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कोरोना काल में महिलाओं ने प्रशासन के सहयोग से चुनी स्‍वरोजगार की राह, हाथों हाथ बिक रहे यह खास दीये

Women Self Employment सिरमौर जिला की महिलाओं ने गोबर से दीये बनाकर पर्यावरण संरक्षण को जोर देते हुए स्‍वरोजगार की राह चुनी है। प्रशासन के सहयोग से महिलाएं गोबर के दीये और सजावटी लाइट भी बना रही हैं।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Thu, 15 Oct 2020 10:37 AM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 11:00 AM (IST)
कोरोना काल में महिलाओं ने प्रशासन के सहयोग से चुनी स्‍वरोजगार की राह, हाथों हाथ बिक रहे यह खास दीये
सिरमौर जिला की महिलाओं ने गोबर से दीये बनाकर पर्यावरण संरक्षण को जोर देते हुए स्‍वरोजगार की राह चुनी है।

नाहन, राजन पुंडीर। कोरोना काल के बीच त्‍योहारी सीजन आ गया है। संकट के दौर में कई लोगों का रोजगार छूट गया तो कइयों ने नए स्‍वरोजगार अपना कर चुनौती को अवसर बनाया है। सिरमौर जिला की महिलाओं ने गोबर से दीये बनाकर पर्यावरण संरक्षण को जोर देते हुए स्‍वरोजगार की राह चुनी है। प्रशासन के सहयोग से महिलाएं गोबर के दीये और सजावटी लाइट भी बना रही हैं। इस बार दिवाली गोमय ज्योति और सिरमौरी लाइट से रोशन होगी। जिला प्रशासन के सहयोग से स्वयं सहायता समूह की 15 महिलाएं इस कार्य में जुटी हैं।

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जिला प्रशासन, पशुपालन विभाग और अरावली संगठन द्वारा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह मुहिम छेड़ी गई है। जिला सिरमौर के उपायुक्त डॉ. आरके परुथी की ओर से यह आइडिया पशुपालन विभाग व अरावली संगठन के स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को दिया गया। इसके तहत इन दिनों यह महिलाएं गोबर के दीये और लड़‍ियां बनाने में जुटी हैं। जिला प्रशासन की ओर से ये दीये दिवाली से पहले जिला सिरमौर के बाजारों में उचित दाम पर उपलब्ध करवाए जाएंगे। इसके अलावा नाहन के चौगान मैदान में एक स्टाल लगाकर सभी उत्‍पाद उपलबध करवा दिए हैं। जिला प्रशासन द्वारा सिरमौर के अतिरिक्त राजधानी शिमला व अन्य जिला मुख्यालयों पर भी गोबर के दीये व सिरमौरी लाइट उपलब्ध करवाई जाएंगी।

गोमय ज्योति पैकेट में यह साम्रगी मिलेगी

जिला प्रशासन द्वारा गोमय ज्योति पैकट में 11 दीये, एक छोटी बोतल तिल का तेल, माचिस व कपास की 11 बतियां मिलेंगी। जिसकी प्रशसन ने नाहन में काउंटर सेल 90 रुपये प्रति पैकेट तय की है। इसके अतिरिक्त गोबर से बना पोर्ट (गमला), अंगेठी, चूला व हमाम में जलाने के लिए लोगस बनाए जा रहे हैं। इन लोगस में लेमन ग्रास का भी प्रयोग किया जा रहा है, ताकि लेमनग्रास की महक से मच्छर भाग जाएं। जल्द ही गोबर के बड़े लोगस भी बनाए जाएंगे, जो श्‍मशानघाट में अर्थी जलाने के काम आएंगे। साथ ही प्रशासन द्वारा गोबर से उर्वरा नाम की कंपोस्ट (खाद) भी तैयार की जा रही है। प्रशासन द्वारा जल्द ही आनलाइन शॉपिग की व्यवस्था भी की जा रही है।

स्वयं सहायता समूह की 15 महिलाओं को मिला रोजगार 

जिला प्रशासन की ओर गोमय ज्योति व सिरमौरी लाइट बनाने के लिए डीआरडीए के माध्यम से महिलाओं को प्रशिक्षित किया है। इन महिलाओं को 26 सितंबर से पहली अक्‍टूबर तक प्रशिक्षित किया गया। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शस्त्री व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर दो अक्‍टूबर को इस योजना का शुभारंभ किया गया। स्वयं सहायता समूह की 15 महिलाओं को रोजगार दिया गया। इन महिलाओं को डीआरडीए के माध्यम से वेतन दिया जाएगा। दीये व लाईट बनाने की औसत के अनुसार वेतन देय होगा।

तीन घंटे में बिक गया स्‍टॉक

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रशासन की यह पहल अब परवान चढऩे शुरू हो गई है। हाल ही में जिला प्रशासन ने गोबर के दीये व लडिय़ों की एक प्रदर्शनी नाहन के ऐतिहासिक चौगान मैदान में भी लगाई थी। इस प्रदर्शनी में करीब तीन घंटे में गोबर से बने सभी दीये और लडिय़ां बिक गईं। माता बालासुंदरी गोसदन की गाय के गोबर से यह दिए बनाए जा रहे हैं। अरावली संगठन के निदेशक डॉ. यशपाल शर्मा ने बताया गोबर के दीये व लडिय़ां बनाने के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया गया। उसके बाद अब वह लगातार दीये व लडिय़ां बना रही हैं।

गोसदनों को आत्मनिर्भर बनाने की प्रेरणा

जिला सिरमौर में (निराश्रित गोवंश) बेसहारा पशुओं की समस्या के निदान के लिए पशुओं के गोबर व गोमूत्र का सही प्रयोग करने की प्रेरणा से गोबर के दीये बनाने का विचार आया। उपायुक्‍त सिरमौर डॉ. आरके परुथी ने बताया जिला में चल रहे गोसदनों को सरकार के अधीन मंदिरों की आय से गोशाला के संचालन के लिए 15 प्रतिशत की राशि दी जाती है। गोसदन मंदिर से मिलने वाली राशि पर निर्भर न रहें, वह भी आत्मनिर्भर बने यह प्रयास किया जा रहा है। गोसनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह पहल की है।

बेसहारा पशुओं की समस्‍या का भी होगा समाधान : उपायुक्‍त

उपायुक्‍त सिरमौर डॉक्‍टर आरके परुथी का कहना है मेड इन सिरमौर के तहत महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से यह पहल की गई है, इससे जहां महिलाओं को रोजगार मिलेगा। वहीं लोग भी अपने पशुओं को अभी इधर-उधर बेसहारा नहीं छोड़ेंगे। गोबर से बनने वाले दीये और लडिय़ां दीपावली से दो सप्ताह पूर्व बाजार में उपलब्ध होंगे।

दीया जलने के बाद खाद के रूप में होगा उपयोग

मेड इन सिरमौर प्रोजेक्ट के तहत जिला प्रशासन के सहयोग से पशुपालन विभाग ने अरावली संगठन के साथ यह कार्यक्रम शुरू किया है। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने तथा उन्हें रोजगार देने के उद्देश्य से यह प्रोजेक्ट बनाया गया है। जिला प्रशासन के अनुसार दीपावली तक 20 हजार दीये तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। इन दीये व लडिय़ों की खास बात यह होगी कि यह जलने के बाद मिट्टी बन जाएंगे, जिन्हें लोग बाद में अपने घरों के गमलों व खेतों में डाल सकते हैं। दीयों की पैकिंग भी की जा रही है, जिसके बाहर मेड इन सिरमौर लगाए जा रहे हैं।


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