उद्योगपतियों को आसान शर्तो पर मिले ऋण
हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में इन दिनों कामगारों को नौकरी से निकालने और उनका वेतन रोकने के मामलों में लगातार बढ़ौतरी हो रही है। औद्योगिक क्षेत्रों में लेबर आफिसों के बाहर कामगारों की लंबी लाइनें लग रही हैं और प्रदर्शन किए जा रहे हैं। गौर हो कि देश कर्फयू और लॉकडाऊन लगने से कई उद्योग पटरी से ऊतर गए हैं और अब वापस पटरी पर नहीं आ पा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ बीते तीन महीनों में कंपनियों का बजट पूरी तरह गड़बड़ हो गया है जिसके चलते वह अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं।
सुनील शर्मा, सोलन
हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में आजकल कामगारों को नौकरी से निकालने और वेतन रोकने के मामलों में वृद्धि हो रही है। औद्योगिक क्षेत्रों में श्रम कार्यालयों के बाहर कामगारों की लंबी लाइनें लग रही हैं और प्रदर्शन किए जा रहे हैं। कर्फ्यू व लॉकडाऊन के कारण कई उद्योग पटरी से उतर गए हैं और अब वापस पटरी पर नहीं आ पा रहे हैं। वहीं तीन महीनों में कंपनियों का बजट गड़बड़ हो गया है जिसके चलते वह कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं। इस पर उद्योगपतियों ने सरकार से आसान शर्तो पर ऋण उपलब्ध करवाने की मांग की है।
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उद्योगों के पास इतना बजट नहीं है कि वह सभी कर्मियों का पूरा वेतन दे सकें। ऐसे में सरकार आसान शर्तो पर ऋण दे। ताकि उद्योगपति कर्मियों को वेतन दे सकें। मालिक के पास पैसा नहीं है और कर्मियों का सोचना है कि वह जान बूझकर उनका वेतन नहीं देना चाहते। इससे मतभेद पैदा हो रहे हैं और इन्हें दूर करने में सॉफ्ट लोन एक बेहतर विकल्प है।
-मुकेश जैन, उपाध्यक्ष एवं कार्यकारी निदेशक, बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ इंडस्ट्री एसोसिएशन।
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उत्तर प्रदेश सरकार ने यह आदेश वापस ले लिए हैं। अगर 12 घंटे की शिफ्ट शुरू करवा दी गई तो एक तिहाई कामगारों की नौकरी चली जाएगी। देश में पहले ही नौकरियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में प्रदेश सरकार को भी यह आदेश वापस लेने चाहिए। इन सब मुद्दों पर संयुक्त यूनियनें 22 मई को देशव्यापी आंदोलन करेंगी। सभी जिला मुख्यालयों में उपायुक्त के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजा जाएगा। कामगारों को ऐसे वक्त में नौकरी से निकालना शर्मनाक है। उद्यमियों ने पैकेज मिलने के समय में करोड़ों रुपये इन लोगों की मेहनत के बूते कमाए हैं। अब केवल एक व दो महीनों के वेतन की कटौती को लेकर हल्ला कर रहे हैं।
-हरदीप बाबा, प्रदेशाध्यक्ष, इंटक।
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कुछ कंपनियों में वेतन न देने के मामले सामने आए हैं। सभी कंपनियों से वेतन देने का निवेदन किया है। ताकि कामगार कमरों का किराया व जरूरी सामान की खरीद कर सकें। इसके अलावा उद्योग प्रबंधक कर्मियों को एडवांस वेतन भी दे सकते हैं और उसकी कटौती अगले दस माह तक छोटी छोटी किस्त के रूप में कर सकते हैं। अगर कोई उद्योग बिना कारण किसी कर्मी को बाहर निकालेगा तो उन पर कार्रवाई की जाएगी।
-जितेंद्र बिंद्रा, श्रम अधिकारी, श्रम विभाग बद्दी।