राजगढ़ अस्पताल में बिस्तर बढ़े पर स्टाफ नहीं
जिस देश अथवा प्रदेश में शिक्षा और स्वास्थ्य पर जरा भी ध्यान न दिया जा रहा हो वहां की तरक्की के सपने देखना हथेली पर सरसों उगाने जैसा है। इसी संदर्भ में राजगढ़ के अस्पताल की बात की जाए तो इन नेताओं और प्रदेश की सरकारों के रवैये पर गुस्सात्मक रोना आ जाता है। आजकल मात्र तीन डाक्टर राजगढ़ अस्पताल के 100 बेड क्षमता वाले वार्डों और 250 से अधिक की ओपीडी संभाले हुए हैं। एक डॉक्टर की रात्री ड्यूटी लगती है। तो दूसरे दिन उसे छुट्टी देनी पड़ती है। एक डॉक्टर की
संवाद सूत्र, राजगढ़ : जिस देश अथवा प्रदेश में शिक्षा व स्वास्थ्य पर जरा भी ध्यान न दिया जा रहा हो, वहां की तरक्की के सपने देखना हथेली पर सरसों उगाने जैसा है। इसी संदर्भ में राजगढ़ के अस्पताल की बात की जाए तो इन नेताओं और प्रदेश सरकारों के रवैये पर गुस्सात्मक रोना आ जाता है। आजकल मात्र तीन डॉक्टर राजगढ़ अस्पताल के 100 बिस्तर क्षमता वाले वार्डों और 250 से अधिक की ओपीडी संभाले हुए हैं। एक डॉक्टर की रात्रि ड्यूटी लगती है तो दूसरे दिन उसे छुट्टी देनी पड़ती है। एक डॉक्टर की वार्ड में ड्यूटी होती है, तो ऐसे में सिर्फ एक डॉक्टर रह जाता है। जिस पर ओपीडी संभालने का जिम्मा आ जाता है। बार बार अस्पताल की दयनीय स्थिति के बारे में मुद्दा उठ चुका है लेकिन अभी तक न तो विभाग पर और न ही सरकार ने कोई कार्रवाई की है।
अस्पताल प्रभारी एमडी सचिन ठाकुर ने बताया करीब दो महीने पहले ही अस्पताल को 50 से 100 बिस्तर का कर दिया गया है। जबकि डॉक्टर तीन के तीन ही हैं। ऐसे में मरीजों के देखने के अतिरिक्त विभागीय पत्राचार एवं अन्य व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाए रखना काफी मुश्किल हो जाता है। बीते दिनों चार डॉक्टरों की नियुक्ति हुई थी परंतु उनमें से कोई भी यहां तक नहीं पहुंचा। उन्होंने कहा उन्हें पदभार संभाले हुए दो साल हो चुके हैं। इस दौरान उक्त डॉक्टर्ज दूर दराज अथवा एमरजैंसी में आए मरीजों की परेशानियों को दूर करने के लिए क्षमता से अधिक कार्य करते आ रहे हैं।