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आपातकाल के 44 साल: जितना टॉर्चर किया, उतना मजबूत हुए : श्यामा

कोयले की भट्टी में तप कर जिस तरह लोहा मजबूत हो जाता है। उसी प्रकार आपातकाल के दौरान पुलिस और प्रशासन ने जितना टॉर्चर किया हम उतने ही मजबूत होकर मजदूरों के साथ खड़े हुए।

By Edited By: Published: Sat, 15 Jun 2019 06:36 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jun 2019 11:36 AM (IST)
आपातकाल के 44 साल: जितना टॉर्चर किया, उतना मजबूत हुए : श्यामा
आपातकाल के 44 साल: जितना टॉर्चर किया, उतना मजबूत हुए : श्यामा

नाहन, राजन पुंडीर। आपातकाल के दौरान पुलिस और प्रशासन ने जितना टॉर्चर किया, हम उतने ही मजबूत हुए। यह कहना है आपातकाल के दौरान जेल में रही हिमाचल प्रदेश की एकमात्र महिला नेत्री श्याम शर्मा का। नाहन की पूर्व विधायक एवं पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा ने 1975 में आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार द्वारा बनाए जा रहे पांवटा साहिब के समीप खोदरी माजरी यमुना हाइड्रो प्रोजेक्ट के खिलाफ मोर्चा खोला था। यहां मजदूरों का शोषण होता था। देशभर से 200 से 300 रुपये देकर लाए मजदूरों को छह छह माह बाद भी वेतन नहीं दिया जाता था।

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1975 में 22 वर्षीय कुमारी श्यामा शर्मा ने मजदूरों के शोषण के खिलाफ आंदोलन छेड़ा। प्रदेश सरकार ने आंदोलन को कुचलने का पूरा प्रयास किया। श्यामा शर्मा के नेतृत्व में मजदूरों ने जमकर आंदोलन किया। 1975 में जब सिरमौर पुलिस श्यामा शर्मा को पकड़ने खोदरी माजरी पहुंची, तो उन्होंने उफनती टोंस नदी को तैर कर पार किया और उत्तर प्रदेश के जौनसार बाबर जा पहुंची। यह क्षेत्र अब उत्तराखंड में आता है। एक वर्ष तक श्यामा शर्मा ने भूमिगत रहकर जौनसार बाबर, दिल्ली व इलाहाबाद से मजदूरों के शोषण के प्रति आंदोलन को चलाएं रखा।

खोदरी माजरी यमुना हाइड्रो प्रोजेक्ट में आपातकाल के दौरान आंदोलन चल रहा था, तो सिरमौर पुलिस प्रशासन ने 600 से अधिक मजदूरों को अस्थायी जेल बनाकर बंद कर दिया था। जेल में कैदियों से बहुत बुरा व्यवहार होता था। घर पर पुलिस रेड से आहत होकर श्यामा शर्मा के पिता की मृत्यु हो गई। कुछ समय बाद श्यामा नाहन पहुंची तो प्रदेश सरकार ने उन पर मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट (मीसा) लगा दिया। इसके तहत हिरासत में लिए जाने के बाद कई दिन तक पुलिस थाने के लॉकअप में रखा जाता था। उसके बाद उन्हें नाहन सेंट्रल जेल शिफ्ट कर दिया गया।

वह एकमात्र आंदोलनकारी महिला थी, इसलिए उन्हें आजीवन कारावास महिला कैदी सिबिया के साथ लॉकअप में रखा गया। श्यामा 30 जून, 1975 को जेल गई थी। इस दौरान वह जेल में शांता कुमार, स्व. जगत ¨सह नेगी, महेंद्र नाथ सोफत व मुन्नीलाल वर्मा के साथ सेंट्रल जेल नाहन में कई माह तक रही। वह जेल में रह कर भी आंदोलनकारियों निर्देश देती रहती थी। श्यामा शर्मा जेल में कुल मिलाकर पांच माह तक जेल में रहीं।

शांता ने नाहन जेल में किया पहला कार्यक्रम

श्यामा शर्मा ने बताया कि जब वह शांता कुमार के साथ जेल में रही, तो उन्होंने कैदियों के साथ होने वाले व्यवहार और उनकी स्थिति को अच्छी तरह से समझा। 1977 में शांता कुमार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपना पहला कार्यक्रम नाहन सेंट्रल जेल में रखा। यही से प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों के सुधार के लिए कार्यक्रम शुरू किए गए।

कभी नहीं किया एसी का प्रयोग

श्यामा शर्मा ने बताया कि जेल में बिताए जीवन से उन्होंने सीख ली और कभी एयर कंडीशनर (एसी) का प्रयोग नहीं किया। श्यामा शर्मा 1977, 1982 व 1990 में तीन बार नाहन की विधायक एवं मंत्री रही। उन्होंने बायोग्राफी खिली है जो जल्द ही प्रकाशित होने वाली है।

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