विदेश से 30 करोड़ के कारोबार पर नहीं चुकाया जीएसटी
समुद्र के जरिए भारत में विदेशी उत्?पादों को आयात करने वाले 32 कारोबारियों पर एक्साइज विभाग के विशेष दस्?ते ने नकेल कसी है। समुद्र से शिप के जरिए विदेश से भारत लाया जाने वाला कच्?चा माल प्रदेश के 32 उद्योगपतियों ने हिमाचल में तो पहुंचाया लेकिन उसकी ढुलाई के दौरान दिया जाने वाला टैक्?स इन कारोबारियों ने अदा नहीं किया। एक्?साइज विभाग के विशेष दस्?ते ने इस मामले को कस्?टम डिपार्टमेंट से मदद लेते हुए पकड में लाया और मामले से पर्दा उठाया है। हिमाचल प्रदेश की राज्?य कर व आबकारी विभाग की शिमला स्थित टैक्?स ऑडिट यूनिट ने ऐसे ही मामले में करीबन 30 करोड के कारोबार करने वाले करीब 32 उद्योगपतियों को कानून का पाठ पढाते हुए करीब डेढ़ करोड़ का टैक्स हिमाचल प्रदेश के सरकारी खजाने में जमा करवाया है।
जागरण संवाददाता, सोलन : समुद्र के रास्ते भारत में विदेशी उत्पादों को आयात करने वाले 32 कारोबारियों पर राज्य कर एवं आबकारी विभाग के विशेष दस्ते ने नकेल कसी है। हिमाचल के 32 उद्योगपतियों ने कच्चा माल के लिए ढुलाई के दौरान दिया जाने वाला वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अदा नहीं किया। एक्साइज विभाग के विशेष दस्ते ने इस मामले को कस्टम विभाग से मदद से पकड़ा। विभाग की शिमला स्थित टैक्स ऑडिट यूनिट ने 30 करोड़ का कारोबार करने वाले इन कारोबारियों से डेढ़ करोड़ का टैक्स सरकारी खजाने में जमा करवाया है।
हिमाचल प्रदेश में करीब 90 उद्योगपति विदेश से कच्चा व अन्य माल को आयात करते हैं। टीम ने टेक्स चोरी की आंशका पर सभी कारोबारियों को नोटिस जारी किए थे। नोटिस के माध्यम से पूछा कि क्या उन्होंने जीएसटी लागू होने के बाद से विदेश से आयात किया है या नहीं। ऐसे में 40 कारोबारियों का जवाब मिला है कि जुलाई 2017 के पश्चात समुद्री मार्ग से कोई ढुलाई नहीं की और उनकी कोई देनदारी सरकार को नहीं है। 18 ने जवाब दिया कि उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर की देय राशि स्वयं ही सरकारी खजाने में समयानुसार जमा करवा दी है। इसके अलावा करीब 32 कारोबारी ऐसे थे, जिन्होंने नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन, उन्होंने नोटिश के बाद टैक्स जमा करवा दिया जो करीब डेढ़ करोड है।
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समुद्री जहाजों से ढुलाई पर अदा किए भाडे़ पर पांच फीसद वस्तु एवं सेवा कर देय होता है। यह कर आयत करने वाली कंपनी को स्वयं अदा करना होता है। इसपर सीमा शुल्क भी लगाया जाता है तो वस्तु एवं सेवा कर से भिन्न होता है। इस बात की जानकारी कुछ कारोबारियों को नहीं थी। उनके इस प्रयास में आबकारी अधिकारी मनोज सचदेवा व किरन शर्मा की अहम भूमिका रही।
-डॉ. सुनील कुमार, संयुक्त आयुक्त, राज्य कर एवं आबकारी विभाग।