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भाग्य रेखाएं पर बहने लगा खून

हिमाचल प्रदेश की सड़के एक समय जहां प्रदेश की भाग्य रेखाएं कही जाती हैं। वहीं अब यह सड़कें मानव खून की प्यासी बन गई हैं। आलम यह है कि प्रदेश में आए दिन सड़क हादसे में जहां कई बच्चों के सिर से मां-बाप का साया छीन लिया वहीं कई दंपत्तियों के बुढ़ापे का सहारा लील लिया जा रहा है। जिला सिरमौर में पिछले एक दशक में सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। आलम यह है कि दस वर्षों में जिला सिरमौर में सड़क दुर्घटनाओं में करीब 340 लोग मारे गए हैं जबकि 400 से अधिक इन हादसों में उम्र भर के लिए या तो अपाहिज हो गए हैं या फिर जख्मी हुए हैं। सड़क हादसे लोगों को कभी न भरने वाले जख्म दे रहे हैं। सिरमौर जिला में स

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jul 2019 05:35 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jul 2019 06:51 AM (IST)
भाग्य रेखाएं पर बहने लगा खून
भाग्य रेखाएं पर बहने लगा खून

राजन पुंडीर, नाहन :

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हिमाचल प्रदेश की सड़कें एक समय जहां प्रदेश की भाग्य रेखाएं कही जाती हैं। वहीं अब यह सड़कें मानव खून की प्यासी बन गई हैं। आलम यह कि दस वर्षों में जिला सिरमौर में सड़क दुर्घटनाओं में करीब 340 लोग मारे गए हैं, जबकि 400 से अधिक इन हादसों में उम्रभर के लिए या तो अपाहिज हो गए हैं, या फिर जख्मी हुए हैं। सड़क हादसे लोगों को कभी न भरने वाले जख्म दे रहे हैं। सिरमौर जिला में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं संगड़ाह व शिलाई उपमंडल में सामने आ रही है। अकेले संगड़ाह उपमंडल में पांच वर्षों में 117 लोग काल के मुंह में समाए हैं। जबकि करीब 100 लोग इन हादसों में घायल हुए हैं। इन सड़क हादसों में सबसे ज्यादा जानें 2013 व 2014 में हुई तीन निजी बस दुर्घटनाओं में हुई हैं। इन तीन हादसों में 54 लोगों की दर्दनाक मौत हुई। सिरमौर में पिछले एक दशक में सड़क हादसे

01 फरवरी 2009 को श्रीरेणुकाजी के समीप सताहन में ट्रक खाई में गिरा 4 की मौत ।

05 सितंबर 2011 को श्रीरेणुकाजी के धनोई में वैन व राजगढ़ के दलेहा में पिकअप गिरी 6-6 लोगों की मौत 2 घायल

09 फरवरी 2012 को संगड़ाह के समीप पिकअप खाई में गिरी 5 की मौत

24 नवंबर 2012 शिलाई के बसोग खाला में पिकअप खाई में गिरी 10 की मौत।

07 जून 2013 को संगड़ाह के भराड़ी के समीप निजी बस दुर्घटनाग्रस्त, 20 की मौत 12 घायल।

27 सितंबर 2013 को श्रीरेणुकाजी के द्राबला में निजी बस खाई में गिरी, 21 की मौत।

07 अप्रैल 2014 को टिबी के समीप निजी बस खाई में गिरी, 19 मरे, 52 घायल।

16 जून 2014 को श्रीरेणुकाजी के बिरला के नजदीक पर्यटकों की बस खाई में गिरी, 14 की मौत 46 घायल।

23 नवंबर 2014 को सैल में बस खाई में गिरी, 7 मरे 9 घायल ।

29 अप्रैल 2015 को शिलाई के टटियाना में निजी बस दुर्घटनाग्रस्त, पांच की मौत, 36 घायल।

26 फरवरी 2016 को हाब्बन-चंबीधार मार्ग पर निजी बस खाई में गिरी, 8 की मौत 22 घायल

23 अगस्त 2017 को पांवटा साहिब के बहराल में कार-ट्रक दुर्घटना में 5 की मौत 3 घायल।

13 मई 2018 को राजगढ़ के नेईनेटी में निजी बस दुर्घटनाग्रस्त, 8 की मौत, 13 घायल

25 नवंबर 2018 को श्रीरेणुकाजी के जलाल पुल से निजी बस नदी में गिरी, 10 मरे 47 घायल।

05 जनवरी 2019 को श्रीरेणुकाजी के खडकोली से निजी स्कूल बस खाई में गिरी 8 मरे 12 घायल।

22 अप्रैल 2019 को हरिपुरधार हैलीपेड के समीप कार खाई में गिरी 4 लोगों की मौत।

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पैरापिट होते तो बच जाते मासूम

प्रदेश की सड़कों में लोक निर्माण विभाग द्वारा बहुत कम स्थानों पर पैरापिट लगाए गए हैं। जानकारों का कहना है कि यदि जिला सिरमौर की सड़कों पर पैरापिट लगाए होते, तो कई हादसे टल सकते थे। जिला सिरमौर में यदि नेशनल हाइवे को छोड़ दिया जाए, तो अन्य किसी भी सड़क मार्ग पर पैरापिट अथवा कोई भी क्रैश बैरियर नहीं लगे हैं।


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