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बजट मिला तो 2025 तक बुझ जाएगी दिल्ली की प्यास

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लोगों को हिमाचल से पीने के पानी के लिए अब कम ही इंतजार करना पड़ेगा। शुक्रवार को नई दिल्ली में हुई 6 राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में राष्ट्रीय हित के श्रीरेणुकाजी बांध परियोजना को एमओयू साइन कर लिया गया। जिससे कि अब बांध बनने का रास्ता साफ काफी हद तक होता नजर आ रहा है। पिछले 5 दशकों से बजट, भूमि अधिग्रहण, फॉरेस्ट क्लीयरेंस व इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस के कारण श्रीरेणुकाजी बांध का निर्माण कार्य लटका हुआ है। गिरी नदी पर श्रीरेणुकाजी में गिरी बांध-दो बनाने के निर्देश 1960 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने श्रीरेणुकाजी के समीप जटोन बांध के उद्घाटन के अवसर पर दिए थे। उसके बाद 1975 में श्रीरेणुकाजी में बांध बनाने के लिए प्रदेश और केंद्र सरकार ने कार्यवाही शुरू की। उसके बाद 25

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Jan 2019 07:21 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jan 2019 07:21 PM (IST)
बजट मिला तो 2025 तक बुझ जाएगी दिल्ली की प्यास
बजट मिला तो 2025 तक बुझ जाएगी दिल्ली की प्यास

राजन पुंडीर, नाहन

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लोगों की प्यास 2025 तक बुझने की आस है। श्रीरेणुकाजी बांध निर्माण के लिए केंद्र व राज्य सरकारें 2019 के अंत तक राशि जारी कर देती हैं तो इसे बनाने में छह साल ही लगेंगे और दिल्ली को यहां से पीने का पानी मिल सकेगा। बांध बनाने के लिए केंद्र से 90 प्रतिशत और छह राज्य 10 प्रतिशत की राशि मिलनी है। शुक्रवार को नई दिल्ली में हुई छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में राष्ट्रीय हित के श्रीरेणुकाजी बांध के लिए एमओयू साइन किया गया। इससे बांध बनने का रास्ता साफ नजर आ रहा है। पांच दशकों से बजट, भूमि अधिग्रहण, फॉरेस्ट क्लीयरेंस व इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस के कारण निर्माण कार्य लटका है।

क्या है मामला

गिरी नदी पर श्रीरेणुकाजी में गिरी बांध-दो बनाने के निर्देश 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने श्रीरेणुकाजी के समीप जटोन बांध के उद्घाटन अवसर पर दिए थे। 1975 में श्रीरेणुकाजी में बांध बनाने के लिए प्रदेश और केंद्र सरकार ने कार्रवाई शुरू की। 25 वर्ष तक मामला फाइलों में ही घूमता रहा। 2000 में फिर से केंद्र ने प्रदेश सरकार को दस्तावेज तैयार करने का निर्देश दिया। 2008-09 में बांध बनाने के लिए कुल 62 गांव में से 34 में 300 करोड़ खर्च कर भूमि अधिग्रहण हुई। शेष 28 गांव के लिए केंद्र और छह राज्यों से धन के अभाव में भूमि अधिग्रहण का मामला लटक गया। मामला हिमाचल हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पहुंचा। जहां से 10 वर्ष तक मामले में कार्रवाई चलती रही। 2018 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए 447 करोड़ रुपये जारी किए। अब शेष बचे 28 गांव में भूमि अधिकरण का कार्य बांध परियोजना के अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है।

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40 मेगावाट बिजली हिमाचल को मिलेगी

हिमाचल प्रदेश को श्रीरेणुकाजी में बांध बनने से 40 मेगावाट बिजली मिलेगी। दिल्ली व राजस्थान को पीने का पानी, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व हरियाणा को ¨सचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा। बांध बनने के बाद से प्रतिदिन दिल्ली को 23 लाख क्यूसेक पानी मिलेगा। 1142 परिवार प्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित

श्रीरेणुकाजी बांध बनने से प्रत्यक्ष तौर पर 1142 परिवार प्रभावित होंगे, जबकि अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 2200 परिवार प्रभावित होंगे। 20 पंचायतों कि करीब 2000 हेक्टयर भूमि बांध क्षेत्र में डूब जाएगी और करीब 20 किलोमीटर लंबी झील बनेगी। 06 हजार करोड़ हो गई बांध की लागत

2015 की डीपीआर के अनुसार श्रीरेणुकाजी बांध परियोजना की लागत 4596 करोड़ थी, जो बढ़कर छह हजार करोड़ हो गई है। विभाग द्वारा प्रांकलन रिपोर्ट तैयार की जा रही है। अभी छह राज्यों में 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी में से दिल्ली ने 214 करोड़ तथा हरियाणा ने 29 करोड रुपये हिमाचल सरकार को जारी किए हैं, जबकि केंद्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए 447 करोड़ रुपये सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2018 में जारी किए।

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श्रीरेणुकाजी बांध परियोजना की लागत अब बढ़कर छह हजार करोड़ हो चुकी है। केंद्र व राज्य सरकारें जैसे ही बांध परियोजना के लिए राशि उपलब्ध करवाएंगे, टेंडर होने के बाद छह वर्ष में बांध का निर्माण हो जाएगा।

-रामलाल शर्मा, उप महाप्रबंधक, श्रीरेणुकाजी बांध परियोजना।


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