सोलन जिले में नहीं थम रहा लंपी संक्रमण, अभी तक 360 पशु पाए गए संक्रमित
जिला सोलन में लंपी संक्रमण के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
संवाद सहयोगी, सोलन : जिला सोलन में लंपी संक्रमण के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अभी तक जिले में 360 पशु इस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। महामारी के रूप में फैल रहा लंपी त्वचा रोग अब तक 20 पालतू पशुओं की जान ले चुका है। बीमारी पर काबू पाने के लिए पशुपालन विभाग पशुपालकों को जागरूक कर रहा है तथा बीमार पशुओं के इलाज में जुटा हुआ है। इसके बावजूद यह खतरनाक बीमारी दिनों-दिन पशुओं को अपनी चपेट में ले रही है। इससे पशुपालक तो चितित हैं ही, विभाग की भी चिता बढ़ती जा रही है।
पशुओं में इस संक्रमण की शुरुआत बीते दिनों धर्मपुर क्षेत्र से हुई थी। इसके बाद शुरुआत में 60 पशुओं में लंपी रोग के लक्षण देखे गए थे। इसके बाद विभाग ने आसपास के गांव से सैंपल लेकर जांच के लिए भोपाल भेजे थे। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मात्र 70 पशुओं ने अभी तक इस बीमारी से निजात पाई है। सबसे अधिक पाजिटिव पशुओं की संख्या धर्मपुर ब्लाक में है। यहां बीमारी से प्रभावित 20 पशुओं की मौत हो चुकी है। धर्मपुर ब्लाक के काबा, धारगुड़ा, टिक्करी, जखरोड़ा व बड़ोग गांवों में लोगों के पशु इस बीमारी की चपेट में हैं। इसके अलावा अब यह बीमारी नालागढ़ की पांच गोशालाओं में भी फैल रही है। अर्की ब्लाक में भी इक्का-दुक्का मामले सामने आए हैं, लेकिन स्थिति नियंत्रण में है। इसके अलावा कंडाघाट व सोलन ब्लाक अभी इस महामारी से बचे हुए हैं। विभाग ने गठित की पांच टीमें
पशुओं की इस महामारी के फैलाव को रोकने के लिए पशुपालन विभाग ने जिला के सभी पांच ब्लाक में पांच टीमों का गठन किया है। ये टीमें पशुपालकों को जागरूक कर रही हैं व इस बीमारी से बचाव व लक्षणों के बारे में जानकारी दे रही हैं। जिन क्षेत्रों में पशु इस बीमारी से पीड़ित हैं उसके पांच किलोमीटर के दायरे में पशुओं को टीके लगाए जा रहे हैं। टीके से पशुओं में इम्युनिटी बनने में 21 दिन का समय लगता है। इसके चलते टीका पशुओं को तभी लगाया जाता है यदि वे स्वस्थ हैं और उनमें कोई लक्षण बीमारी के न हों। यह करें उपाय
लंपी त्वचा रोग के कारण पशुओं के शरीर में गांठें बन जाती हैं। इससे प्रभावित पशु को तेज बुखार आता है, खाना-पीना छोड़ देता है और उनका वजन कम हो जाता है। पशुओं को सही समय पर उपचार न मिलने से उनकी मौत हो जाती है। लंपी रोग से पाजिटिव होने पर पशुओं को अन्य पशुओं से अलग कर देना चाहिए और तुरंत समीप के पशुपालन केंद्र से संपर्क करना चाहिए। वहीं गोशाला के आसपास सफाई रखें, ताकि मक्खी-मच्छर न फैलें। यह रोग मक्खियों द्वारा भी एक पशु से दूसरे में फैल सकता है। जिले में महामारी की स्थिति पर प्रतिदिन प्रशासन व सरकार को इसकी रिपोर्ट भेजी जा रही है। विभाग टीमें बनाकर पशुपालकों को जागरूक कर रहा है व प्रभावित गांवों के पांच किलोमीटर के दायरे में निश्शुल्क टीकाकरण अभियान भी चलाया जा रहा है। बीमारी से ग्रस्त पशुओं को विभाग द्वारा निश्शुल्क दवाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
- डा. भारत भूषण गुप्ता, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग, सोलन।