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पश्चिम बंगाल से दबोचा ठग

विदेशों में नौकरी का झासा देकर युवकों को फर्जी ईमेल भेजक

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Oct 2018 07:21 PM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 07:21 PM (IST)
पश्चिम बंगाल से दबोचा ठग
पश्चिम बंगाल से दबोचा ठग

जागरण संवाददाता, नाहन : विदेशों में नौकरी का झासा देकर युवकों को फर्जी ईमेल भेजकर ठगी करने वाले गिरोह के एक सदस्य को सिरमौर पुलिस की एसआइटी ने पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से दबोच लिया है। यह गिरोह पिछले कई वर्षाें से ऑनलाइन ठगी कर युवकों को लूट रहा है। एसआइटी ने ऑनलाइन ठगी के मुख्य आरोपित सुब्रत सरकार उर्फ रॉकी को गिरफ्तार कर रविवार सायं नाहन लाया। उसे सोमवार दोपहर को पावटा साहिब जेएमआइसी कोर्ट में पेश किया जाएगा। एसआइटी को सुब्रत सरकार उर्फ रॉकी के कब्जे से 21 एटीएम, चार बैंक खातों का विवरण, दो पैन कार्ड, आधार कार्ड व लैपटॉप के अलावा सात मोबाइल फोन भी बरामद हुए हैं। इसके गिरोह का मुख्य कार्य फर्जी बैंक खाते व वेबसाइट बनाकर लोगों को फर्जी मेल भेज कर लूटना है। गिरोह द्वारा विदेशों में नौकरियों के लिए लोगों को लुभाने के लिए नकली ई-मेल भेजी जाती है, जिसके बाद लोगों के खातों से ऑनलाइन ठगी की जाती थी। सुब्रत सरकार को नाहन लाने से पहले पुलिस टीम ने उसे सिलीगुड़ी की एक अदालत में पेश किया, जहा से उसे पाच दिन का ट्राजिट रिमाड भी दिया गया है। शिलाई के एक युवक ने शिलाई पुलिस थाना में 25 नवंबर, 2017 को 40 लाख की ऑनलाइन ठगी का मामला दर्ज करवाया था।

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ऑनलाइन ठगी के गैंग तक पहुंचने के लिए एसपी सिरमौर ने कुछ माह पहले एक एसआइटी का गठन किया। पहले आरोपित के परिवार का पता लगाया गया। इसके बाद साइबर सेल व शिलाई पुलिस की टीम संयुक्त तौर पर कोलकाता पहुंची। एसआइटी के सदस्यों ने खुद को बीमा एजेंट के तौर पर आरोपित के परिवार से परिचित करवाया। इसके बाद सबसे पहले पुलिस को यह पता चला कि आरोपित का सही नाम सुब्रत सरकार है, जो ठगी के लिए अपना नाम अर्नव सिंघानिया बताया करता था। परिवार के बारे में खुफिया जानकारी हासिल कर टीम वापस लौट आई। इसके बाद पूरी तैयारी के बाद एक सप्ताह पहले फिर टीम कोलकाता के लिए रवाना हुई। वहा पहुंच कर टीम ने पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर, कोलकाता व सिलीगुड़ी में छापामारी की। एक वेबसाइट को टेक्नो इंटरनेशनल ग्रुप के नाम पर संचालित किया जा रहा था। पुलिस अधीक्षक सिरमौर रोहित मालपानी ने बताया कि मामला दर्ज होने के बाद से ही पुलिस प्रयास कर रही थी, काफी समय बाद सफलता मिली। पुलिस रिमाड मिलने के बाद आरोपित से गिरोह के अन्य सदस्यों का पता लगाया जाएगा, ताकि अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी भी की जा सके।


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