अब बर्बाद नहीं होगा निम्न ग्रेड का सेब, बनेगा सिरका
देश व प्रदेश के बाजारों में हिमाचली सेब से बना सिरका उपलब्ध होगा। शिमला के जुब्बल की एक कंपनी ने डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विवि नौणी द्वारा विकसित सेब का सिरका बनाने की प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए विवि के साथ नॉन-एक्सक्लूसिव लाइसेंस समझौते पर हस्ताक्षर किए है। विश्वविद्यालय के खाद्य विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिक डॉ. राकेश शर्मा, डॉ. वीके जोशी और डॉ. अंजू धीमान ने डीएसटी प्रायोजित परियोजना के तहत इस प्रौद्योगिकी को परंपरागत तरीकों की जगह पर एक तेज व प्रभावी विकल्प के रूप में विकसित किया है। यह तकनीक बाजार में न बिकने वाले खराब क्वालिटी सेब से सिरके के उत्पादन में मददगार होगी व राज्य में कृषक समुदाय की आजीविका में सुधार लाने में भी मददगार साबित होगा। जुब्बल की कंपनी
संवाद सहयोगी, सोलन : अब हिमाचली सेब का सिरका भी बाजारों में उपलब्ध होगा। शिमला के जुब्बल की हिली फूड्स कंपनी ने डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विवि नौणी द्वारा सेब का सिरका बनाने की तकनीक के हस्तांतरण के लिए विवि के साथ नॉन-एक्सक्लूसिव लाइसेंस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। विश्वविद्यालय के खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिक डॉ. राकेश शर्मा, डॉ. वीके जोशी और डॉ. अंजू धीमान ने डीएसटी प्रायोजित परियोजना के तहत इस प्रौद्योगिकी को परंपरागत तरीकों की जगह पर एक तेज व प्रभावी विकल्प के रूप में विकसित किया है। यह तकनीक बाजार में न बिकने वाले सेब से सिरके के उत्पादन में मददगार होगी व राज्य में कृषक समुदाय की आजीविका में सुधार लाने में भी मददगार साबित होगा। जुब्बल की कंपनी हिली फूड्स ने हाल ही में विवि के साथ इस समझौते पर हस्ताक्षर किए और प्रौद्योगिकी शुल्क के रूप में 40 हजार रुपये का भुगतान किया। इसके तहत कंपनी सेब के सिरके का निर्माण व बिक्री के लिए विवि की तकनीक का उपयोग करेगी। कंपनी के उत्पाद पर विवि प्रौद्योगिकी लिखा जाएगा।
विवि के वैज्ञानिकों ने करीब पांच साल के शोध में सिरके और बेस वाइन के उत्पादन में पेश आने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान किया है। नौणी विवि के कुलपति डॉ. एचसी शर्मा ने बताया कि विवि का प्रयास रहा है कि वर्षो के अनुसंधान से विकसित प्रौद्योगिकीयों का लाभ किसानों व कृषि उद्यमियों तक पहुंचे। यह प्रौद्योगिकी हिमाचल प्रदेश में सेब उद्योग के लिए काफी लाभदायक होगी क्योंकि उत्पादन क्षेत्र में उचित प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी की कमी के कारण हर साल प्रदेश में निम्न ग्रेड आकार व विकृत सेब की बड़ी मात्रा बर्बाद हो जाती है। दुनिया भर में सिरके का उपयोग स्वाद व खाद्य संरक्षक के लिए किया जाता है। कई औषधीय गुणों और गठिया, अस्थमा, खांसी, उच्च ब्लड शुगर, उच्च कोलेस्ट्रॉल आदि जैसी बीमारियों को ठीक करने में इसकी भूमिका के कारण सेब के सिरके के मांग में कुछ सालों में कई गुना बढ़ी है।