जेल में बिताया समय अब भी देता है सुकून
जेल में बिताया समय अब भी देता है सुकून
जागरण संवाददाता, नाहन : जीवन के 85 वर्ष पूरे कर चुका हूं। जो बहुमूल्य सयम नाहन जेल में बिताया, वह साधना, तपस्या व लेखन कार्य का रहा। वह समय अब भी सुकून देता है।
शनिवार को आदर्श केंद्रीय कारागार नाहन के दौरे पर पहुंचे भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार जेल के उस कमरे को देखकर भावुक हो गए जहां पर उन्होंने 19 माह बिताए थे। शांता ने यादों को ताजा करते हुए कमरे की उन दीवारों का भी धन्यवाद किया, जिन्होंने उनका हौसला नहीं टूटने दिया।
शांता 1975 से 1977 तक 19 माह के लिए आपातकाल के दौरान नाहन जेल में रहे। उन पर मीसा व डीआर सहित कई धाराएं उस समय सरकार द्वारा लगाई गई थीं। शांता कुमार ने नाहन जेल में रहकर 'लाजो', 'मन के मीत', 'कैदी' और 'दीवार के उस पार' चार पुस्तके लिखी हैं। जेल से निकलने के बाद भी शांता कुमार ने किताबें लिखने का कार्यक्रम जारी रखा और अब तक वह 14 किताबें लिख चुके हैं। शांता ने जेल के दौरे के दौरान बंदियों से भी किताबे लिखने और समय का सदुपयोग करने की बात कही। उन्होंने कहा कि वह जेल में अपने अंदर रहते हुए कोई भी हीन भावना ना आने दे और मेहनत लगाकर काम करें। उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस मौके पर शांता के पुत्र विक्रम कुमार, पूर्व मंत्री राधा रमन शास्त्री, महेंद्रनाथ सोफत, श्यामा शर्मा, उपायुक्त सिरमौर डॉ. आरके परूथी, पुलिस अधीक्षक अजय कृष्ण शर्मा, उप अधीक्षक कारागार विकास भटनागर व जेल के अन्य अधिकारी व कैदी भी मौजूद थे।
मेरे लिए नाहन जेल तीर्थ स्थल : शांता
शांता कुमार ने कहा कि नाहन शहर मेरे लिए तीर्थ और नाहन जेल तीर्थ स्थल है। अपने जीवन में 14 पुस्तकें लिखी हैं, जिसमें से 4 पुस्तकें नाहन की जेल में लिखी। नाहन में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि किताबों से प्रति माह 15 से 20 हजार रुपये की रॉयल्टी मिलती है, जिसमें से एक लाख रुपये का चेक डीजीपी जेल सोमेश गोयल को भेंट किया। इसे जेल के सुधार कार्य में खर्च किया जाएगा। कहा कि प्रदेश के निजी विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्रियां बांटने और प्रदेश की एक दवा उद्योग से दूसरे राज्यों के बच्चों की मौत से उन्हें दुख है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इन मामलों में त्वरित उचित कार्रवाई कर दोषी को कड़ी सजा दिलवाई जाए।