खोज हो रही है। रोहड़ू, हरिपुरधार, चौपाल व लाहुल में सर्वे हो चुका है। दोनों राज्यों के सर्वे के नतीजे तीन साल में आएंगे। -सोलन में उत्तर भारत की पहली हिमालयन डिपोजिटरी कब तक शुरू होगी?

सोलन में उत्तर भारत की पहली हिमालयन डिपोजिटरी का तीन मंजिला भवन करीब डेढ़ करोड़ से बन कर तैयार हो चुका है। इसी माह इसका उद्घाटन करने की योजना है। इसमें भारत के पश्चिमी हिमालय में पाई जाने वाले प्राणी संपदा की प्रजातियों को एक छत तले देखा जा सकेगा। यह शुरू होने के बाद वैज्ञानिकों के लिए शुरू हो जाएगा। इसमें वैज्ञानिकों द्वारा शोध कार्य व हिमालयी क्षेत्र में पाए जाने वाले जंतुओं के संरक्षण का कार्य शुरू हो जाएगा।


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