प्रधानाचार्य के वेतन निर्धारण मामलों को लटका रहा विभाग
पदोन्नत प्राध्यापक संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त उप शिक्षा निदेशक जीवन शर्मा ने प्रेस को जारी ब्यान में शिक्षा विभाग हिमाचल प्रदेश की पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर जानबूझकर प्रधानाचार्य के वेतन निर्धारण मामलों को जिला स्तर पर या निदेशालय स्तर पर लटका रहा है। मुख्याध्यापक पद पर रहते हुए मनमाने ढंग से किए जा रहे वेतन निर्धारण मामलों के विरूद्ध कोर्ट में आवाज उठाई है। गौरतलब है कि शिक्षा विभाग कई वर्षों से प्राध्यापकों से पदोन्नति प्राप्त मुख्याध्यापकों के वेतन निर्धारण नियम के विपरीत मनमाने तरीके से करता आ रहा है। इसमें पदोन्नति पर वेतन बढ़ाने के बजाय वेतन को छह हजार तक कम कर दिया जाता था। सन 2014 व उसके बाद पदोन्नत हुए मुख्याध्यापकों ने शिक्षा विभाग की इस दमनकारी नीति के विरूद्ध सरकार व विभाग के समक्ष आवाज
संवाद सूत्र, अर्की : पदोन्नत प्राध्यापक संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त शिक्षा उपनिदेशक जीवन शर्मा ने कहा कि शिक्षा विभाग प्रधानाचार्य के वेतन निर्धारण मामलों को जिलास्तर पर या निदेशालय स्तर पर लटका रहा है। मुख्याध्यापक पद पर रहते हुए मनमाने ढंग से किए जा रहे वेतन निर्धारण मामलों के विरूद्ध कोर्ट में आवाज उठाई है। शिक्षा विभाग कई वर्षो से प्राध्यापकों से पदोन्नति प्राप्त मुख्य अध्यापकों के वेतन निर्धारण नियम के विपरीत मनमाने तरीके से करता आ रहा है। इसमें पदोन्नति पर वेतन बढ़ाने के बजाय वेतन को छह हजार तक कम कर दिया जाता था। 2014 व उसके बाद पदोन्नत हुए मुख्याध्यापकों ने शिक्षा विभाग की इस दमनकारी नीति के खिलाफ सरकार व विभाग के समक्ष आवाज उठाई, लेकिन अनसुना करने पर विवशता में उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। हालांकि कोर्ट ने कुछ मामलों में फैसले दे दिए हैं, जो मुख्य अध्यापकों के हक व विभाग के खिलाफ है। लेकिन, शिक्षा विभाग को फैसला लागू करने में हिचकिचाहट हो रही है। शिक्षा विभाग ने प्रधानाचार्य के वेतन निर्धारण मामले भी लटका दिए है। इसकी अधिसूचना शिक्षा सचिव हिमाचल प्रदेश ने दिसंबर 2018 में कर दी है। उन्हें नियमित प्रधानाचार्य पदोन्नति देकर नया पे बैंड व ग्रेड पे जारी कर दिया है। ऐसे मामले जिला मंडी से चंद्रशेखर, जिला बिलासपुर से भोपाल सिंह, हंसराज, पवन चंदेल, भाल सिंह, जिला सोलन से लक्ष्मण ठाकुर, परिणीता कंवर, सिरमौर से राजेश कुमार आदि के सामने आए हैं। उन्होंने शिक्षा सचिव हिमाचल प्रदेश व शिक्षा निदेशक हिमाचल प्रदेश से आग्रह किया है कि उक्त मामलों को न्याय संगत दृष्टिकोण अपनाते हुए तुरंत हल किया जाए और उन्हें देय वित्तीय लाभ अधिसूचना के अनुरूप बहाल किया जाए।