नालागढ़ में गेहूं की फसल को लगा तेला रोग
नालागढ़ क्षेत्र में गेहूं की फसल में तेला (एफिड) रोग से किसान चितित है।
संवाद सूत्र, नालागढ़ : क्षेत्र में गेहूं की फसल में तेला (एफिड) रोग से किसान चितित हैं। दिन व रात के तापमान में अंतर आने गेहूं में यह रोग लग रहा है। नालागढ़ के मझोली, गुल्लरवाला करसोली, माजरा, दभोटा, बरूणा, किरपालपुर, बीड प्लासी, ढाना, भाटियां, मानपुरा, किशनपुरा आदि स्थानों पर गेहूं की फसल में तेला रोग लग गया है। यह रोग लगातार बढ़ रहा है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ने लगी है।
खेड़ा के अवतार सिंह, किरपालपुर से गुरप्रताप सिंह, नंगल से टेक चंद चंदेल, बरूणा से जगजीत सिंह, बेरछा से जोगिद्र पाल, मझोली से यशपाल सिंह, ढाणा से हरबंस सिंह, भाटियां से गुरमुख चौधरी, ढांग उपरली साध राम, बीड प्लासी से परजीत सिंह ने बताया कि गेहूं में तेला रोग लग गया है। तने पर काले रंग के धब्बे पड़ रहे हैं। इससे गेहूं की फसल पीली पड़नी शुरू हो जाती है। रात के समय कीट बाहर निकल आते हैं और दिन के समय तने के अंदर चले जाते हैं। यह रोग लगातार बढ़ रहा है। किसानों ने कहना है कि यह रोग हर बार इन दिनों फसल पर लगता है, लेकिन संबंधित विभाग इस रोग से किसानों को मुक्ति नहीं दिलाता है। किसानों को हर बार नुकसान उठाना पड़ता है। नालागढ़ क्षेत्र में इस बार 4700 हेक्टेयर जमीन पर गेहूं बीजा है।
नालागढ़ के विषयवाद विशेषज्ञ प्रेम ठाकुर ने बताया कि तेला के लिए आमदा क्लोपरीड एक एमएल एक लीटर पानी में घोल कर इसका छिड़काव करने से यह रोग समाप्त हो जाता है। वर्तमान में दिन के समय अधिक तापमान रहता है, जबकि रात को तापमान कम होता है। कुछ समय के बाद तापमान बढ़ने पर यह रोग स्वयं ही समाप्त हो जाएगा।
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नील गायों ने तबाह की फसल
नालागढ़ क्षेत्र के जंगल के साथ लगती पंचायतों में नील गायों ने गेहूं की फसल तबाह कर दी है। नील गाय फसल को कम खाती है, लेकिन खुरों से खराब कर देती हैं। तेला रोग लगने से किसान पहले ही चितित है और नील गायों ने परेशानी बढ़ा दी है। किसानों ने वन विभाग के अधिकारियों ने नील गायों को संरक्षित क्षेत्र में छोड़ने की मांग की है।