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तेजी से पिघल रहे हिमखंड चिंता का विषय : तोमर

राजगढ़ शिक्षा खंड के तहत आने वाले राजकीय माध्यमिक विद्यालय धमून में पृथ्वी दिवस मनाया गया। स्कूल प्रभारी पायल तोमर ने जानकारी देते हुए बताया कि पृथ्वी दिवस एक वार्षिक आयोजन है जिसे 22 अप्रैल को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्थन प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया जाता है। इस अवसर पर इको क्लब वसुधा द्वारा चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन भी करवाया गया। स्कूली विद्यार्थियो द्वारा अपने चित्रों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के लिय समर्थन प्रदर्शित किया गया। इस अवसर पर पायल तोमर ने प्राथना सभा के बच्चो को संबोधित करते हुए बताया कि आज हम पृथ्वी दिवस मना रहे हैं। हमने डायनासोर बड़े दांत वाले हाथी व गिद्ध जैसे प्रजातियों के बारे में किताबों में ही पढ़ा है उन्हें कभी देखा नहीं। इस बात को लेकर विशेषज्ञ

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 07:34 PM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 06:59 AM (IST)
तेजी से पिघल रहे हिमखंड चिंता का विषय : तोमर
तेजी से पिघल रहे हिमखंड चिंता का विषय : तोमर

संवाद सूत्र, राजगढ़ : राजगढ़ शिक्षा खंड के तहत आने वाले राजकीय माध्यमिक विद्यालय धमून में पृथ्वी दिवस मनाया गया। स्कूल प्रभारी पायल तोमर ने बताया कि पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्थन प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया जाता है। इको क्लब वसुधा द्वारा चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन भी करवाया गया। पायल तोमर ने बताया कि आज हम पृथ्वी दिवस मना रहे हैं। हमने डायनासोर, बड़े दांत वाले हाथी व गिद्ध जैसे प्रजातियों के बारे में किताबों में ही पढ़ा है, उन्हें कभी देखा नहीं। इस बात को लेकर विशेषज्ञ चितित हैं कि प्रकृति में हो रहे बदलाव के चलते हमारी आने वाली पीढ़ी घर के आंगन में चहचहाने वाली गौरेया, फूलों पर मंडराती रंग-बिरगी तितली और भंवरें, पराग से शहद बनाती मधुमक्खी, दाना ले जातीं चींटियां और चीता जैसी कई प्रजातियों के बारे में किताबों में पढ़कर न जाने। इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार विश्व पृथ्वी दिवस की थीम प्रजातियों को संरक्षित करें रखी गई। दिनोंदिन धरती के तापमान में वृद्धि हो रही है, हिमखंड तेजी से पिघल रहे हैं और समुद्र का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इससे समूची कुदरत के लिए अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिकए मधुमक्खियां, चींटियां, गुबरैले बीटल, मकड़ी, जुगनू जैसे कीट जो हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। अन्य स्तनधारी जीवों, पक्षियों और सरीसृपों की तुलना में आठ गुना तेजी से लुप्त हो रहे हैं। बायोलॉजिकल कंजर्वेशन नामक जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट में पिछले 13 वर्षो में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में प्रकाशित 73 शोधों की समीक्षा की गई। इसमें शोधकर्ताओं ने पाया कि सभी जगहों पर संख्या में कमी आने के कारण अगले कुछ दशकों में 40 प्रतिशत कीट विलुप्त हो जाएंगे।

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