यहां नौ बार कांग्रेस ने जीती बाजी
देश की आजादी के 7 दशकों में से पांच दशकों तक जिला सिरमौर व पच्छाद विधानसभा क्षेत्र पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा। यहां तक कि जब हिमाचल प्रदेश टेरिटोरियल काउंसिल होता था तो पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से दो विधायक होते थे। एक विधायक तो जनता के द्वारा चुने जाते थे। दूसरा विधायक टेरिटोरियल काउंसिल के लिए प्रदेश सरकार द्वारा मनोनीत किया जाता था। 1952 से लेकर 1977 तक पच्छाद विधानसभा क्षेत्र पर कांग्रेस का कब्जा रहा।
राजन पुंडीर, नाहन
हिमाचल प्रदेश की पच्छाद विधानसभा में हुए 13 चुनावों में 9 बार कांग्रेस की जीत हुई हैं। इसके अलावा दो बार भाजपा, एक बार जनता पार्टी व एक बार निर्दलीय ने विजय प्राप्त की।
पच्छाद पर 1952 से 1977 तक लगातार कांग्रेस का कब्जा रहा। 1977 में पहली बार पच्छाद विधानसभा सीट पर जनता पार्टी के प्रत्याशी ने खाता खोला। इसी तरह 1982 में गंगूराम मुसाफिर निर्दलीय चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे। उसके बाद 2012 में पहली बार भाजपा ने पच्छाद में अपना खाता खोला और यहां से सुरेश कश्यप विधायक बने। 1952 में पच्छाद के पहले विधायक हिमाचल निर्माता व प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार रहे, जबकि 1952 से 56 तक टेरिटोरियल काउंसिल के सदस्य जीवणू राम रहे। 1957 से 1962 तक मंगाराम विधायक तथा जीत सिंह मनोनीत विधायक रहे।
हिमाचल में 1952 से 2017 तक 13 विधानसभा चुनाव हुए हैं। अब 2019 में सुरेश कश्यप के सांसद बनने के बाद खाली हुई सीट पर उप चुनाव होगा। काउंसिल के समय भी कांग्रेस ही जीत
यहां तक कि जब हिमाचल प्रदेश टेरिटोरियल काउंसिल होता था, तो पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से दो विधायक होते थे। एक विधायक तो जनता के द्वारा चुने जाते थे। दूसरा विधायक टेरिटोरियल काउंसिल के लिए प्रदेश सरकार द्वारा मनोनीत किया जाता था। उस समय भी कांग्रेस का ही जीती। ऐसे बना था कांग्रेस का गढ़
आम चुनाव में जनता पार्टी व भाजपा से जिस भी उम्मीदवार ने कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा, वह कुछ समय बाद कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गया या सक्रिय राजनीति से किनारे हो गया। जिसके चलते कांग्रेस पच्छाद में नौ बार परचम लहराने में कामयाब रही। कांग्रेस की सरकार ने पच्छाद के विधायक गंगूराम मुसाफिर को हर बार मंत्री बनाया गया। कब, कौन रहा विधायक
1952 से 1956 : डॉ. वाईएस परमार (कांग्रेस )
1952 से 1956: जीवणू राम, मनोनीत विधायक(कांग्रेस )
1957 से 1962 : मांगा राम (कांग्रेस )
1957 से 1962 :जीत सिंह, मनोनीत विधायक (कांग्रेस )
1962 से 1967 : माताराम (कांग्रेस ) एससी आरक्षित सीट
1967 से 1972 : जालम सिंह (कांग्रेस )
1972 से 1977 : जालम सिंह (कांग्रेस )
1977 से 1982 : जख्मी राम (जनता पार्टी )
1982 से 1985 : गंगूराम मुसाफिर (निर्दलीय )
1985 से 1990 : गंगूराम मुसाफिर (कांग्रेस )
1990 से 1992 : गंगूराम मुसाफिर (कांग्रेस )
1993 से 1998 : गंगूराम मुसाफिर (कांग्रेस )
1998 से 2002 : गंगूराम मुसाफिर (कांग्रेस )
2003 से 2007 : गंगूराम मुसाफिर (कांग्रेस )
2007 से 2012 : गंगूराम मुसाफिर (कांग्रेस )
2012 से 2017 : सुरेश कश्यप (भाजपा )
2017 से मई 2019 : सुरेश कश्यप (भाजपा )