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हारी बाजी पलटने की फिराक में भाजपा

संतोष कुमार नालागढ़ कांग्रेस की रणनीति भाजपा पर इस कदर भारी पड़ी है कि हारी हुई बाज

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 07:47 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 07:47 PM (IST)
हारी बाजी पलटने की फिराक में भाजपा
हारी बाजी पलटने की फिराक में भाजपा

संतोष कुमार, नालागढ़

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कांग्रेस की रणनीति भाजपा पर इस कदर भारी पड़ी है कि हारी हुई बाजी को जीतने के लिए भाजपा अब जी-जान से जुट गई है। नगर परिषद में काबिज होने के लिए कांग्रेस की चली चाल से बेशक भाजपा चारों खाने चित्त हो गई है, लेकिन अभी भी भाजपा हारी हुई बाजी को पलटने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। बारंबार पार्षदों से संपर्क साधा जा रहा है, ताकि भाजपा समर्थित परिषद ही काबिज हो सके।

नगर परिषद चुनाव में भाजपा समर्थित पार्षद जीतकर आए थे, वह बहुमत में थे और इन्हीं पार्षदों में से अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुना जाना तय माना जा रहा था, लेकिन कांग्रेस की रणनीति भाजपा के सपनों को चकनाचूर कर गई और अभी तक कांग्रेस समर्थित पार्षद का नगर परिषद का अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है। हालांकि इस सियासी घटनाक्रम के उल्टफेर के बाद से ही शहर में चर्चाओं का बाजार गर्म है। बुधवार रात और वीरवार दिनभर इसी पर खूब चर्चा हुई।

हालांकि कुछ लोगों ने इंटरनेट मीडिया पर भी इस सियासी घटनाक्रम पर चुटकी ली है और कई तंज भी कसे हैं। इस सियासी घटनाक्रम से हर कोई हतप्रभ है, क्योंकि नगर परिषद नालागढ़ के चुनाव में नौ वार्डो में भाजपा समर्थित पांच सीट पर जीत दर्ज कर चुके थे, जबकि कांग्रेस के पास तीन, वहीं एक आजाद प्रत्याशी जीती है। ऐसे में कांग्रेस द्वारा किए गए उल्टफेर से हर कोई हैरान है।

भाजपा के पास पांच पार्षद होने के बावजूद वह अपनी पार्टी समर्थित अध्यक्ष बना पाने में नाकाम नजर आ रही है, वहीं कांग्रेस ने आजाद प्रत्याशी को अपने पाले में खींचने के साथ ही भाजपा समर्थित एक पार्षद को भी अपनी ओर आकर्षित करने में सफलता हासिल की है। हालांकि भाजपा के पाले से खींचा गया पार्षद पूर्व में कांग्रेसी ही है और अब फिर से कांग्रेस की ओर आना भाजपा के लिए यह करारी शिकस्त है।

कांग्रेस के पास तीन पार्षद अल्का वर्मा, रीना शर्मा व अमरिदर भिडर पहले से थे और उन्होंने आजाद जीतीं वंदना बंसल को साथ लेकर भाजपा समर्थित पार्षद महेश गौतम को अपने पाले में खींचा है। अब भाजपा के पास शालिनी शर्मा, तारा अवस्थी, सहर शर्मा व संजीव भारद्वाज ही बचे हैं। बहुमत के लिए पांच पार्षदों का होना जरूरी है। ऐसे में भाजपा भी सियासी उठापठक में हार मानती नजर नहीं आ रही है और जी जान लगाकर बाजी अपने पाले में करना चाहती है। फिलवक्त शहर का यह सियासी घटनाक्रम खूब चर्चाओं का विषय बना हुआ है।


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